बिलासपुर–(उस्मान,रतनपुर)–थाना क्षेत्र से चन्द किलोमीटर या मीटर दूर कोचियों का शराब बनाने का कारोबार धड़ल्ल से चल रहा है। शराब बनाने वाले कमोबेश सभी लोग रतनपुर शहर क्षेत्र से हैं। इन्ही में से कुछ कोचियों ने बताया कि उन्हें पकड़े जाने का भय बिलकुल नहीं है। पुलिस भी जान कर अंजान बनने का अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
रतनपुर क्षेत्र में इन दिनों कोचियों की बढ़ा आ गयी है। थाने के एक दो किमी दायरे में महुआ से शराब बनाने की देशी फैक्ट्री घर घर में खुल गयी है। पुलिस की निष्क्रियता कहें या फिर कोचियों की दादागिरी…आदिवासियों के नाम पर जमकर शराब बनाने का काम कर रहे हैं।
जानकारी देते चलें कि शासन से वनांचल में रहने वालों के लिए कच्ची यानी महुआ शराब सीमित मात्रा में बनाने की छूट है। जाहिर सी बात है कि आदिवासी संस्कृति का शराब महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन रतनपुर थाना क्षेत्र से चंद कदम दुर आदिवासियों की आड़ में शहर और उसके आसपास के लोग भी कच्ची शराब की फैक्ट्रियां लगा लिए हैं। इस बात की जानकारी शहर के एक एक व्यक्ति को है। लेकिन रतनपुर थाना को इस बात की लगता है कोई जानकारी ही नहीं है। या फिर मिली भगत है..बहरहाल लोगों का तो यही कहना है।
पहली बार मामला सामने आया।
रतनपुर थाना क्षेत्र के कई गाँव तो कच्ची शराब बनाने के लिए बदनाम है। इन गाँवों में कई बार रतनपुर थाना पुलिस और आबकारी विभाग ने धावा भी बोला है। और भारी मात्रा में शराब भी बरामद किया है। लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि रतनपुर शहर में भट्ठी लगाकर कच्ची महुआ शराब तैयार किया जा रहा है। लोगों की माने तो रतनपुर शहर में बीते पांच दशक के रिकॉर्ड खंगालने पर भी कच्ची शराब बनाने की कार्रवाई नहीं हुई है। लेकिन अब सब कुछ बदला हुआ दिखाई दे रहा है। थाना से चन्द कदम दूर धड़ल्ले से शराब बनाने का काम किया जा रहा है। अब पुलिस प्रशासन को समझना होगा कि शराब बनाने की फैक्ट्री को चालू रखना है या फिर बन्द करना है।