AU प्रबंधन ने बताया…शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा…दूर करेंगे गड़बड़ी..प्राध्यापकों ने कहा..मामले को राज्यपाल के सामने रखेंगे

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

बिलासपुर—-अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि अध्ययन मण्डल गठन को लेकर कुछ शिकायतें आयी है। काफी हद तक गड़बड़ियां देखने को भी मिली है। जल्द ही एक एक शिकायतों को दूर किया जाएगा। प्रबंधन की तरफ से यह भी बताया गया कि आखिर इस प्रकार की गड़बड़ी हुई क्यों…इस बात का भी पता लगाया जाएगा। जानकारी देतें चलें कि छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम की गाइड लाइन को दरकिनार कर अटल बिहारी वायपेयी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अध्ययन मण्डल गठन करते समय भारी अनियमितता को अंजाम दिया है। इस बात को लेकर विश्वविद्यालय  के प्राध्यपाकों में आक्रोश है। मामला राज्यपाल तक पहुंच गया है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

बताते चलें कि कुछ दिनों पहले ही अटल बिहारी वाजेपयी विश्वविद्यालय में बीओसी याानि बोर्ड ऑफ स्टडीज टीम का गठन किया गया। विश्वविद्यालय में चले वाले अलग अलग संकायों के लिए बोर्ड में सदस्यों को नियुक्त किया गया। वरिष्ठता सूची के साथ बोर्ड संकायों की सूची जारी होने के बाद प्राध्यापकों ने जमकर चोरी छिपे नाराजगी जाहिर किया। शिकायत के बाद भी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने आपत्तियों को दरकिनार कर दिया।

नाम नहीं छापने की शर्त पर आधा दर्जन प्राध्यापकों ने बताया कि विश्वविद्यालय में बैठे कुछ लोग बोर्ड में गठन में भारी अनियमितता को अंजाम देकर छात्रों की वजाय अपने हितोषियों का हित किया है। बोर्ड गठन के समय ना तो सीनियारिटी का ध्यान रखा गया है। और ना ही 1973 यूजीसी गाइड लाइन का पालन ही किया है।

सीनियर प्राध्यापकों ने बताया कि प्रबंधन ने सीनियारिटी सूची जारी करने में भारी लापरवाही को अजाम दिया है। इसके बाद अध्ययन मण्डल में भी भारी भरकम गड़बड़ी कर प्राध्यापकों में आक्रोश जाहिर किया है। प्राध्यापकों  ने बताया कि छत्तीसगढञ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के अनुसार बोर्ड में प्राथमिकता के आधार पर सीनियर को मौका पहले दिया जाना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान में रखना होता है कि तीन साल बाद निवर्तमान सदस्यों को बोर्ड में नहीं लिया जाए। कुल मिलाकर विश्वविद्यालय अधिनियम में स्पष्ट है कि सदस्यों को रोटेशन के अनुसार मौका दिया जाए। बावजूद इसके प्रबंधन ने नियमों को दरकिनार किया है। 

कुछ लोग एक दशक से बोर्ड में काबिज हैं। इसके अलावा बोर्ड में रखे गए सदस्यों से कहीं ज्यादा सीनियर प्राध्यापकों को एक बार भी मौका नहीं दिया गया। कई अध्ययन मण्डल में बाहरी विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को रखा गया है। ऐसे लोग बोर्ड में सालों साल से काबीज हैं।विषय का प्राध्यापक होने के बाद भी संविदा प्राध्यपकों को बोर्ड में शामिल किया गया है। मजेदार बात है कि तथाकथित विषय के प्राध्यापक को आज तक बोर्ड में स्थान नहीं दिया गया।

नाराज प्राध्यापकों ने बताया कि हद तो तब हो गयी जब सूची में मृतक प्राध्यपको भी स्थान दिया गया है। हमने शिकायत की है बावजूद इसके हमारी शिकायतों को विश्वविद्यालय ने गंभीरता से नहीं लिया है। जरूरत पड़ी तो हम राज्यपाल के सामने अपनी बातों को रखेंगे।

गड़बड़ियों को किया जाएगा दूर…

विश्वविद्यालय की  डिप्टी रजिस्ट्रार नेहा ने बताया कि हम सीनियारिटी लिस्ट कालेज से मंगवाते हैं। नियमानुसार सूची तैयार कर अध्ययन मण्डल की सूची  कुलपति के सामने रखते हैं। अब तक  बोर्ड गठन को लेकर कोई शिकायत नहीं थी। इस बार कुछ शिकायतें मिली है। मामले को गंभीरता के साथ लिया जा रहा है। पतासाजी के बाद गलतियों को दूर किया जाएगा। सूची तैयार करते समय ना केवल सीनीयारिटी और जूुनियारिटी का ध्यान रखा जाएगा। बल्कि यूजीसी गाइड लाइन का भी ख्याल रखा जाएगा।

close