संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों की तनख्वाह दो-तीन महीने से अटकी

Shri Mi
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बिलासपुर।पिछले 23 साल से शोषित रहे शिक्षाकर्मियों के जीवन में यह दशहरा बहुत खास रहा। प्रदेश के एक लाख अस्सी हजार शिक्षाकर्मियों में से एक लाख से अधिक  शिक्षाकर्मियों का संविलियन हो गया और बाकी के बचे शिक्षाकर्मियों का संविलियन धीरे धीरे एक प्रक्रिया में होता रहेगा। संविलियन हुए शिक्षकों के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक विसंगतियों को छोड़ दिया जाय तो संविदा के रावण का अंत हो चुका है।और स्थिर और सुरक्षित भविष्य के साथ इनके जीवन में राम राज्य आ चुका है।परंतु यह दशहरा उनके लिए अभी भी शोषण से भरा रहा जिनका संविलियन नहीं हुआ है। बीईओ और सीईओ के बीच 8 साल की सेवा से कम के शिक्षाकर्मियों के वेतन भुगतान का ऑफिस – ऑफिस का खेल किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश के कई ब्लॉक में आज भी आबंटन होने के बाद भी  पिछले 2 से 3 महीने की तनख्वाह शिक्षाकर्मियों की अटकी हुई है।
नवरात्र गुजर गई दशहरा भी गुजर गया, बचे हुए शोषित वंचित  शिक्षाकर्मियों के जीवन में अफसरशाही दिवाली की चमक ला पाती है कि नही ला पाती यह तो वक्त बताएगा, पर राम राज्य इनके जीवन मे नही आया है। इनकी सिर्फ कल्पनाओं में राम राज्य है।आज इनकी पहली प्राथमिकता समय पर वेतन भुगतान है। जबकि संविलियन हुए शिक्षक LB के  जीवन में  आये राम राज्य में महीने की 28 तारीख से ही तनख्वाह आनी शुरू हो जाती है।
आचार संहिता के चलते शिक्षक नेता भी सीमाओं में बंध कर रह गए है। इधर चुनाव आयोग की मंशा मतदान को मतदान पर्व के रूप में मनाने की है। इस पर्व को मनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में अधिकारी लगे हैं। वही इन अधिकारियों को सामान्य मनुष्य से अधिकारी बनाने वाली संस्था के शिक्षक चुनाव पर्व में वेतन भुगतान के लिए आस लगाए बैठे हैं, जबकि सब ऑनलाइन है घंटों के काम मिनटों में होते हैं जमाना ऑनलाइन का है वेतन भुगतान से संबंधित लगभग सारी प्रक्रिया ऑनलाइन ही है।
फिर भी शिक्षकों के वेतन में महीनों की देरी शासन प्रशासन का शिक्षकों के प्रति उदासीन रवईया को प्रदर्शित करता है। अब प्रश्न यह उठता है कि वह शिक्षक जो स्वयं और उसका परिवार बिना वेतन के दशहरा,दीपावली जैसे त्योहार बिना उत्साह उमंग के गुजरता है वह चुनाव त्योहार,मतदान त्योहार को कितनी उत्साह उमंग के साथ मना पाएगा।
By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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