बिलासपुर— आज दिन भर की बड़ी घटनाक्रम में नेता प्रतिपक्ष का चाय पर जोगी का बुलावा सुर्खियों में रहा। बंद कमरे में चाय के साथ तीखा हुआ या मीठा इस बात को लेकर खबर नवीशों के बीच जमकर चर्चा हुई। इस मुलाकात को संगठन के नेता सामान्य बताने की कोशिश करते रहे । तो वहीं राजनीति के पंडितों ने जोगी की चाय पार्टी को बहुत गंभीरता के साथ लिया है।
नेता प्रतिपक्ष एक दिन पहले बिलासपुर पहुंचे पत्रकारों से चर्चा के दौरान प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। लेकिन अमित जोगी की एकला चलो नीति के प्रश्नों से किनारा करते नजर आए थे। दूसरे दिन मरवाही विधायक की चाय पार्टी .. शांत कांग्रेस की राजनीति में तरंग उठाने वाला कंकड़ साबित हुआ है। प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल और संभागीय प्रवक्ता अभय ने चाय पार्टी को सौजन्य मुलाकात का रूप दिया है।
जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह से मरवाही विधायक अमित जोगी नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव को चाय पर बुलाकर अपना एजेन्डा और पक्ष रखना चाहते थे। इस बीच शुभ मुहुर्त नहीं बना। जब बना तो कांग्रेस की प्याली में तूफान जैसा उठा गया। जोगी की चाय पर टी.एस.सिंहदेव तो पहुंचे लेकिन संगठन के अधिकतर नेताओं ने पार्टी में शिरकत करना मुनासिब नहीं समझा। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि सिंहदेव का जोगी के चाय पर जाने से संगठन के अन्य नेताओं की नाखुशी खुशी में बदल गयी है।
बताया जा रहा है कि जोगी ने एसएमएस के जरिए टी.एस को अपने घर चाय पर आने का निवेदन किया। उस समय अमित जोगी मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया के साथ रायगढ दौरे पर थे। टी.एस ने भी उनकी टी पार्टी को स्वीकार किया। लेकिन जिले के नेताओं ने चाय पर जाना मुनासिब नहीं समझा। चाय पार्टी के दौरान मीडिया को भी अंदर नहीं जाने दिया गया।
संगठन के कुछ पदाधिकारियों की माने तो अमित जोगी चाय के बहाने टी.एस.सिंहदेव को खुश कर अन्य नेताओं पर प्रभाव डालने का प्रयास किया है। सच्चाई यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष के आदेश के बाद जोगी ने किसी ना किसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में खुद को गरीबों का नेता बताने का प्रयास किया। इस बीच आउससोर्सिंग मुद्दा भी छाया रहा है। जबकि संगठन का इस मुद्दे को लेकर बहुत उत्साहित नहीं था। बावजूद इसके अमित जोगी ने नेता प्रतिपक्ष के आदेश को ना मानते हुए एकला चलो की नीति अपनाई। इस बात को लेकर टी.एस सिंहदेव नाराज थे। लेकिन इस समय की नाराजगी कहीं मरवाही विधायक के लिए भारी पड़ सकती थी।
बताया जा रहा है कि आलाकमान के सामने भूपेश बघेल ने जोगी के एकला चलो की नीति को रखा था। ऊपर स्तर पर इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है। इसके बाद लगातार मरवाही विधायक पर दबाव बना। दबाव को कम करने के लिए ही सिंहदेव को चाय पर बुलाया गया।
अर्थ का अनर्थ नहीं निकाले
मीडिया इस बात जबरदस्ती तूल दे रही है कि आखिर टी.एस.सिंह देव का चाय पर जाने का क्या अर्थ है। यह सामान्य मुलाकात है। जोगी ने चाय पर बुलाया और नेता प्रतिपक्ष चाय पर गये। इसे बतंगण बनाना ठीक नहीं है। नेता प्रतिपक्ष और मरवाही विधायक की मुलाकात एक सामान्य मुलाकात की ही तरह है। संगठन वही कर रहा है जो पीसीसी का आदेश होता है। इसे गुटबाजी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।जोगी का एक दिन पहले नेता प्रतिपक्ष से नहीं मिलना साबित करता है कि वह अपने किसी काम में व्यस्त थे। इसकी जानकारी नेता प्रतिपक्ष को है।
अटल श्रीवास्तव..महामंत्री..पीसीसी छत्तीसगढ़
सौजन्य और व्यक्तिगत मुलाकात
टी.एस.सिंहदेव का जोगी की चाय पर जाना एक सौजन्य भेंट और चर्चा का हिस्सा है। इसे तूल दिया जाना ठीक नहीं है। सदन चल नहीं रहा है। इस बीच क्या गतिविधियां क्षेत्रों में चल रही हैं। ऐसे तमाम मुद्दों को लेकर उनमें चर्चा हुई है। आगे और क्या बेहतर किया जा सकता है। सरकार को सदन में घेरने की रणनीति पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा कुछ नहीं। गुटबाजी जैसी बात मीडिय़ा की उपज है। संगठन मजबूती के साथ सरकार की कुनीति और बदनियत के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।
अभय नारायण राय..संभागीय प्रवक्ता. बिलासपुर कांग्रेस