( गिरिज़ेय ) बचपन में हम में से सभी लोगों ने बाल पत्रिकाएं पढ़ीं होंगी। चंदामामा, नंदन, पराग जैसी बाल पत्रिकाओं में दिलचस्प कहानियां छपतीं थी। इनमें से कुछ कहानियां एक़ अंक में ही खत्म नहीं होती थी। अलबत्ता कहानी के आगे एक सीरियल चलता था और कहानी के अंत में ब्रैकेट के भीतर लिखा होता था शेष अगले अंक में….. या क्रमशः….। बाल पत्रिका का अगला अंक आता तो उसमें उस कहानी का अगला हिस्सा ब्रैकेट के अंदर गतांक से आगे ……लिखा हुआ छपता था ।जो बड़ा दिलचस्प लगता था । आज के दौर के लोग भी कहानी की इस निरंतरता को महसूस करते होंगे और उसका भी मज़ा लेते होंगे……… जब अपने टेलीविजन पर सीरियल देखते होंगे। आजकल सीरियल के आखिर में to be continued….. लिख दिया जाता है। ऐसी कई फिल्में बनी है जो एक बार में खत्म नहीं होती उसके आगे फिल्म का अगला भाग बनाने की गुंजाइश बची रहती है। जैसा हमने बहुचर्चित फिल्म बाहुबली में भी देखा था….। मार्केटिंग के इस युग मे लगता है कि कहानी के प्रति लोगों की दिलचस्पी और उत्सुकता बनाए रखने के लिए प्रोड्यूसर भी बच्चों की पुरानी पत्रिका के इस क्रमशः वाले फार्मूले को हिट मानते हैं।इतनी लंबी भूमिका में शेष अगले अंक में और गतांक से आगे का यह किस्सा बताने के पीछे आपको लग रहा होगा की वजह क्या होगी………..।
इन दिनों बिलासपुर शहर की राजनीति में पिछले कुछ समय से जिस तरह का सीरियल चल रहा है ,उसे देखकर लगता है कि इस पार्टी के लोग भी विवाद- झगड़ा – मारपीट से जुड़ी कहानियों को एक बार में खत्म न करके उसे शेष अगले अंक में …..और फिर गतांक से आगे ……चलाने मैं अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं।जिससे शहर के आम लोगों को इस पार्टी यह भूमिका शनिवार को पीडब्ल्यूडी दफ्तर के अहाते में हुई एक मारपीट की वजह से लिखनी पड़ रही है। इस घटना का जो वीडियो वायरल हुआ है – उसमें आसमान पर छाई बदली के नीचे खुली ज़गह पर दफ्तर के बाहर कुछ लोग आपस में मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में गाली गलौज और एक दूसरे को घसीट कर पीटने का सीन भी है। यह दृश्य भी देखा जा सकता है कि दफ्तर के भीतर से कुछ कर्मचारी नुमा लोग इस इवेंट को एक दृष्टा के रूप में निहार रहे हैं।
इस वीडियो को लेकर यह खबर आई कि बिजली इलेक्ट्रिक सामान के कारोबारी संजय गुप्ता ने मसान गंज सरजू बगीचा निवासी हमेंद्र शुक्ला को करीब 7 लाख रुपए का सामान करीब 2 साल पहले दिया था । हमेंद्र शुक्ला मसान गंज सरजू बगीचा के रहने वाले हैं और शहर कांग्रेस कमेटी के सचिव के साथ ही पीडब्ल्यूडी के ए क्लास ठेकेदार हैं। संजय गुप्ता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि हेमेंद्र शुक्ला ने 2 साल से पेमेंट नहीं किया था। रुपए मांगने पर दुकान में तोड़फोड़ की धमकी दी। फिर इसी विवाद पर शनिवार को पीडब्ल्यूडी दफ्तर के सामने कुछ लोगों के साथ मिलकर उन्होंने संजय गुप्ता और उनके बेटे हर्षित के साथ मारपीट की। जिससे उन्हें चोट लगी है। ठेकेदार और कांग्रेस नेता हमेंद्र शुक्ला ने भी काउंटर रिपोर्ट दर्ज कराते हुए संजय गुप्ता पर मारपीट का आरोप लगाया है । इस मामले में पुलिस जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है।हो सकता है पिछले मामलों की तरह इस मामले में भी और कई वीडियों वायरल होते रहेंगे।
लेकिन शनिवार को हुई मारपीट का यह मामला इस वजह से भी अधिक चर्चित हो गया है ,क्योंकि कथित रूप से इसमें शामिल हमेंद्र शुक्ला कांग्रेस के पदाधिकारी हैं। इसी वजह से गतांक से आगे की कहानी भी चर्चा में आ गई है। वैसे तो इसे व्यापारिक लेन-देन की वजह से मारपीट का मामला मानकर लोग आगे बढ़ जाते । लेकिन चूँकि कथित रूप से इस मामले में शामिल हमेंद्र शुक्ला कांग्रेस के पदाधिकारी हैं। इसी वजह से गतांक से आगे की कहानी भी चर्चा में आ गई। शहर के लोग पिछले कुछ समय से लगातार इस तरह की कहानी पढ़ रहे हैं ……..। खासकर जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है बिलासपुर में कांग्रेसियों का झगड़ा न्याय धानी से लेकर राजधानी तक हमेशा चर्चित रहा है। और पूरे प्रदेश में बिलासपुर के कांग्रेसियों की झगरहा पहचान बन रही है। ऐसी चीज़ों को नापने का कोई मीटर, किलोबाट , तराजू जैसा पैमाना अब नहीं बना है, जिससे पक्के तौर पर कहा जा सके कि फ़लाँ-फ़लां लोगों की सच्ची मेहनत की वज़ह से चुनाव में किसी पार्टी को ज़ीत हासिल हुई होगी । लेकिन गाँव बसा नहीं … लुटेरे आ गए … कुछ इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में काँग्रेस की सरकार बनने के बाद से कई ऐसे विवाद उभऱकर आए हैं, जिनके साथ कांग्रेस का नाम ज़ुड़ ज़ाता है। बेचारे किसी ज़मीनी कार्यकर्ता को सरकार आने का कुछ फ़ायदा भले ही ना मिला हो…… पर पैसा बनाने की मशीन में दिलचस्पी रखने वाली प्रज़ाति के लोग जरूर हरक़त में आ गए ……। नवधनाड्य वर्ग के कुछ ऐसे भी चेहरे हैं , जो किसी भी पार्टी की सरकार में मलाई पर ही नज़र रख़ते हैं और दोनों हाथों से उसे अपने हल़क़ में उतारते हैं। इलकी वज़ह से जब पार्टी पर बदनामी का दाग लगने लगा तो पार्टी के बड़े नेताओं को भी एक्शन में आना पड़ा और संगठन के ओहदेदार भी पद से हटाए गए हैं । हाल के दिनों में जमीन के विवादों में हिस्सेदारी की वजह से भी कांग्रेस के लोगों का नाम चर्चा में आया है। इसी वजह से बीजेपी को यह आरोप लगाने का मौका मिलता है कि बिलासपुर जमीन माफियाओं की राजधानी बन गई है। यहां जमीन माफियाओं को सरकार में बैठे लोगों का संरक्षण मिल रहा है। इस तरह के उदाहरणों के जरिए बीजेपी को यह साबित करने का भी मौका मिल रहा है कि पिछले दो ढाई साल में शहर के अंदर गुंडागर्दी के मामले बढ़ रहे हैं और अमनपसंद शहर का अमन चैन खत्म हो गया है।
लोग अभी भी नहीं भूले हैं कि शहर विधायक के साथ कथित रूप से बहस बाजी के बाद एक ब्लॉक कांग्रेस को हटना पड़ा । वही ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रैफिक कांस्टेबल के साथ बदसलूकी की वजह से जेल भेजा गया। इसके अलावा जमीन विवाद पर भी कुछ पदाधिकारी हटाए गए और कुछ मामले अभी भी पाइपलाइन में हैं। खुलेआम मारपीट -गुंडागर्दी -गाली गलौज जैसे वीडियो वायरल होने की वजह से लोग यह भी महसूस कर रहे हैं कि कांग्रेस के लोगों ने सीरियल के हिसाब से सिलसिला जारी रखा है। जिसे कांग्रेस संगठन के ऊपर के लोग ठीक वैसे ही दृष्टा की तरह देख़ रहे हैं, जैसे शनिवार को हुए झगड़े को पीडब्लूडी ऑफ़िस के लोग अपने दरवाज़े के भीतर से चुपचाप देख़ रहे थे ।सियासी हलकों और आपसी बातचीत में तो यह लोगों के लिए मजेदार किस्से हैं। लेकिन अगर इस तरह की घटनाएं कांग्रेस संगठन में ऊपर के लोगों तक पहुंच रही हैं और वह यदि इसे संजीदगी से ले रहे हैं तो यह उनकी चिंता का सबब ज़रूर होना चाहिए । तमाम घटनाओं का यह सीरियल बताता है कि बिलासपुर कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जिसमें संगठन के ओहदे दारों के साथ ही जनता के बीच से चुनकर आए नुमाइंदे भी सवालों के घेरे में आते रहे हैं। लेकिन सब कुछ देख कर भी चुप्पी साधे हुए संगठन के प्रदेश संगठन और दूसरे बड़े नेताओं की ओर से भी कोई कदम नहीं उठाए जाने से सवालों की तोप का मुंह भी उनकी ओर घूमता दिखाई दे रहा है।।जिसमें सबसे अहम् सवाल यही है कि क्या बिलासपुर कांग्रेस मे झगरहा कहानियों के सीरियल का आख़िरी एपीसोड भी कभी आएगा ….. और आएगा तो कब तक ……। पब्लिक तो गतांक के आगे नए एपीसोड का इंतज़ारर कर ही रही है ।