कही-सुनी : छत्तीसगढ़ में चुनावी बाजी पलटने में लगी भाजपा

Shri Mi
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(रवि भोई )भाजपा ने 2023 के चुनाव में स्लोगन दिया है “अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो………।” छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के लिए भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में वादों का अंबार लगा दिया है। किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं और कर्मचारियों के लिए वादे किए हैं। 2018 में किसानों से दूर भागने वाली भाजपा इस बार उन पर मेहरबान दिख रही है।

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कांग्रेस ने अभी अपना घोषणा पत्र जारी नहीं किया है, लेकिन उसके नेता अलग -अलग सभाओं में किसानों, महिलाओं, युवाओं और मजदूरों के लिए कई घोषणाएं कर चुके हैं। कांग्रेस बिना घोषणा पत्र के ही करीब 17 घोषणाएं कर चुकी है। लोगों को कांग्रेस के घोषणापत्र का इंतजार है। छत्तीसगढ़ में किसान और धान बड़ा चुनावी मुद्दा है। 2018 चुनाव में ये दो मुद्दे बड़े असरकारक रहे। घोषणाओं के कारण छत्तीसगढ़ का चुनावी माहौल गर्म हो गया है। दोनों बड़ी पार्टियों की घोषणाओं के कारण अब मतदाताओं के सामने विकल्प पैदा हो गया है। भाजपा के संकल्प पत्र से लोगों को अहसास हो रहा है कि वह 2023 में हर हाल में छत्तीसगढ़ की सत्ता चाहती है। संकल्प पत्र के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 नवंबर को दुर्ग की सभा में गरीब परिवारों के लिए अगले पांच साल तक मुफ्त अनाज योजना जारी रखने की घोषणा कर गए।

अरुण साव से ज्यादा वीवीआईपी अमित जोगी

कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की नजर में इन दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव की तुलना में ज्यादा वीवीआईपी जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी हो गए हैं। केंद्र सरकार ने अमित जोगी को सीआरपीएफ का प्रोटेक्शन तो दिया ही है , उनके निवास को भी सीआरपीएफ की छावनी में तब्दील कर दिया है। अमित जोगी के प्रति केंद्र सरकार के प्यार को 2023 के चुनावी गणित से जोड़कर देखा जा रहा है। कहते हैं भाजपा ने अरुण साव की सुरक्षा बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को 3 -4 बार पत्र भी लिखा, लेकिन अरुण साव की सुरक्षा बढ़ाने में न राज्य सरकार ने दिलचस्पी ली और न ही केंद्र सरकार ने। केंद्र सरकार ने अमित जोगी को जरूर वीवीआईपी बना दिया। अमित जोगी पाटन विधानसभा से प्रत्याशी हैं, जहाँ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उम्मीदवार हैं। जोगी कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में 81 प्रत्याशी खड़े किए हैं।

संकल्प पत्र को लेकर भाजपा नेताओं में मनभेद

कहते हैं कि संकल्प पत्र में तेंदूपत्ता के भारीभरकम रेट निर्धारण और फड़ मुंशियों को एकमुश्त राशि देने के मामले में भाजपा के स्थानीय और दिल्ली के नेताओं में भारी मनभेद रहा। खबर है कि तेंदूपत्ता का रेट 5500 रुपए मानक बोरा करने के मामले में राज्य के नेता सहमत नहीं थे, उनका मानना था कि राजकोष पर भारी बोझ पड़ेगा। कहा जा रहा है कि दिल्ली के नेताओं ने राज्य के नेताओं की बात अनसुनी कर दी और फैसला कर लिया। अब संकल्प पत्र सार्वजनिक होने के बाद भाजपा के राज्य के नेताओं के पसीने छूटने लगे हैं। वे मानकर चल रहे हैं कि सरकार बनी तो फंड की व्यवस्था उन्हें ही करनी पड़ेगी।

सरकार बनाए नहीं, पर बनवाएंगे

कहते हैं जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां के नेता छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनवाने आए हैं। खबर है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनवाने के लिए पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा के नेता आए हैं। इन राज्यों में अभी भाजपा की सरकार नहीं है। पश्चिम बंगाल में तो भाजपा नेताओं ने सरकार का सुख ही नहीं भोगा है, बाकि राज्यों में मिलीजुली सरकार में रह चुके हैं। इन राज्यों से आए नेता ही चुनावी कमान संभाले हुए हैं। इससे स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बिस्तर पकड़ना शुरू कर दिया है। कहा जा रहा है बात बिगड़ते देख अब गुजरात के नेताओं का एक दल छत्तीसगढ़ पहुँच गया है।

भाजपा प्रत्याशी का जख्म हुआ ताजा

भाजपा ने एक रिजर्व सीट पर एक डाक्टर को प्रत्याशी बनाया है। अब चुनाव के वक्त डाक्टर का पुराना जख्म ताजा हो गया है। कहते हैं डाक्टर रायपुर के निवासी हैं। जुगाड़ से टिकट मिल गई। हेलीकाप्टर प्रत्याशी होने के कारण पहले जमीनी नेता और कार्यकर्ता नाराज हुए और बवाल मचाया। अब जनता डाक्टर के पुराने घाव को कुरेदने लगी है। कहते हैं डाक्टर कुछ साल पहले किडनी कांड में बाल-बाल बचे थे। डाक्टर चुनाव मैदान में उतरे तो उनके दुश्मनों ने पुराना मामला निकाल लिया है। अब भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने प्रत्याशी के बारे में लेने के देने पड़ गए। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बताया जा रहा है।

रेत में फंस गई कांग्रेस की विधायक

कहते हैं कांग्रेस की एक विधायक रेत के फेर में फंसकर टिकट गवां बैठी। खबर है कि पहली बार की कांग्रेस विधायक ने अपने कुछ लोगों के नाम पर रेत खदान ठेके पर ले लिया था और पूरे पांच साल अपने क्षेत्र में उन्हीं लोगों को साथ लेकर घूमती भी रही। इससे क्षेत्र के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भारी गुस्से में थे। जब विधायक को टिकट देने के बारे में पूछताछ और रायशुमारी चली तो विधायक की मौजूदगी में कांग्रेस के बड़े नेताओं के सामने क्षेत्र के कांग्रेस नेता फूट पड़े। कहा जा रहा है कि क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं के तेवर देखकर हाईकमान ने विधायक को अगला मौका देना मुनासिब नहीं समझा। रेत खदान के चक्कर में विधायक अपने क्षेत्र में पदस्थ अफसर से सार्वजनिक तौर पर लड़ पड़ीं थीं।

चुनावी शबाब के बीच ईडी का खेला

वैसे तो ईडी पिछले कई महीनों से छत्तीसगढ़ में आपरेशन को अंजाम दे रही है। वह कोयला, शराब, खनिज, चावल से लेकर महादेव ऐप आन सट्टा को लेकर बड़ी-बड़ी कार्रवाई कर चुकी है। ईडी की कार्रवाई के कारण राज्य के कई अफसर और कारोबारी जेल में बंद हैं, लेकिन विगत तीन नवंबर की कार्रवाई राज्य की राजनीति को हिला देने वाली रही। राज्य में विधानसभा चुनाव शबाब पर है, ऐसे में ईडी के प्रेस नोट में कांग्रेस के बड़े नेता के नाम का उल्लेख करते हुए चुनाव में इस्तेमाल के लिए यूएई से पैसा आने की बात कर बड़ा विस्फोट कर दिया है। इस धमाके की गूंज जबरदस्त हुई है। ईडी ने कूरियर को गिरफ्तार कर लिया है। कहते हैं हैं कूरियर से ईडी ने बहुत कुछ उगलवा लिया है। चलते चुनाव में ईडी की बड़ी कार्रवाई का अंदेशा पहले से ही लोगों को था। शुक्रवार की घटना से संभावना सच में बदल गया।

खाल बचाने के लिए बिजली अफसर की जुगत

कुछ लोगों की आदत होती है,अपनी गलती का ठीकरा दूसरों के ऊपर फोड़ना। ऐसा ही कुछ डंगनिया में ऊंची कुर्सी पर बैठे एक अफसर कर रहे हैं। कहते हैं हवा-पानी में टूटे बिजली खंभों की मरम्मत के लिए बिना आंकलन के इस अफसर ने खुद ही कमीशन के फेर में 10 करोड़ का फंड रिलीज कर दिया। कहा जा रहा है कि कायदे से संभाग स्तर से प्रस्ताव बुलवाना चाहिए था। अब अफसर की कलम फंस गई और गड़बड़ी सतह पर दिखाई देने लगी तो इस अफसर ने गलती का ठीकरा संभाग पर फोड़ दिया और जांच का फरमान दे दिया। इस अफसर ने अपने गले में फंदा डलते देख अपने कुछ मातहतों को बलि का बकरा भी बना दिया। बिजली मुख्यालय में बैठे अफसर की करतूत की जानकारी उनसे ऊँचे अफसरों को नहीं लगी है,क्योंकि वे अभी कुम्भकर्णी नींद में हैं। अब देखते हैं गलती कर कितने दिन तक ये अफसर अपनी खाल बचाते फिरते हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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