रायपुर।स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय रायपुर के वार्षिकोत्सव ’आयुर्फेस्ट 2017’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। श्री चंद्राकर ने इस मौके पर कहा कि जितना हमें छत्तीसगढ़ी पर गर्व है, उतना ही आयुर्वेद पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो अपने देश की भाषा, संस्कृति और परम्परा को भूलता है, वहां की अस्तित्व कमतर हो जाती है। आयुर्वेद सिर्फ इलाज की पद्धति नहीं है, बल्कि यह हमारी प्राचीन संस्कृति भी है। चंद्राकर ने कहा कि जब समुद्र मंथन हुआ था तो उसमें से एक रत्न भगवान धनवन्तरि उत्पन्न हुए थे। उन्होंने विभिन्न नीतियों जैसे चाणक्य नीति, विदुर नीति आदि का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत की यह नीति पूरी दुनिया को रास्ता दिखाती हैै। उन्होंने विदेशी संस्कृति के अंधानुकरण पर कहा कि जो संस्कृति विदेशों में रिजेक्ट होने लगते हैं, उसको हम अपनाने लगे हैं।
चंद्राकर ने कहा कि संस्कृत समृद्ध भाषा है, दुनिया में अभी तक इससे ज्यादा समृद्धशाली भाषा नहीं बन पायी है। हम विदेशी संस्कृति और परम्परा के अंधानुकरण के चलते अपनी जड़ों से हटते जा रहे हैं। अपने-आप में हीनता का भाव महसूस करने लगे है, जो भारतीय संस्कृति और परम्परा के हिसाब से ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उदारीकरण के दौर के बाद हमारे खान-पान में काफी बदलाव आने लगा।
चंद्राकर ने कहा कि वर्तमान दौर में भारतीय संस्कृति और परम्परा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश-दुनिया में साधु-संतों, ऋषि मुनियों ने जो दिया है, उस पर हमें गर्व है। हमें अपने संस्कृति और अपने परम्परा से प्रेम करना चाहिए।