बिलासपुर।संविलयन सहित कई माँगों को लेकर शिक्षा कर्मियों का आँदोलन दूसरे दिन भी जारी है। शिक्षाकर्मियों की हड़ताल की वजह से स्कूलों में पढाई ठप्प हो रही है। आँदोलनरत शिक्षक नेहरू चौक पर धरना दे रहे हैं। जिसमें जिले भर के शिक्षा कर्मी जुट रहे हैं। इस दौरान शिक्षा कर्मियों को अपनी बात रखने का मौका मिल रहा है। जिसमें बोलने वाले शिक्षा कर्मियों का दर्द उभरकर सामने आ रहा है। कल्लाहट भरे स्वर में वे अपने दिल की बात रख रहे है। जिसमें यह बात भी उठ रही है कि प्रदेश के शिक्षा कर्मियों की इस बदहाली के लिए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह जिम्मेदार हैं….जो शिक्षा कर्मियों के इतने बड़े संगठन के आँदोलन को लेकर जरा भी संजीदा नहीं है……।
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एक वक्ता ने तो यह सवाल भी उठाया कि कहीं यह मुख्यमंत्री का चुनावी हथकंडा तो नहीं है….जो खुद चाहते हैं कि हड़ताल होती रहे और उनका नाम चौक – चौराहों पर गूँजता रहे……।प्रदेश के 1 लाख 80 हजार शिक्षा कर्मियों की ताकत को कमतर आँकने के मामले में सीएम के केलकुलेशन को कमजोर भी बताया जा रहा है।
बिलासपुर के नेहरू चौक से कवर की गई इस खबर के साथ हम एक शिक्षा कर्मी के भाषण की ऑडियो क्लिप भी अपने पाठकों के लिए पेश कर रहे हैै। जिसमें आँदोलन के लिए मजबूर हुए शिक्षा कर्मियों का दर्द छलक रहा है। जिसमें कहा गया है कि शिक्षा कर्मियों के साथ उनके पूरे परिवार को भी धरना देना चाहिए । तर्क दिया गया है कि दाई-ददा-लइका सहित परिवार के सभी लोग शिक्षा कर्मी की तनख्वाह का 95 फीसदी उपयोग करते हैं। उनकी भी अपनी पीड़ा है…. । यह पीड़ा जिस दिन सामने आएगी उस दिन धरना स्थल- नेहरू चौक की क्या हालत होगी और…. चाँउर वाले बाबा कहां जाकर छिपेंगे….। परीक्षा के समय हड़ताल क्यों …..? यह सवाल उठाने वालों का जवाब देते हुए कहा गया कि पिछले बरसों से शाला प्रवेश उत्सव से लेकर तिमाही-छिमाही-वार्षिक परीक्षा तक सारी जिम्मेदारी शिक्षा कर्मी ही उठा रहे है। शिक्षा कर्मियों को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास है और हम पढ़ाई में हो रहे नुकसान की भरपाई करेंगे।
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शिक्षा की गुणवत्ता पर भी यह बात कही गई कि केवल पैरा-भूँसा के भरोसे गाय कितना दूध देगी…….। जब तक शिक्षक समुदाय संतुष्ट नहीं होगा तब तक इसमें सुधार कैसे आ सकता है……। इस बारे में वित्तीय घाटे का हवाला देने वालों का जवाब देते हुए कहा गया कि अगर सरकार शिक्षा के नाम पर मंजूर होने वाले बजट का 5 फीसदी हिस्सा भी शिक्षा कर्मियों पर खर्च कर दे तो सरकार की खिंचाई नहीं होगी……। भाषण में यह बात भी उठाई गई कि शिक्षकों की बदहाली के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ही जिम्मेदार हैं……। कई बार लगता है कि कही यह उनका चुनावी हथकंडा तो नहीं है…… कहीं वो खुद भी हड़ताल कराना तो नहीं चाहते हैं…..। ताकि इस बहाने चौक-चौराहों पर उनका नाम गूँजता रहे…..। वो छलिया हैं…. छल रहे हैं….।
भाषण में यह भी कहा गया कि जब हड़ताल के पहले संगठन के साथ सचिव स्तर की वार्ता हुई उस समय कहा गया कि संविलयन का फैसला मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ही कर सकते हैं। मैराथन दौड़ के बाद जब मुख्यमंत्री से बात हुई तो उन्होने एक ही बात कही कि शिक्षा कर्मियों की मांगो पर विचार करेंगे और तीन महीने में कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी…..। इससे ही लगता है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा कर्मियों के इतने बड़े संगठन के आँदोलन को लेकर वे कितने संजीदा हैं…..। भाषण में यह भी कहा गया कि छत्तीसगढ़ में 1 लाख 80 हजार शिक्षा कर्मी हैं….. हर एक शिक्षा कर्मी से कम – से – कम 10 लोग जुड़े हुए हैं…..। इसे समझना चाहिए ….. इस मामले में शिक्षा कर्मियों का कैलकुलेटर तो काफी तेज है…..। लेकिन सीएम रमन सिंह का कैलकुलेटर लेट चल रहा है…..। उनका जोड़ना – घटाना सब लेट है….।
नेहरू चौक पर चल रहे धरना आँदोलन से जिस तरह की आवाज उठ रही है……. उसे सुनकर लगता है कि काफी गुस्से और कल्लाहट के बाद शिक्षा कर्मी हड़ताल पर उतरे हैं और उनका यह आँदोलन तब तक जारी रहेगा , जब तक उनकी एक-एक माँग पूरी नहीं हो जाती…..।