बिलासपुर—बहतराई वासियों के लिए नाग नागिन तालाब को जीवित करना मिशन बन चुका है। तीसरे दिन भी ग्रामीणों ने तालाब में श्रमदान किया। पहले दो दिन की तुलना में तीसरे दिन श्रमदान करने वालों की संख्या अप्रत्याशित रूप से ज्यादा दिखाई दी। कुछ संगठनों ने तालाब के मेड़ पर श्रमदानियों के लिए चायपानी बिस्किट की मुफ्त व्यवस्था भी की । श्रमदानियों में आठ साल की बच्ची से 90 साल का बुजुर्ग का नाम शामिल है। सभी में तालाब को हराभरा करने का जुनून दिखाई दे रहा है।
बहतराई वासियों ने लगातार तीसरे दिन भी सुबह तीन घंटे तक श्रमदान किया। श्रमदानियों की संख्या पहले दो दिन से अधिक दिखाई दी है। महिला पुरूष…युवा और जवान सभी लोग नाग नागिन तालाब को मिशन के रूप में ले रहे हैं।सभी ने नाग नागिन तालाब को सदानीरा बनाने का संकल्प लिया है।
श्रमदान के तीसरे दिन 90 साल के बुजुर्ग ने तालाब में घुसकर मिट्टी निकाला। उसने बताया कि मैं तालाब का कर्ज चुकाने आया हूं। यदि तालाब जीवित हो गया तो मुझे इस दुनियां को सुकून से छोड़ुंगा। तालाब की उम्र और मेरी उम्र कमोबेश एक ही है। दोनों एक साथ पैदा,जवान और बूढें हुए। पिछले कुछ सालों से तालाब को देखकर पीड़ा होती थी। कुछ जमीन दलालों ने तालाब का पानी सुखाने ईंट, मुरूम.पत्थर और रेत डाला था। बाद में मिट्टी डालकर मैदान बनाने का प्रयास किया। लेकिन मीडि़या ने जमीन माफियों के सपनों को अंजाम तक पहुंंचने से रोक दिया। युवाओं ने कदम बढ़ाया…आज पूरा गांव तालाब को बचाने एक हो गया है। जब तालाब हराभरा हो जाएगा तो मै सुकून के साथ मरने को तैयार हूं।
माधो सिंह ने बताया कि तालाब में श्रमदान किए जाने को लेकर कुछ लोग परेशान हैं। फोन से बातचीत करने के लिए बुला रहे हैं। ग्रामवासियों ने निश्चित किया है कि तालाब में पानी आने के बाद एक बार फोन करने वाले जरूर मिलेंगे।
प्रकाश सिंह ने बताया कि तालाब के जीर्णाद्धार को लेकर मंत्री अमर अग्रवाल ने एसडीएम को निर्देश दिया है। उम्मीद है कि तालाब के दिन बहुरेंगे। जनता की मेहनत रंग लाएगी। प्रकाश ने कहा कि अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। तालाब को दुरूस्त करने स्वयं सेवी संगठन का सहयोग मिल रहा है। कुछ लोगों ने तो एलान किया है कि तालाब की मिट्टी निकालने में जो भी खर्च होगा उसका भुगतान वह करेंगे। यदि जनता को लगता है कि तालाब में बोर की जरूरत है तो वह भी कराया जाएगा।
प्रकाश ने बताया कि पहले दिन माधो सिंह को सरकंडा थाने से काम बंद करने की धमकी मिली थी। दूसरे दिन तालाब पर दावा करने वालों ने माधो सिंह को बातचीत करने के लिए बुलाया है। लेकिन माधों सिंह ने मिलने से इंकार कर दिया है।
प्रकाश ने बताया कि स्वयंसेवी संगठन और कुछ नरम दिल ग्रामीणों ने श्रमदान करने वालों को मुफ्त में चाय बिस्किट दे रहे हैं। तीन घंटे के श्रमदान में सैकड़ों श्रमदानियों को काम के दौरान मुफ्त में कई बार चाय विस्किट दिया जा रहा है।
8 साल की बच्ची और 90 साल के बद्ध ने किया श्रमदान
प्रकाश ने बताया कि तालाब में आठ साल की बच्ची ने श्रमदान किया। इसी तरह अलग अलग उम्र के लोगों ने भी श्रमदान किया। 90 साल के बुजुर्ग ने श्रमदान कर युवक युवतियों का साहस बढ़ाया।