कुशग्रहणी अमावस्या भाद्रपद मास की अमावस्या को कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों तथा श्राद्ध आदि कार्यों के लिए कुश, एकत्रित किया जाता है।
हिन्दुओं के अनेक धार्मिक क्रिया-कलापों में कुश का उपयोग आवश्यक रूप से होता है. पुरोहित हमेशा कुशा से गंगा जल को सभी लोगों के ऊपर छिड़कते हैं. पूरे साल पुजा के लिए इस दिन ही कुश एकत्रित किया जाता हैं, इस दिन पूर्वाह्न काल मे कुशों के समीप पूर्व या उत्तर की ओर मुह करके बैठ जाय। फिर ऊँ हुं फट् कहकर दाहिने हाथ से कुशों को उखाड़ ले।
मेष
धन-संपत्ति, भागीदारी में कष्ट तथा विवाद….
माता के स्वास्थ्य संबंधी चिंता…
आकस्मिक हानि….
वृषभ –
कार्यकुशल तथा साहसी…
व्यवसायिक यात्रा…
आय में बाधा…
पार्टनर से तालमेल में कमी…
मिथुन –
आय के नये स्त्रोत बनेंगे….
स्थान या नौकरी में बदलाव…
पार्टनर से हानि….
वातरोग से कष्ट….
कर्क –
मनवांछित सफलता…
भाई या सहयोगी से विवाद…
आकस्मिक यात्रा…
गले में कष्ट….
सिंह –
शत्रु से विजय…
दिये गये कर्ज की वापसी…
आलस्य हानिकारक…
अधिकारियों से विवाद….
कन्या –
नये अवसर की प्राप्ति…
आलस्य के कारण योजना में विलंब…
पारिवारिक रिष्तों में दूरी…
तुला –
मिथ्या बोल के कारण अपमान…
पत्नी से विवाद…
व्यवयाय में अचानक धनहानि….
वृश्चिक –
नये मोबाईल की प्राप्ति…
धन खर्च के कारण कर्ज…
सहकर्मियों से हानि…
धनु –
अचानक धन प्राप्ति…
मित्रों से धन की हानि…
मकर –
धार्मिक कार्य में धन खर्च…
मित्र तथा भाई-बहनों से अनबन….
कुंभ –
सत्ता पक्ष से लाभ…
आलस्य के कारण दैनिक रूटिन में अनियमित….
कंधे, कान में दर्द…
मीन –
धन का संकट…
पारिवारिक तथा मानसिक अशांति….
पिता को कष्ट….
Note/(इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)