Mahakal Rang Panchami: भगवान महाकाल ने खेली होली, शिवभक्तों पर चढ़ा रंग पंचमी का रंग

Shri Mi
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Mahakal Rang Panchami/भगवान महाकाल की नगरी उज्जैैन में शिवभक्तों पर रंग पंचमी का रंग चढ़ चुका है। महाकालेेश्वर मंदिर में भक्तों ने भगवान महाकाल के साथ टेसू के फूलों से तैयार रंग के साथ होली खेली। इस दौरान भक्तो नेे श्रद्धा व उत्साह के साथ एक-दूसरे को रंगोंं से सराबोर कर दिया। सभी ने असीम आनंद की अनुभूति की।

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शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त के साथ ही मंदिर में रंग पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ शुरू हो गया। सबसे पहले भगवान महाकाल के दरबार में भष्म आरती हुई। भगवान महाकाल को टेसू के फूल अर्पित किए गए। दूध, दही, जल और भांग के साथ भगवान का अभिषेेक किया गया। इसके बाद फलों के रस से भी उन्हें स्नान कराया गया।

आरती के दौरान मंदिर के पुजारी ने टेसू के फूलों व केसर के रंग के साथ भगवान महाकाल से होली खेली। भगवान के साथ अन्य देवी-देवताओं को भी टेसू और केसर का रंग अर्पित किया गया। इसके बाद बारी आई भक्तों की।

उन्होंने पूरे उत्साह, उमंग व श्रद्धा के साथ देवाधिदेव भगवान महाकाल के साथ होली खेली। उन्हें फूल अर्पित किए और उन पर रंगों की वर्षा की। इस दाैरान सभी के चेहरे पर असीम शांति का भाव था। वे अपने भगवान के साथ मिलकर अनंत सुख का अनुुुभव कर रहे थे।

गौरतलब है कि महाकालेश्वर मंदिर में 15 दिन पूर्व से होली और रंग पंचमी पर्व को लेकर तैयारी की जाती है। इस त्योहार को लेकर भक्तों में काफी उत्साह रहता है। देश भर के श्रद्धालु भगवान महाकाल के साथ होली खेलने के लिए उज्जैन आते हैं। वर्ष भर में एक बार ऐसा अवसर आता है, जब भक्त और भगवान के बीच होली खेलने का दृष्य देखने को मिलता। इस दौरान भक्तों व भगवान के बीच की दूरी मिट जाती है।

मंदिर के पुुुुुुजारी आशीष शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक रंगों से होली का पर्व और भी खूबसूरत हो जाता है। महाकालेश्वर मंदिर से हर साल फूलों से तैयार होने वाले रंग से होली खेल कर प्रकृति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया जाता है। इस बार भी मंदिर में प्राकृतिक फूलों से निर्मित रंग द्वारा ही होली खेली गई।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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