केन्द्रीय विश्वविद्यालय पर कांग्रेस नेता विजय का आरोप…संस्थान को बनाया RSS का शाखा कार्यालय..जनप्रतिनिधियों का फिर हुआ अपमान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष वि्जय केशरवानी ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाया है। विजय ने कहा कि प्रबंधन ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय को आएसएस का शाखा कार्यालय बना दिया है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए जिन लोगों ने तन मन धन से संघर्ष किया..आज उन्ही लोगों को दरकिनार कर दिया गया है। विश्व विद्यालय प्रबंधन आरएसएस की कठपुतली बनकर काम कर रहा है। संघर्ष करने वाले जनप्रतिनिधियों को हाशिए से बाहर फेंक दिया गया है। प्रबंधन और आएसएस की दादागिरी को हरगिज बर्दास्त नहीं किया जाएगा। ऐसी सूरत में एक बार फिर बिलासपुर की जनता संघर्ष का शंखनाद करेगी।

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                    जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी ने प्रेस नोट जारी कर आरएसएस, भाजपा और केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन पर निशाना साधा है। विजय ने बताया कि बिलासपुर की जनता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कड़े संघर्ष के बाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय का तोहफा बिलासपुर को मिला। इसके लिए बिलासपुर की जनता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बिलासपुर की सड़क से लेकर दिल्ली में जंतर मंतर तक संघर्ष किया। धरना प्रदर्शन कर केन्द्रीय विश्वविद्यालय हासिल किया। 

             तात्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने बिलासपुर के नेतृत्व और जनता की भावनाओं की  कद्र करते हुए केन्द्रीय विश्वविद्यालय का तोहफा दिया। इसके जनप्रतिनिधियों को डंडो का सामना करना पड़ा। तन मन धन से सभी ने विश्वविद्यालय के लिए संघर्ष किया। तात्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री ने बयान में कहा कि बिलासपुर आदिवासी बहुल्य क्षेत्र है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय पर पहला अधिकार बिलासपुर का ही है। यहां से आदिवासी समाज और गरीबों की प्रतिभा को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद नई ऊंचाई मिलेगी। आदिवासी भाई बन्धु छत्तीसगढ़ की माटी की महक को देश दुनिया में महकाएंगे। स्थानीय लोगों का भी सम्मान बढ़ेगा।

                   केशरवानी ने कहा कि आज सब कुछ नीति और नियमों के खिलाफ हो रहा है। आदिवासी समाज को महत्व देना तो दूर..बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों को हर कार्यक्रम में जानबूझकर अपमानित किया जा रहा है। दरअसल प्रबंधन ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय को आरएसएस का शाखा कार्यालय बना दिया है। 

                रिकार्ड है कि आज तक विश्वविद्यालय में जो भी कार्यक्रम हुए हैं..चाहे छोटे कार्यक्रम हो या बड़े संघर्ष करने वाले किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधि को प्रबंधन ने मंच नहीं दिया है। आरएसएस और भाजपा के छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं का बड़े बड़े कार्यक्रम में सम्मानित किया जाता है। मुख्य अतिथि से लेकर दर्शक दीर्घा तक किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों और खासकर कांग्रेस नेताओं को स्थान नहीं दिया जाता है। इसकी मूल वजह विश्वविद्यालय का भगवा करण किया जाना है। इतना ही नहीं पूर्व कुलपति ने तो जब तब अपने भाषणों में आदिवासी धर्म कला संस्कृति को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। 

             आज दीक्षांत समारोह में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। कार्यक्रम में ना तो किसी विश्वव्द्यालय के लिए संघर्ष करने वाले किसी नेता को ही बुलाया गया । और ना ही किसी स्थानीय आदिवासी को मंच पर स्थान ही दिया गया। दुख की बात है कि बाबा घासीदास के सिद्धान्त के खिलाफ केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संचालन किया जा रहा है। प्रबंधन ने अघोषित रूप से महाराष्ट्र स्थित नागपुर की तरह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय को सोची समझी रणनीति के तहत आरएसएस का गढ़ बना दिया है।

               केशरवानी ने कहा कि बिलासपुर की जनता को अच्छी तरह से मालूम है कि संघर्ष के बिना कुछ हासिल नही हुआ है। इसलिए अब सम्मान के लिए एक बार फिर बिलासपुर की सड़क से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक संघर्ष के लिए तैयार है।

                    

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