CG NEWS:स्कूल का मॉडल बनकर रह गया है,तेलईकछार का पर्यटन स्थल, बदहाली के बीच फ्लोटिंग रेस्टोरेंट भी बंद..

Chief Editor

CG NEWS:सूरजपुर । एसईसीएल की एक बंद पड़ी कोयला खदान जिले के केनापरा की पोखरी  ग्राम तेल्लईकछार में स्थित है। सूरजपुर और अंबिकापुर जिला मुख्यालय के करीब बीच की यह जगह अब पर्यटन स्थल है। इसकी तारीफ करते हुए
प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी ने एक बार अपने ट्विटर से पोस्ट की थी। यह इलाका पर्यटन और महिला समूह के लिए रोजगार केंद्र के रूप बिश्रामपुर एसईसीएल के सीएसआर मद से डेवलप हुआ था। यहां के नजारे देख कर ऐसा लगता है कि स्कूल के विज्ञान माडल प्रतियोगिता में आए माडल से प्रभावित होकर इसे जमीन पर उतारा गया था। जिस वजह से इसके प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया…। वर्तमान में इस जगह पर महिला समूह के बोटिंग संचालन को छोड़ कर देखा जाए तो महज पांच साल में ही यह अब अव्यवस्था और अनियमितता की भेट चढ़ चुका है…।

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पांच साल पूर्व बने इस पर्यटन केंद्र में बना फ्लोटिंग रेस्टोरेंट अब बंद हो चुका है। निर्माण एजेंसी वन विभाग की ओर से बनाया गया छह नग काटेज निर्माण पूर्ण होने के दो साल बाद भी बंद पड़ा है …! सीएसआर मद, रोजगार गारंटी योजना, 15 वे वित्त आयोग के मद से करोड़ों रुपए खर्च होने बाद यह क्षेत्र बर्बादी की कगार में पहुंच गया है..। अब आलम यह है कि इस पर्यटन स्थल में बिजली भी नही है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में यहां निर्माण एजेंसियों ने मनमानी से काम किया है। कई प्रकार की सजावट और विद्युत सामग्री की खरीदी जम कर हुई है..। ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र को आकर्षक बनाने के किए कागज के फूल लगाए गए थे। अब नई सरकार के इस दौर में इस क्षेत्र में किए गए काम पर उंगली उठने लगी है।

इस क्षेत्र में हुए विकास कार्यों को देख कर ताजुब्ब होता है कि वन विभाग की ओर से  बांस और बांस की चटाई से सर्व सुविधायुक्त बनाए गए काटेज  को इस क्षेत्र में ऊंचे टीले पर काटेज वाले होटल की शक्ल दी गई थी। उसका बीते दो साल से उपयोग नहीं होने और मेंटेंसन न होने की वजह से इसमें दीमक लगाने लगी है…। काटेज में बनाई गई बांस की रेलिग भी टूट फूट गई है..। इसका रंग भी उखड़ रहा है। काटेज की छत का बांस सड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। आसपास बैठने के लिए बांस के छाया दार शेड अब टूटने लगे है । एक शेड तो टूट ही गया है। इन काटेज में एसी, पंखा, टीवी, फ्रिज, बाथरूम, सोफा, पलंग सहित तमाम लग्जरी सुविधाएं मौजूद है। जो दिन प्रतिदिन अव्यवस्था की शिकार हो रही है। एक आम सी हुई चर्चा में बताया जा रहा है कि इन काटेज के संचालन के लिए कोई ठेकेदार नही मिलने की वजह से इसे चालू नही किया गया है।

केनापारा के तेल्लई कछार ग्राम का यह पर्यटन केंद्र महिला स्व सहायता समूह के भरोसे ही चल रहा है। महिलाएं इस बंद पड़ी कोयला खदान में बोट संचालन कर रही हैं । वही इस क्षेत्र की देख भाल भी करती है । समूह का संचालन कर रही महिलाओं ने बताया कि बोट का मेंटेनेंस और इस बड़े से क्षेत्र में बने गार्डन की साफ सफाई समूह की सभी महिलाओं को करनी पड़ती है। 12 सदस्यो की तनख्वा के बाद पैसे बहुत कम बचते है। जिसकी वजह से यहां बिजली की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। यह क्षेत्र सोलर एनर्जी से चलने वाले दो बड़े स्ट्रीट लाइट से ही रोशनी दे रहा है। जो काफी नही है।

बिश्रामपुर SECL के सीएसआर मद से करीब आठ करोड़ में डेवलप हुए इस क्षेत्र को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। यहां बिजली से चलने वाले यहां सामानों की जमकर खरीदी हुई लेकिन यहां पर अब बिजली ही नहीं है। यदि बिजली आ भी जाए तो इसके बिल को पटाने के लिए एजेंसी कौन होगा यह भी तय नहीं..। बनाए गए छह नग कॉटेज की सुरक्षित रहने उम्र कितनी होगी यह भी तय नहीं। कुल मिलाकर सीएसआर मद सहित अन्य मदो के करोड रुपए पर केवल यहां पर रेखाएं खींचीते हुए व्यवस्था के जिम्मेदार लोगो ने सुर्खिया तो बटोरी है। पर इसकी गुणवत्ता और इसके लंबे समय तक टिके रहने की किसी ने भी जिम्मेदारी नहीं ली है। कुल मिला कर कहा जाए तो स्कूल के विज्ञान माडल प्रतियोगिता का माडल जमीन पर उतर तो गया है। लेकिन यहां खर्च अधिक और लाभ कम होता दिखाई दे रहा है

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