आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम से होगा क्रांतिकारी बदलाव…CPRO रंजन ने बताया…ऐसी स्थिति में मौके पर ही रुक जाएंगी गाड़ियां

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—बालासोर ओडिशा में रेलवे हादसा के बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे प्रसासन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से सतर्क है। ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली के माध्यम से सुरक्षा व्यवस्था का लगातार जायजा लिया जा रहा है। नई तकनीक के जरिए एक सेक्शन में एक साथ  एक से अधिक ट्रेन को दौड़कर व्यवस्था को रेल प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता भी कर रहा है।
 
परंपरागत सिस्टम को किया जाएगा अपग्रेड 
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे आधुनिक एवं सुविधायुक्त तकनीकी का उपयोग कर यात्री सुविधाओं को बेहतर करने का लगातार प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में आधुनिक एवं उन्नत तकनीक के तहत सुरक्षित परिचालन को लेकर परंपरागत सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड कर आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है ।
रेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार ऑटो सिग्नलिंग व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने की सुरक्षा देता है। प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रेफिक को नियंत्रित भी करता है। एसईसीआर सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगने से ट्रेनों को बेवजह कहीं भी खड़ी नहीं होना पड़ेगा।  एक ही रूट पर एक के पीछे एक गाड़ियों की  बिना देरी आसानी से चल परिचालन होगा। साथ ही इसके कई लाभ भी हैं।
रफ्तार के साथ ट्रेन की संख्या बढ़ेगी
सीपीआरओ ने बताया कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में नागपुर से दुर्ग के बीच सेक्शनल स्पीड बढ़ाकर राजधानी रूट के समकक्ष 130 किलोमीटर प्रतिघंटा किया गया है। ऑटोमेटिक सिग्नल से रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या बढ़ेगी। इसके अलावा कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
 
 
एक दूसरे के पीछे चलंगी गाड़ियां
स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी होती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को सूचना मिल जाएगी। इसके बाद ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएंगी।
एक ही समय..एक पटरी पर चलेगी दो गाड़ियां
साकेत रंजन ने बताया कि पहले जहां दो स्टेशनों के बीच एक ही ट्रेन चलती थी। ऑटो सिग्नलिंग से दो स्टेशन की बीच दूरी के अनुसार 2, 3 या 4 गाड़ियां चलेंगी। औसतन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर होती है। ट्रेन यह दूरी त 15 मिनट में पूरी करती है। पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। अब समय को कम कर सात से आठ मिनट किया जा रहा है।  जिससे अब वर्तमान समय में दो ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। रेलवे दो स्टेशन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल स‍िस्टम लगाने जा रहा है। बीच के सिग्नल को पार करते ही दूसरी ट्रेन चला दी जाएगी।15 मिनट के स्थान पर सात से आठ मिनट में ही दूसरी ट्रेन चलाई जाएगी।
यहां किया गया आटोसिग्नलिंग का प्रयोग
दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के कलमना से दुर्ग (265कि.मी.), जयरामनगर – बिलासपुर – बिल्हा (32 कि.मी.) और बिलासपुर – घुटकू (16 कि.मी.) सेक्शन में ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली अपनाया जा चुका है। निकट भविष्य में चांपा से गेवरारोड,जयरामनगर से अकलतरा एवं बिल्हा से निपनिया तक ऑटो सिग्नलिंग का प्रावधान किया जाएगा । 
उपलब्ध संसाधनों के आधार पर परंपरागत सिग्नलिंग सिस्टम तथा ट्रेन परिचालन के एबस्ल्युट ब्लॉक सिस्टम के स्थान पर विभिन्न सेक्शन में आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम लागू किए जाने का कार्य किया जा रहा है ।
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