सेप्सिसः एक जानलेवा बीमारी…अपोलो विशेषज्ञ ने बताया…ऐसे पहचानें रोग…बढ़ जाती है धड़कनें…और कम होता है पेशाब

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— सेप्सिस  जानलेवा साबित हो सकता है। दरअसल सेप्सिस का सीधा अर्थ अंग के किसी भी भाग का इन्फेक्शन से है। यह इन्फेक्शन तेजी के साथ दूसरे अंगों को प्रभावित करने लगता है। पूरा शरीर प्रभावित हो जाता है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाता है। और शरीर के अंग खराब होने लगते हैं। मरीज की मौत भी हो जाती है। यह बातें अपोलो प्रबंधन और ISCCM बिलासपुर चेप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ.विजय कुमार श्रीवास ने दी। कार्यक्रम का आयोजन अपोलो में किया गया।

चिकित्सा जगत में सेप्सिस जाना माना शब्द है। लेकिन रोग बहुत ही गंभीर है। यह किसी भी मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना को लेकर अपोलो में अपोलो प्रबंधन और आईएससीसीएम के संयुक्त प्रयास से अपोलो में ही एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आईसूयू में भर्ती मरीजों के परिजनों ने भी हिस्सा लिया। अपोलों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सेप्सिस की जानकारी को विस्तार के साथ साझा किया।

जानलेवा सेप्सिस और मौत

कार्यशाला में आईएससीसीएम बिलासपुर चेप्टर अध्यक्ष और  अपोलो हॉस्पिटल्स के वरिष्ठ मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर विजय श्रीवास ने सेप्सिस को जानलेवा मेडिकल इमरजेंसी बताया। शरीर के किसी एक जगह पर हुआ इन्फेक्शन फैल कर शरीर को चपेट में लेकर दूसरे अंगो को प्रभावित करने लगता हैं। जल्दी-जल्दी इन्फेक्शन होने से शरीर में मौजूद इन्फेक्शन प्रतिरक्षा प्रणाली को काफी ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। तुरंत इलाज नही मिलने पर टिशू डैमेज, ऑर्गन फेल हो जाते हैं। मरीज की मौत भी निश्चित है।

सेप्सिस रोग के प्रमुख लक्षण

डॉ. विजय श्रीवास ने बताया कि सेप्सिस पीड़ित व्यक्ति के शरीर के कई अलग-अलग अंगो को प्रभावित करता है। इसके विभिन्न संभावित लक्षण होत हैं। इसमें प्रमुख रूप से मरीज का ब्लड प्रेशर लो होने से हृदय गति प्रभावित होती है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। व्याकुलता बढ़ जाती है। बुखार या हाइपोथर्मिया से शरीर ठंड से कांपने लगाता है। पेशाब कम होता है। एनर्जी की कमी से मरीज को बहुत कमजोरी महसूस होती है। तेज दर्द का अहसास होता है। पसीने से भरी त्वचा हो जाती है। मरीज हाइपरवेंटिलेशन यानी तेजी के साथ सांस लेता है।

संक्रमण के प्रमुख कारण

        डॉक्टर विजय ने बताया आमतौर पर सेप्सिस बैक्टीरिया की वजह से होता है। हालांकि, यह फंगल, पैरासाइट और वायरल संक्रमण के कारण भी हो सकता है। इसकी वजह से बुखार और दिल की धड़कनें तेज हो जाती है। हालांकि, ज्यादा गंभीर मामलों में पीड़ित को सेप्टिक शॉक भी हो जाता है।

सेप्सिस से बचाव और नुस्खा

सेप्सिस जैसे गंभीर बीमारी से बचने के लिए पीड़ित को साबुल से बार-बार हाथ धोना चाहिए। किसी भी तरह की चोट और अन्य घावों को साफ रखें। संक्रमण से बचने के लिए घाव या चोट को ढककर रखें। किसी पुरानी बीमारी पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से चेकअप कराएं। संक्रमण का संदेह होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। डॉ. श्रीवास ने जानकारी दिया कि अस्पताल से छुट्टी होने के बाद मरीज की देखभाल करना होता है। इस दौरान संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और कामकाज के कारण लोग अक्सर कई समस्याओं की चपेट में आ जाते हैं। सेप्सिस इन्हीं में से एक है। निश्चित रूप से यह एक गंभीर जानलेवा बीमारी है।

सुरक्षा सबसे बड़ा बचाव

 

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अपोलो हॉस्पिटल्स बिलासपुर की चीफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ एकता अग्रवाल ने हैंड हाइजीन के बारे में बताया। सेप्सिस के रोकधाम के महत्व पर प्रकाश डाला। अपोलो हॉस्पिटल्स के यूनिट हेड  अरनब एस राहा ने बताया कि केवल जागरूकता ही ऐसा हथियार हैं जिससे हम सेप्सिस जैसी गंभीर बीमारी से बचाव कर सकते हैं।

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