VIDEO-कका का प्यार..तो गुस्सा भी जायज..फिर VIDEO पर इतना हंगामा क्यों..पहले,वह ऐसा नहीं करते थे।

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–-पिछले विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल समुराई योद्दा की तरह उभरे। अपनी जीवटता के लिए विख्यात भूपेश बघेल गांव से हैं..किसान भी हैं। और जैसा की सब जानते हैं कि वह गौटियां भी हैं। वह मामा नहीं है..क्योंकि उनके रिश्तों में कंस का कोई स्थान नहीं है। वह काका हैं..मतलब पिता के बाद बच्चों के सबसे प्यारे अधिक प्यार करने वाला परिवार का सदस्य। वह सदस्य जिसके कांधे पर पूरे परिवार की जिम्मेदार होती है। यही कारण है कि आम से लेकर खास तक काका की हैसियत रखने वाले प्रदेश के मुखिया को प्यार ही नहीं बल्कि फटकारना भी आता है। मामा बच्चों के जीवन में अहम  किरदार होता है। लेकिन यह भी सच है कि मामा के साए में बच्चों की बिगड़ने की संभावना भी कम नहीं होती है। बच्चे लोक लिहाज ना भूलें…इसलिए नाते रिश्तों में काका का किरदार हमेशा से जिम्मेदारी वाला रहा है। सच है कि छत्तीसगढ़ राज्य को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है। जाहिर सी बात है कि छत्तीसगढ़ में बहन और भांजा को विशेष सम्मान हासिल है। बच्चे कही भटक न जाए इसलिए मामा के बरख्श काका की भूमिका बड़ी हो जाती है। और काका की जिम्मेदारी में प्रदेश के मुखिया बेहतर नजर भी आते हैं ।क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि काका का क्या किरदार होता है। और वह जब तब कहते भी हैं कि काका अभी जिन्दा है। और उन्होने भेंट मुलाकात अभियान के दौरान सूरजपुर में काका होने का मतलब भी बता दिया है।

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                  भूपेश बघेल में जन्मजात लीडर का गुण है। जब नन्दकुमार पटेल नक्सली हिंसा में शहीद हुए। और झीरम काण्ड में अग्रिम पंक्ति के नेताओं को खोने के बाद कांग्रेस नेतृत्व में खालीपन आ गया। झीरम घटना के बाद जनता से कांग्रेस को सहानुभूति तो मिली..लेकिन सत्ता की चाभी डॉ. रमन सिंह को हासिल हुआ। इन तमाम घटनाक्रम के बीच एक बड़ा नेतृत्व सामने आया…जिसे आज लोग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं।

                मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अच्छी तरह से पता है कि प्रदेश को मामा की नहीं काका की जरूरत है। हां वही काका जब बच्चों के साथ गेड़ी भी चढ़ता है। भौरा बांती भी चलाता है। हाकी पर भी हाथ आजमाता है। और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों पर एक्शन भी लेता है। हां वही काका..जो पूर्व मुख्यमंत्री के सरकारी आवास तो जाता तो है..लेकिन पानी नहीं पीता। लेकिन जब सड़क पर उतरता है तो पन्द्रह साल के निजाम को पानी जरूर पिता देता है। 

                  स्वभाव से अख्खड़..भूपेश बघेल को लोग  दाऊ भी कहते हैं।  छत्तीसगढ़ के सामाजिक ताना बाना में दाऊ बड़े दिलवाले किसानों को कहा जाता है और बड़े भाई को भी।  ऐसा व्यक्ति जो अपना घर ही नहीं बल्कि समूचे गांव का ख्याल रखता है। चूंकि भूपेश बघेल दाऊ के काका भी है..जाहिर सी बात है कि जिम्मेदारी भी बड़ी है। और सबको पता है कि दाऊ  जिम्मेदारियों से भागते भी नही है।चाहे भेट मुलाकात के दौरान सूरजपुर की बात क्यों ना हो।

         पिछले 48 घंटों से सोशल मीडियो में एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो सूरजपुर में मुख्यमंत्री भेट मुलाकात के दौरान की है। काका एक महिला को फटकारते हुए कुछ कहते हैं। नेतागिरी नहीं करने की नसीहत देते हुए बैठने को कहते है। यह भी कहते हैं भटगांव में भेंट मुलाकात के दौरान पुलिस ने उसे रोका है तो फिर यहां तक कैसे पहुंची। क्या यहां पुलिस ने नहीं रोका। जबकि दोनो जगह पुलिस एक ही है।

                   सभी लोगों पता है कि भूपेश बघेल का न्याय आन द स्पॉट होता है। सूरजपुर में भेंट मुलाकात के पहले कई जगह जनता की शिकायत को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लेते हुए कई  अधिकारियों को घर बैठाया तो कई को इधर से उधर करने में देर नहीं किया। महिला भी अपनी शिकायत लेकर सूरजपुर पहुंची। लेकिन राजनीति और समाजनीति में माहिर काका के सामने महिला की एक नहीं चली। शायद उन्हें समझने में देर नही लगी कि महिला को ष़ड़यंत्र का हिस्सा बनाकर सामने खड़ा किया है। संभव है कि महिला ऐसा जानबूझकर कर रही हो। तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए काका ने महिला के साथ वही किया..जो घर का काका करता है। जिसके कांधे पर घर की जिम्मेदारी होती है।

                      सूरजपुर घटनाक्रम के दौरान  मुख्यमंत्री को शायद अच्छी तरह से मालूम था कि महिला की शिकायत को लेकर कानूनी प्रक्रिया चल रही है। बावजूद इसके उसी मामले को लेकर सामने आना..शक को पैदा करता है।  और फिर काका ने वही किया जिसके लिए वह जनता में पसंद किए जाते हैं। क्योंकि जनता को मालूम है कि काका की नजर में महिला पुरूष अलग नहीं हो सकते। क्योंकि काका का न्याय जो पुरूष के लिए होता है वही महिलाओं के लिए भी। बेवजह महिला होने का फायदा उठाने वालों की जानकारी काका को भली भांति है।  फिर वीडियो पर हंगामा क्यों..सिर्फ इसलिए कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पर शेयर कर दिया। पहले तो वह ऐसा नहीं किया करते थे।

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