अब गुरूजी छात्रों के घर – घर जाएंगे अण्डा पहुंचाने ….? केदार जैन बोले – नए – नए प्रयोगों से बढ़ रही परेशानी

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बिलासपुर।अब गुरुजी  छात्रो के घर-घर जाएंगे अण्डे देने..?  BEO और DEO यह भी निरीक्षण करेंगे कि शिक्षकों ने छात्रो के घर मे अण्डे दिए हैं कि नही ..? अण्डे के फंडे में मीड डे मिल की व्यवस्था से ध्यान हटा दिया गया है।मिड डे मिल को लेकर शासन का निर्देश है कि भोजन में अण्डा दिए जाने के लिए आम सहमति न हो, तो ऐसी शालाओं में मध्यान्ह भोजन के साथ अण्डा न देकर उनके घर  पहुंचा कर पूरक आहार के प्रदाय की पूर्ति शाला विकास समिति द्वारा विकसित की जाए। शासन के इस आदेश से शिक्षक चिंतित हो गए हैं। शिक्षक नेता केदार जैन ने इस विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि सरकारें शिक्षक की भूमिका तय नही कर पाई है। शिक्षकों पर नए- नए प्रयोग  हो रहे है। इतना प्रयोग तो एडिसन ने बल्ब बनाने के लिए भी नही किया था। शिक्षा विभाग और प्रशासन के आये दिन के नए नए  फरमान शिक्षकों को नए नए कार्यो में संलग्न किये जाने और अजीबो गरीब  निर्णयो से  विद्यार्थियों के बीच शिक्षक की महत्व को कम हो जाय। यह गहन अध्यन का विषय है।उन्होंने ने बताया कि कुछ शिक्षक भी शाकाहारी होते है। मिड डे मिल बच्चों से पहले चख कर उसकी गुणवत्ता देखते है। शासन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए ..! सीजीवाल डॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देशों की माने तो मिड डे मिल का संचालन स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जाता है।सारा वित्तीय प्रबंध समूहों के हाथ मे रहता है। वही शिक्षकों का कहना है कि एमडीएम की सारी जवाबदेही प्रधान पाठकों की रहती है । बच्चों को मिड डे मिल खिलाने से लेकर उनकी उपस्थिति और खाने की गुणवत्ता,मेन्यू का पालन,स्वच्छता का ध्यान भी शिक्षक जांचते है। 

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प्रदेश के ज्यादातर  प्रायमरी और मिडिल स्कूलों में एक या दो ही शिक्षकों के सहारे स्कूल का संचालन किया जा रहा है और वे शिक्षक प्रधान पाठक हेडमास्टर के प्रभारी का काम भी देख रहे है। शाला विकास समिति सिर्फ नाम की रहती है। अगर घर- घर अंडे देने की स्थिति बनती है तो शिक्षको की जवाबदारी बढ़ जाएगी।

आपको बताते चले कि स्कूल के बच्चे की शाला में जिस दिन उपस्थिति होती है उसके लिए सरकार प्राइमरी  स्कूल में 4.20 और मिडिल स्कूल में  6.20 लगभग खर्च करती है। मिड डे मिल में अगर अंडे को शामिल किया जाता है।तो एमडीएम के प्रति छात्र पर खर्च के बराबर एक अंडे की कीमत  5 से 6 रुपये प्रति नग होती है। अगर कोई ठेकेदार सप्लाई करता है तो हो सकता है कि इसकी कीमत कम हो जाये। अब कितनी ईमानदारी इस अण्डे के फंडे में होगी यह तो वर्तमान में एमडीएम की व्यवस्था से अंदाज लगाया जा सकता है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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