आधारशिला में सार्थक संवाद…विचारकों ने बताया…अनुशासन ही नहीं..विषय का बोधगम्य होना भी जरूरी.ऐसे करें बच्चों से संवाद

BHASKAR MISHRA
4 Min Read
बिलासपुर—-आधारशिला विद्या मंदिर में शिक्षा में उत्कृष्टता, सार्थकता और  मूल्यों पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने विषय पर प्रकाश डाला। विषय विशेषज्ञों ने बताया कि किसी भी कार्य में सफलता का पहला सूत्र अनुशासन है। इसके साथ ही लगन और उद्देश्य का विशेष महत्व है।
आधारशिला विद्या मंदिर में ” सार्थक शिक्षा कैसे ” मंथन गोष्ठी का आयोजन किया गया । गोष्ठी में भिन्न भिन्न क्षेत्रों के विचारकों, चिंतकों, अभिभावकों व शिक्षाविदों ने शिक्षा की सार्थकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में  प्रमुख वक्ता के रूप में आकाशवाणी की अधिकारी सुप्रिया भारतीयन, प्रोफेसर संजय अयादे,केप्टन श्रीनिवास,प्रोफेसर भास्कर चौरसिया,डा. अजय श्रीवास्तव मौजू थे। इस दौरान विद्यालय के अकादमिक निदेशक एस. के. जनस्वामी , प्राचार्या जी.आर. मधुलिका, शिक्षकगण, अभिभावकों में रामकृष्ण साहु, जाहिद मोहम्मद , जगेन्द्र ठाकुर, शशिकला के अलावा छात्र प्रतिनिधि सुमित विश्वकर्मा की विशेष उपस्थित रही।
 
“सार्थक शिक्षा कैसे ” मंथन कार्यक्रम विषय पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर संजय अयादे ने अनुशासन पर विशेष बल दिया। बताया कि किसी भी कार्य की सफलता और सार्थकता उसमें निहित अनुशासन है। सुप्रिया भारतीयन ने जोर देते हुए कहा कि अनुशासनहीनता का समाधान दण्ड देना ही नहीं है।बल्कि कारणों को जानना , विश्लेषण करना, सामने वाले को समझना, पढ़ना जरूरी है। भारतीयन ने बताया कि छात्र – शिक्षक, शिक्षक – अभिभावक और माता – पिता , बच्चों के बीच बातचीत के अन्तराल को कम कर शिक्षा को सार्थक बनाने में एक सकारात्मक पहल होगी।
अनुशासन के सभी नियम और किये सब काम तभी सार्थक होंगे जब बच्चे हमारी अनुपस्थिति में अनुशासित रहें। शिक्षकों और अभिभावकों को बच्चों के प्रेरणास्रोत के रुप में काम करना चाहिए। बच्चे हर काम को बहुत बारीकी से सीखते हुए आत्मसात करते हैं।
 
प्रोफेसर भास्कर चौरसिया ने मूल्य शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि बच्चों में नैतिकता , शिष्टाचार और जीवन मूल्प का निर्माण करना, सतत प्रक्रिया है। शिक्षको और अभिभावकों को छोटे – छोटे कहानियों, उदाहरणों के माध्यम से बच्चों तक पहुॅंचाना होगा। अनुशासन की समझ पैदा करने के लिए बच्चों के हर छोटे बड़े प्रश्नों का उत्तर हर शिक्षक और अभिभावक को शान्तभाव से देना होगा। बच्चों में एकाग्रता विकसित करने के लिए संगीत , आडियो, विजुअल  माधयमों का प्रयोग करना चाहिए।
NEP 2020 पर चर्चा करते हुए विचारकों ने गतिविधि आघारित शिक्षण और करके सीखना जैसे अवधारणाओं का पालन करने की बात कही। साथ ही बच्चों का मूल्यांकन कौशल आधारित गतिविधियों के आधार पर किया जाना बताया। 
अभिभावकों और अन्य आगंतुकों ने संवाद के दौरान घनश्याम शर्मा और अनन्या दास ने विद्यालय के अनुशासन सम्बन्धित नियमों को साझा किया।
विचारकों का सम्मान विद्यालय के चेयरमैन डा. अजय श्रीवास्तव , डायरेक्टर एस.के. जनस्वामी और प्राचार्या श्रीमती जी.आर. मधुलिका ने स्मृति चिन्ह भेंटकर किया । विद्यालय प्रबंधन ने विचारकों व अभिभावकों का धन्यवाद किया | उन्होंने कहा कि इन सभी विचारों के साथ आधारशिला विद्या मंदिर पूरे सत्र के लिए शिक्षकों की टीम और अभिभावकों के साथ बच्चो के बेहतर भविष्य को गढ़ने के लिए तैयार है। कार्यक्रम का संचालन शाहीन खानम और अनामिका बरिया ने किया ।
close