सहायक शिक्षकों को बजट में मिलेगी सौगात..? पढिए फेडरेशन को CM भूपेश बघेल से क्यों है उम्मीद…

Shri Mi
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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार का बजट सत्र नजदीक है प्रदेश के सालाना बजट से सभी को बहुत ही उम्मीद है।यह बजट 2023 के चुनावो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। प्रदेश के कर्मचारी वर्ग में बीते साल शिक्षक आंदोलन अच्छा खासा चर्चा में रहा है। यह वर्ग बजट से बहुत सी उम्मीदे लगा रखा है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने सीजीवाल को एक चर्चा में बताया कि केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता,हड़ताल अवधि का लंबित वेतन भुगतान सहायक शिक्षकों व शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया और पुरानी पेंशन बहाली की मांग के बीच सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग कहीं गुम नहीं हुई है। हमारी सबसे पहली प्राथमिकता सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर होना चाहिए।

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मनीष का कहना है कि जैसे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के बजट भाषण के दौरान पुरानी पेंशन को फिर से लागू कर पूरे देश में एक नया संदेश दिया है। ठीक वैसे ही प्रदेश में आशाओं के बादल कुछ ऐसे ही बने है। शिक्षक कर्मठ और आशावान रहता है इसलिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से प्रदेश के सहायक शिक्षकों को ऐसी ऊमीद लग रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार के 2022-23 के सालाना बजट भाषण के दौरान सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर होने की कोई बड़ी सौगात मिल सकती है।

मनीष मिश्रा का कहना है कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति एक आर्थिक मामला है इस के बजट सत्र के दौरान घोषणा होने की सम्भावना सहायक शिक्षकों में बनी हुई है। कांग्रेस के जन घोषणा पत्र और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का वादा सबको याद है। एक बार चर्चा में उन्होंने कहा था कि पहला बजट किसानों का है दूसरा बजट आप लोगों का होगा इस बीच कोरोना का काल की वजह से परिस्थितियां आर्थिक रूप से सहायक शिक्षकों के विपरीत हो गई होंगी। पर अब ऐसी स्थिति नहीं है। चौथा बजट सहायक शिक्षकों का होना चाहिए। प्रदेश के सालाना बजट से यही उम्मीदे लगी हुई है।

मनीष मिश्रा ने बताया कि केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता और पुरानी पेंशन बहाली की मांग प्रदेश के सभी कर्मचारियों की जायज मांग है। यही चीजे दूसरे राज्यो में मिल रही है तो छत्तीसगढ़ इससे अछूता क्यो रह सकता है। प्रदेश के कर्मचारियों को भी बुढ़ापे में जीने का हक है।

शिक्षक नेता मनीष मिश्रा का कहना है कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति हमारी एक सूत्रीय मांग थी और रहेगी।
इसी विसंगति को दूर करने के लिए सहायक शिक्षक ब्लॉक से लेकर राजधानी रायपुर में हक की आवाज बुलंद करने के लिए तन मन और धन लगा चुका है।बीते हुए आंदोलन के दौरान घर वापसी के समय कई शिक्षक साथी सड़क दुर्घटना का शिकार भी हुए है। इनका परिश्रम योगदान व पीड़ा सहायक शिक्षक फेडरेशन के रहते व्यर्थ नहीं जाएगा। हक तो देना ही होगा ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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