बलौदाबाजार।स्कूल शिक्षा विभाग तिमाही परीक्षा के बाद एक और बड़ी चूक सामने आई है । शासन से स्कूलों को मिले प्रगति पत्र में तो ना जाति का उल्लेख है ना ही जन्म तिथि का उल्लेख है। प्रगति पत्र की छपाई गलत हो गई है या फिर सरकार ने कोई नया नियम बना दिया है कि सत्र 2022- 23 के प्रगति पत्र पर छात्रों की जाति और जन्मतिथि नही अंकित की जाए । प्रगति पत्र कक्षा पहली से तीसरी तक एक जैसा है। इसमे जन्मतिथि का उल्लेख है पर जाति का नही है। कक्षा चौथी और पांचवी का प्रगति पत्र एक जैसा लगता है इसमे भी जाति और जन्म तिथि का उल्लेख नही है। कक्षा छठवीं से आठवीं तक के प्रगति पत्र में भी जाति और जन्म तिथि का कालम नही है।
सीजी वाल को मिली जानकारी के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों के लिए जारी हुए प्रगति पत्र 2022- 23 के लिए कक्षा चौथी से आठवी तक सिर्फ स्कूल का नाम लिखना या फिर सील लगाना है इस प्रगति पत्र में त्रैमासिक वार्षिक अर्द्धवार्षिक परीक्षा परिणाम के विषय वार कालम और जानकारी और सभी सही है बस जाति और जन्मतिथि को नही लिखा गया है।
एक विद्यार्थी जीवन से लेकर रोजगार तलाशते तक प्रगति पत्र या मार्कशीट का बड़ा महत्व रहता है विशेषकर पांचवी और आठवीं का लाखों बच्चों के साथ जाने अनजाने में अन्याय होता दिखाई दे रहा है। प्रथम दृष्टि में प्रगति पत्र में प्रिंटिंग मिस्टेक दिखाई दे रहा जहां से भी इस की छपाई हुई है …! उन्होंने बड़ी गलती कर दी है और उससे बड़ी गलती इसे स्कूलों में भेजकर कर दी गई है पांचवी और आठवीं की मार्कशीट में जाति और जन्म तिथि का महत्व शुरू से रहा है इसी के आधार पर कई प्रमाण पत्र बनाए जाते रहे है।
अब मार्कशीट में आधा प्रिंट किए हुए हुए कॉलम होंगे। और दो कालम जन्मतिथि और जाति के कालम हाथ से लिख कर या फिर सील लगा कर यदि अलग से जोड़े जाएंगे तब की स्थिति में कहीं ना कहीं भविष्य में अधूरे प्रगति पत्र की प्रमाणिकता पर कहीं ना कहीं सवाल जरूर उठेंगे …! जिसका खामियाजा कहीं ना कहीं भविष्य में छात्रों को भुगतना पड़ सकता है । इसलिये अधूरे प्रगति पत्र को रद्द कर नया प्रगति पत्र जारी किये जाने की मांग भी उठी है।
बताते चले कि शासन की ओर से जो प्रगति पत्र भेजा गया है उसकी स्थिति कांकेर, बलौदा बाजार बिलासपुर जिले में भी एक जैसी दिखाई दे रही है। यहां पर भी जाति और जन्मतिथि का उल्लेख नहीं किया गया है संभवत यह राज्य स्तर पर प्रदेश के सभी स्कूलों में प्रगति पत्र छपाई का ठेका दिया गया लगता है तो मान लिया जाए कि ठेकेदार की या अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक बड़ी भूल सामने आ रही है।