बिलासपुर—विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदेश और जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जगह जगह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र में भी विशेष आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि किसान नेता धीरेन्द्र दुबे ने शिरकत किया। इस दौरान मुख्य अतिथि ने पर्यावरण संरक्षण को ना केवल चिंता जाहिर किया। खासकर किसानों के लिए कहा कि धरतीपुत्र में ही ताकत है कि वह जल,जंगल,जमीन बचा सकता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर मे 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। सरकंडा स्थित ठाकुर छेदी लाल बैरीस्टर कृषि महाविद्यालय के डीन की अगुवाई में डॉ.आर. के.एस. तिवारी के मार्गदर्शन मे आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि किसान नेता धीरेन्द्र दुबे ने शिरकत किया। कार्यक्रम में जिले के गणमान्य और नामचीन किसानों ने शिरकत किया।
कार्यक्रम का संचालन करते डा. शिल्पा कौशिक ने किया। डॉ. कौशिक ने पर्यावरण को बचाने के अनिवार्य 10 बिंदुओं के बारे में उपस्थित लोगों को विस्तार से बताया। उन्होने बताया कि भूजल संरक्षण, धरती को प्लास्टिक से बचाने के उपायों के अलावा बिजली बचत जैसे पहलुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथी भारतीय किसान संघ के जिलाअध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने कहा कि बताने की जरूरत नहीं है कि पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ क्या होता है। यह भी बताने की जरूरत नहीं है कि परि यानि हमारे आसपास के आवरण से ही पर्यावरण शब्द का जन्म हुआ है। आवरण का मतलब कवच भी होता है। कवच का काम रक्षा से है। मतलब हमारे जीवन की रक्षा सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण के कवच से ही संभव है।
जाहिर सी बात है कि हमारी महति जिम्मेदारी बनती है कि हम भी पर्यावरण की रक्षा करें। यदि पर्यावरण शुद्ध नहीं होगा तो हम जीवन की संकल्पना कैसे कर सकेंगे। धीरेन्द्र ने जोर देकर कहा कि हमारा मूल काम प्रकृति की रक्षा करना है। यदि हम प्रकृति की रक्षा करने में नाकामयाब होते है तो इसका मतलब साफ है ना केवल हम माननवन जीवन को बल्कि विश्व के सभी जीव जन्तुओं की जिन्दगी खतरे में डाल रहे है। किसान नेता ने दुहराया कि पर्यावरण के साथ हमने ही यानि मनुष्य ने ही खिलवाड़ किया है। तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इसका संरक्षण और संवर्धन भी करें।
किसान नेता ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि हम हर साल पांच जून को पर्यावरण को लेकर अच्छा खासा भाषणबाजी करते हैं। फिर इसके बात हम क्या करते हैं..किसी को शायद बताने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन दावना करता हूं कि यदि किसान ठान ले तो जल जंगल और जमीन से जुड़े तमाम समस्याओं को खत्म होने में देर नही लगेगी।
उन्होने कहा कि हम किसान है। किसान का काम ही पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर चलरना है। तो फिर हम सार्थक प्रयास से प्रकृति का संरक्षण क्यों नहीं कर सकते है। इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के डीन डा. आर. के. एस तिवारी ने किसािनों को हरी खाद का उपयोग मेड़ो पर वृक्षावर वृक्षारोपण और पलारी जलाने से रोकने को कहा। इसके अलावा पैदावार बढ़ाने को लेकर जरूरी टिप्स भी दिया।
उन्होने कहा कि जिस तरह जल है तो कल है। उसी तरह हवा है तो फिर हम है। इसलिए अपने को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना ही होगा। डा. निवेदिता पाठक ने पर्यावरण दिवस प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण की बात कही। कार्यक्रम को सफल बनाने मे डा. शिल्पा कौशिक डा. दुष्यंत कौशिक, जयंत साहू, पंकज मिंज व डा. निवेदिता पाठक माधोसिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।