बिलासपुर।केन्द्रीय बजट में कर्मचारियों को अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 से आयकर स्लैब में छूट देने की घोषणा केवल आंकड़ो की बाजीगरी है। 5 लाख तक आय पर आयकर में छूट होना प्रचारित किया जा रहा है।जबकि हकीकत कुछ और परिलक्षित हो रहा है।छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,जशपुर जिला अध्यक्ष विनोद गुप्ता एवं महामंत्री संजीव शर्मा ने बताया कि ऐसे करदाता जिनका वार्षिक आय 5 लाख तक है,उनको आयकर अधिनियम की धारा 87 A में 12500 रु की छूट प्राप्त होने का उल्लेख किया गया है।जो कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह छूट कर योग्य आय रु 3 लाख 50 हजार तक आय होने पर 2500 रु था।उन्होंने बताया कि धारा 87 A में हुए रु 12500 के छूट से स्पष्ट हो रहा है कि 2 लाख 50 हजार तक आयकर शून्य है।लेकिन 2.5 लाख से 5 लाख तक आय पर 5 % आयकर यथावत है।
जो कि रु 12500 आयकर एवं 4 % सेस रु 500 सहित कुल रु 13000 देना होगा। जोकि 5 लाख तक आय वाले करदाताओं के लिए धारा 87 A में रु 12500 के छूट के कारण देय आयकर शून्य हो जाएगा।उन्होंने बताया कि 1 फरवरी 2019 को केंद्र सरकार के घोषित अंतरिम बजट में, 5 लाख से 10 लाख तक आयकर का दर 20 % एवं 10 लाख से अधिक आय पर 30 % यथावत रखा गया है।
जो कि अप्रैल 2019 में भी प्रभावशील है।उन्होंने बताया कि बजट घोषणा से,आम धारणा यही बना है कि,5 लाख तक आयकर नहीं लगेगा। सही नहीं है।उन्होंने जानकारी दिया कि 5 लाख से अधिक आय वाले करदाताओं को 2.5 लाख तक छूट रहेगा।लेकिन 2.5 लाख से 5 लाख तक के आय पर रु 12500 आयकर देना होगा। साथ ही 5 लाख से 10 लाख तक के आय पर 20 % तथा 10 लाख से अधिक आय पर 30 % आयकर देना होगा। इस प्रकार कुल देय आयकर पर सेस 4 % जोड़कर आयकर का भुगतान करना होगा।
फेडरेशन प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी का कहना है कि धारा 80 C एवं 80 CCC के अधीन बचत की सीमा को बढ़ाया जाता तो करदाताओं को राहत मिल सकता था। कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा विभिन्न योजना एवं पॉलिसियों में इन्वेस्टमेंट किया जाता है। जिसे सरकार को विभिन्न विकास के योजनाओं पर खर्च करती है। अतः 80 C एवं 80 CCC में छूट की राशि को 3 लाख किया जाना चाहिए।