शिक्षाकर्मियों की चलने लगी उल्टी सीधी सांस…सरकार का नया फरमान…गैर हड़ताली शिक्षकों की सूची भेजें

Editor
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बिलासपुर—मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद छत्तीसगढ़ में उम्मीद की किरण जगी है। लेकिन शासन के नए फरमान से शिक्षाकर्मियों की दिल की धड़कनें बढ़ गयी हैं। रहस्यमय सरकारी फरमान जारी होने के बाद एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी हैरान ही नहीं बल्कि परेशान नजर आने लगे हैं।जानकारी के अनुसार सरकार ने फरमान जारी कर शिक्षा विभाग से अनिश्चित हड़ताल में शामिल शिक्षाकर्मियों की  सूची तैयार करने को कहा है। पत्र में सरकार ने 20 नवंबर से 4 दिसंबर 2017 की अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल नहीं होने वाले शिक्षाकर्मियों की जानकारी भेजने को कहा है। आदेश की जानकारी मिलने के बाद प्रदेश के सभी शिक्षाकर्मियों में हड़कम्प है।शिक्षाकर्मियों में सरकारी आदेश को लेकर कानाफूसी शुरू हो गयी है। नाराज शिक्षाकर्मियों ने फरमान को लेकर अलग अलग अर्थ भी निकालना  शुरू कर दिया है। हालांकि शिक्षा जगत से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि आदेश के पीछे कोई बड़ी वजह नहीं है। आदेश का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। बावजूद इसके शिक्षाकर्मियों के बीच आदेश को लेकर गहन विचार विमर्श के साथ बहस जारी है।बताया जा रहा है कि जानकारी जुटाने का काम तेजी से शुरू भी हो गया है। रायपुर के आरंग विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय  से 25 जनवरी को जानकारी जुटाने के आदेश के बाद शिक्षाकर्मी परेशान हैं।आरंग बीईओ ने पंचायत संचालक ने पत्र का हवाला देते हुए बताया कि सभी प्राचार्य, प्रधान पाठक और उच्चतर माध्यमिक शाला, हाईस्कूल, पूर्व माध्यमिक शाला, प्राथमिक शाला प्रमुखों पत्र जारी कर हड़ताल में शामिल और नही शामिल होने वालों की जानकारी मांगी गयी है।

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शिक्षाकर्मियों की माने तो हड़ताल खत्म होने के महीने बाद अचानक इस प्रकार का फरमान समझ से परे है।सवाल उठना लाजिम है कि आखिर आंकड़ों को जुटाने के पीछे सरकार की मंशा क्या है। क्या सिर्फ हड़ताली शिक्षाकर्मियों का आकलन है या फिर ठीक वैसी ही कवायद हो रही है जैसे लोक सुराज अभियान केमें राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मियों के मुद्दे एक हिडेन सर्वे कराया। सर्वे में आम लोगों ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन के पक्ष में जमकर आवेदन दिये हैं।नवीन शिक्षा कर्मी संघ प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार नामदेव ने कहा कि हड़ताल समाप्ति के महीनों बाद इस तरह की जानकारी पूरे प्रदेश से एकत्र करवाना समझ से परे है। नामदेव ने संविलियन की मांग को दुहराते हुए कहा कि जब मध्यप्रदेश सरकार शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर सकती है तो छत्तीसगढ़ सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती है।

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