बीत रहे बरस की बात- बिलासपुर की सियासतः शैलेष पांडे के नाम रहा 2021

Shri Mi
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बिलासपुर।कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के तीन साल पूरे हुए हैं। और अब इस साल का कैलेंडर भी बदल रहा है। इस मुकाम पर खड़े होकर अगर सरकार के तीसरे साल में बिलासपुर शहर में कांग्रेस की सियासत पर गौर करें तो यह साफ देखा जा सकता है कि कुलसचिव से विधायक बने शैलेश पांडे के राजनीति में आने के बाद 2021 का साल सबसे बेहतर गुजरा। कहा जा सकता है कि 2021 का साल शैलेश पांडे के नाम रहा। बिलासपुर शहर में कांग्रेस की राजनीति में शैलेश पांडे ने अपने विरोधियों को मात देने में कामयाबी हासिल की। साल के गुजरते – गुजरते जिस तरह बिलासपुर शहर को ज़ल्द ही बी ग्रेड का दर्जा दिए जाने की खबर आई उससे शहर के लिए उपलब्धि का एक और चैप्टर उनके नाम जुड़ गया है।

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यह बात अब काफी पुरानी हो चुकी है कि बिलासपुर शहर के मौजूदा विधायक शैलेश पांडे प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार रहे हैं। 2018 के चुनाव से पहले उन्होंने जब कांग्रेस पार्टी का दामन थामा तो इस तरह की हेडिंग के साथ खबर भी सुर्खियों में रही कि.. ऊंची उड़ान के लिए कांग्रेस में शैलेश पांडे का एराइवल हुआ है…। विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े और महत्वपूर्ण शहर बिलासपुर से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने इन लाइनों को साबित भी किया ।

जब 20 साल बाद बिलासपुर के कांग्रेसियों ने जीत का जश्न मनाया । लेकिन इसके बाद से सियासत का दौर जिस अंदाज में चला उससे यही संकेत मिलते रहे हैं कि शैलेश पांडे को कमजोर साबित करने के लिए कांग्रेस की खेमेबाज़ी पूरी रफ्तार से चल रही है। इस दौरान कई मौकों पर उन्हें किनारे करने की झलक के साथ तस्वीरें छपती रही। दो दशक के बाद बिलासपुर शहर के लोगों का भरोसा कांग्रेस के नाम करने वाले शैलेश पांडे लगातार जद्दोजहद करते रहे।
इसके बाद आया 2021 का साल। अगर इस साल भर चलती रही कांग्रेस की सियासत पर नजर डालें तो शैलेश पांडे पहले के मुकाबले अधिक ताकतवर और दमदार बनकर उभरते हुए नज़र आते हैं। ऐसा मानने के पीछे दलील यह है कि अगर इस साल हुए एक-एक घटनाक्रम की चीर- फाड़ करें तो हर सियासी मुकाबले में शैलेश पांडे अपनी ही पार्टी के विरोधियों के मुकाबले जीत दर्ज करने में कामयाब दिखाई देते हैं।

2021 की शुरुआत में ही सीएम भूपेश बघेल के बिलासपुर दौरे के समय ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तैयब हुसैन के साथ हुए विवाद की बात करें तो इसमें भी ज़ो कुछ हुआ उसे शैलेश पांडे के साथ इंसाफ़ ही कहा ज़ा सक़ता है। जनवरी महीने में हुई इस घटना के बाद कांग्रेस ने एक जांच कमेटी बनाई। जिसमें घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच -परख हुई। आख़िर में तैयब हुसैन को ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया।
विधायक बनने से पहले गैर राजनीतिक रहे शैलेश पांडे आम लोगों से जुड़े मुद्दों को मुखरता के साथ उठाने में कभी पीछे नहीं रहे। हालांकि कोरोना की पहली लहर के दौरान जरूरतमंद लोगों को खाना बांटने के मामले में उन पर जुर्म भी दर्ज हुआ। लेकिन पहले भी गृह मंत्री की मौजूदगी में पुलिस के एक कार्यक्रम के दौरान खुले तौर पर थानों में रेट लिस्ट को लेक़र कही गई उनकी ख़री-ख़री बात सुर्ख़ियों में रही ।

उनका इशारा इस ओर था कि पुलिस विभाग में बिना लेनदेन के कोई काम नहीं होता। अपनी ही सरकार के कामकाज पर इस तरह का कमेंट करके भी शैलेश पांडे सुर्खियों में आए। 2021 के साल उनके इस अंदाज की वजह से एक बार फिर पुलिस सिस्टम के खिलाफ उनकी मुखरता सामने आई। जब सिम्स में हुए कथित विवाद को लेकर कांग्रेस नेता पंकज सिंह पर जुर्म दर्ज हुआ। इस मुद्दे को लेकर अपने तमाम समर्थकों के साथ शैलेश पांडे कोतवाली थाने के घेराव में भी पहुंचे। उन्होंने कैमरे के सामने कहा कि हम टी.एस.सिंहदेव के आदमी हैं, क्या इसलिए पुलिस हमें ठोंक रही है…? उन्होंने यह सवाल भी उठाया की ऐसा करने का आदेश पुलिस को किसने दिया… ?

शैलेश पांडे की दलील यह भी थी कि पंकज सिंह जरूरतमंद व्यक्ति को इलाज में मदद करने सिम्स गए थे और उन पर बेबुनियाद आरोप लगाया गया है। शैलेश पांडे के इस मुखर अंदाज को लेकर कांग्रेस में बड़ी हलचल मची।यह वही दौर था जब छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के मुद्दे पर रायपुर से दिल्ली तक कांग्रेस में सरगर्मी थी। उस समय विरोधी पार्टी के लोगों ने भी इसे मुद्दा बनाया और इसे कांग्रेस के अंदर गैंगवार का नाम भी दिया था। बहरहाल उस समय शहर कांग्रेस ने एक मीटिंग बुलाकर कोतवाली के घेराव के मुद्दे पर विधायक शैलेश पांडे को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया और पीसीसी को भेजा।

यह शैलेश पांडे के लिए बड़ी परीक्षा की घड़ी थी। उस समय इस बात की चर्चा थी कि जिस तरह कबड्डी के खेल में क्राश पट्टी बंद करने के बाद रेडर के सामने चुनौती होती है कि वह क्रास पट्टी छूकर नॉटआउट वापस आए… या विरोधी टीम के एक-दो-तीन-चार खिलाड़ी को आउट कर वापस लौटे…. या फिर विरोधी टीम के पाले में कैच हो जाए…। जोख़िम से भरे इस दौर में लोगों को यह तौलने का मौका मिला था कि शैलेश पांडे शहर कांग्रेस की इस सियासी कबड्डी में अपने आप को किस पोजीशन पर साबित पाएंगे- ख़ुद आउट हो जाएंगे…? सामने वाली टीम को आउट करेंगे…? या फ़िर कैच हो ज़ाएगे…?।

लेकिन कड़े चैलेंज के बीच शैलेश पांडे बड़ी जीत हासिल करते हुए न केवल खुद नाट आउट रहे, बल्कि विरोधी टीम के खिलाड़ी को आउट करने में कामयाब भी हो गए। इस घटना के बाद शहर कांग्रेस की ओर से निष्कासन वाला प्रस्ताव पारित होने पर लोग ऊपर से शैलेश पांडे के खिलाफ किसी बड़ी कार्रवाई का इंतजार कर रहे थे। लेकिन हुआ उल्टा और पार्टी में शहर कांग्रेस अध्यक्ष को ही बदल दिया गया । जब प्रमोद नायक की जगह विजय पांडे शहर अध्यक्ष बनाए गए। शहर अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद विजय पांडे ने कोतवाली की घटना और विधायक के निष्कासन के मुद्दे पर कहा कि शहर कांग्रेस कमेटी ने यह कार्रवाई नियम के हिसाब से नहीं की थी।राजनीति के मैदान में इसे शैलेश पांडे क़ी बड़ी जीत के रूप में देखा गया।

बिलासपुर की तरक्क़ी क़ी बात करें तो शैलेश पांडे ने अरपा बैराज, हवाई सेवा, फ्लाईओवर, स्वास्थ्य और दूसरी सुविधाओं को लेकर विधानसभा में सवाल भी उठाए और बिलासपुर के विकास को लेकर लगातार सक्रिय भी रहे। 2021 की विदाई के समय यह खबर भी आई कि शैलेश पांडे की पहल पर बिलासपुर को बी ग्रेड सिटी का दर्जा देने पर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जल्दी ही इसकी अधिसूचना जारी होगी। इससे बिलासपुर शहर के लोगों की काफ़ी पुरानी मांग पूरी हो रही है और इससे आने वाले समय में बिलासपुर शहर को फायदा मिल सकेगा।

हालांकि बिलासपुर शहर में कांग्रेस की सियासत में खींचतान का सिलसिला काफी पुराना है और आने वाले समय में इसकी वजह से शैलेश पांडे के सामने चुनौतियां कम होंगी… इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती। लेकिन 2021 में जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस की सियासत में अपना परचम लहराया है … आगे भी इसकी लहर कायम रहेगी या नहीं इसकी गारंटी से ज़ुड़े सवाल का ज़वाब आने वाला साल 2022 ही दे सकता है।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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