नामुमकिन है मां-बेटे के रिश्तों की परिभाषा..राइट वे

BHASKAR MISHRA
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IMG-20170514-WA0015बिलासपुर–राइट वे फाउंडेशन के सदस्यों ने वृद्धा आश्रम में मातृ दिवस मनाया। सभी माताओं को साड़ी भेंट की और चरण स्पर्श किया। परिवार से दूर सभी वृद्धा आश्रम की महिलाओं ने राइट वे फाउंडेशन के सदस्यों को आशीर्वाद भी दिया।

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                       राइट वे फाउंडेशन के सदस्यों ने बताया कि मां शब्द से ही दुनिया की शुरूआत होती है। मा शब्द में दुनिया का सारा प्यार समाया हुआ है। स्वामी विवेकानन्द ने भी कहा है कि मुझे दुनिया के सारे धर्मग्रंथ पढ़ने के बाद समझ में आया कि मां ही दुनिया की सबसे बड़ी देवी और देवता है।

            राइट वे फाउंडेशन के अध्यक्ष विवेक शर्मा,गोपाल दुबे समेत अन्य सदस्यों ने बताया कि जब कोई इंसान तकलीफ में होता है तो उसे भगवान बाद में मां पहले याद आती है। मां दुनिया के पाठशाला में बच्चों की पहली शिक्षिका होती है। हमारे संस्कार हमारे कर्तव्य और हमारी जीवन शैली सब कुछ मां से है।

                गोपाल और विनोद ने बताया कि संस्था के सदस्यों ने मातृ दिवस पर अपनी माताओं के साथ परिवार से दूर बृद्धाआश्रम की माताओं के बीच मातृ शक्ति दिवस मनाया।  वृद्धा आश्रम की सभी माताओं से आशीर्वाद लिया। यद्यपि हमारी इतनी हैसियत नहीं है कि हम लोग माताओं के लिए कुछ कर सकें। बावजूद इसके माताओं के चरणों में साड़ी श्रीफल रखकर स्नेह प्राप्त किया।

 संस्था के अध्यक्ष विवेक ने बताया कि मां और बेटे के बीच का रिश्ता शब्दों में बताना नामुमकिन है। जिस मां ने 9 महीनों तक अपने कोख में बच्चों का पाला उसका ऋण उतारना एक जन्म नहीं बल्कि कई जन्म में संभव नहीं है।

            गोपाल ने बताया कि दुनिया में मां बेटे के रिश्तो को परिभाषित करना असंभव है। इस रिश्ते में सब कुछ तो है। वह भी है जिसे हम जाहिर करने में सक्षम है…वह भी है जिसे हम केवल महसूस कर सकते हैं।

       बृद्धाश्रम में पहुंकर माताओं से विवेक शर्मा,गोपाल दुबे के अलावा राइट वे फाउंडेशन के सदस्य सूरज दीक्षित,जागृति दुबे,फिरोज खान,आशीष तिवारी, अंकुश गुप्ता, सौरभ श्रीवास्तव,प्रीत कौर मान,राज सधवानी,रवि ठाकुर,मोनू अवस्थी,ऋषभ तिवारी ,विवेद दुबे ने वृद्धाश्राम की माताओं से आशीर्वाद लिया।

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