CG ELECTION NEWS:गुलाब़ी ठंड की दस्तक.. चुनाव – दीवाली के मौसम में “ऑफ़र / डील ” की बहार….

Chief Editor
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CG ELECTION NEWS: ( गिरिजेय )  छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। मौसम बदलने लगा है। उधर चुनाव का मौसम भी आ गया है और दीवाली का माहौल भी बन रहा है।  यानी कई चीजे एक साथ……। करवट ले रहे मौसम के बीच चुनाव और दीवाली के माहौल में कारोबारी क्षेत्र और सियासी मैदान में एक – दो चीज़ों के बीच बड़ा दिलचस्प मेल नज़र आ रहा है। मसलन ऐसे ही मौसम में “ऑफर” भी आते हैं और “डील” भी होती है। घर में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों से लेकर इलेक्ट्रानिक ऑइटम और घर-मकान-फ़्लेट तक सब ज़गह ऑफर / डील की पेशकश करते हुए विज्ञापन भरे पड़े हैं। कोई भी देख सकता है कि कारोबारी क्षेत्र के साथ ही सियासत के मैदान में भी ऑफ़र और डील की दस्तक होने लगी है…।

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सियासत की बात करें तो छत्तीसगढ़ के चुनाव में अब दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी की लिस्ट करीब-करीब सामने आ गई है। कोई भी देख कर जान सकता है कि दरअसल चुनावी माहौल में ऑफर और डील का यह भी एक बेहतरीन मौका होता है। बड़ी पार्टियों में टिकट के कई दावेदार होते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि किसी एक को टिकट मिलती है और बाकी बेटिकट हो जाते हैं। जैसे ही लिस्ट आती है उस समय बेटिकट लोगों की नाराजगी सबसे हाई लेवल पर होती है। यानी तवा तरीके से गरम होता है। जिसमें रोटी क्या…… कोई भी चीज सेंकी जा सकती है। इसके बाद भी आपस में ऑफर और डील के मौके की गुंजाइश तो आखरी समय तक बनी रहती है। लेकिन जैसे दीवाली में किस कंपनी… या किस दुकान…… या किस दुकानदार की ओर से अच्छा और फायदेमंद ऑफर मिल रहा है…. उस पर लोगों की नजर रहती है। और कई बार इसी शुरुआती दौर में ही ऑफर का असर लोगों के दिलो दिमाग पर बस जाता है। कुछ इसी तरह उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल होते-होते अंदरुनी और बाहरी ऑफर को लेकर सुगबुगाहट दिख रही है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी दो बड़ी पार्टियां हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश के जमाने से ही छत्तीसगढ़ के इस इलाके में दोनों ही पार्टियों के बीच फैसला होता रहा है ।छत्तीसगढ़ बनने के बाद एक दो छोटी पार्टियां चुनाव में अपनी असरदार उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं । लेकिन अब तक किसी चुनाव में नतीजे के बाद ऐसी तस्वीर उभर कर सामने नहीं आई कि किसी पार्टी को लोगों ने इतनी सीट दे दी हो कि चुनाव के बाद किसी ऑफर या डील में हिस्सेदारी निभा सके। लिहाजा छत्तीसगढ़ के चुनावी बाजार में उम्मीदवारों की लिस्ट बनते समय ही ऑफर और डील का यह खेल शुरू करके अंत भी कर दिया जाता है।

छत्तीसगढ़ के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो चुनाव नतीजे पर तीसरी पार्टी के असर का हिसाब उस पार्टी से नहीं….. अलबत्ता उसके चुनाव निशान पर मैदान में उतरे उम्मीदवार के चेहरे से लगाया जाता रहा है। यानी अगर किसी विधानसभा सीट पर कोई पुराना परिचित और दमदार चेहरा नजर आता है तो वह चुनाव में अपना असर भी दिखा जाता जाता है और कभी-कभी जीत भी हासिल हो जाती है। 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में लोगों ने यह देखा भी था। अब यह देख रहे हैं कि बिखराव के बाद ऐसी पार्टी अब छत्तीसगढ़ के बड़े दलों के टिकट से वंचित दावेदारों के गुस्से पर अपने नए ऑफर / डील का हिसाब बिठाने की जुगत में लगी हैं। उनका नज़रिया कहता है कि बड़ी पार्टियों में टिकट पाने से रह गए दावेदार ही काब़िल और दमदार उम्मीदवार बन सकते हैं।इस फॉर्मूले को लेकर लोगों का मन टटोलने के लिए खुला ऑफर और डील का बड़ा बैग लेकर नेता दौरा भी कर रहे हैं । इस उम्मीद में … कि कुछ पंछी तो ज़ाल में फंसेंगे ही….। शायद इसी वज़ह से उनकी लिस्ट आने में देरी हो रही है।

छत्तीसगढ़ में चुनाव के लिए पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब दूसरे दौर में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। पर्चा दाखिल करने के लिए तयशुदा आखिरी तारीख के पहले ऐसे कुछ उम्मीदवारों के नाम आ सकते हैं , जिन्हें देखकर ऑफर और डील का हिसाब लगाया जा सकता है। जिसके लिए बस थोड़े समय का इंतजार करना होगा ।

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