बिलासपुर जिले की बिल्हा विधानसभा सीट में कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार की घोषणा के बाद नए समीकरण के संकेत मिल रहे हैं। यहां लोगों के बीच से असंतोष की झलक मिल रही है।
हालांकि खुले तौर पर उम्मीदवार के चयन को लेकर कांग्रेस के लोगों ने कोई बात नहीं की है। लेकिन एक मीटिंग में जो बात हुई है उससे लगता है कि कांग्रेस के लोगों को इस बात की तकलीफ है की 2018 के पिछले चुनाव में कांग्रेस को हारने वाले तब के जोगी कांग्रेस उम्मीदवार को इस बार कांग्रेस की टिकट दी गई है।
खबर है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे बिलासपुर कृषि उपज मंडी समिति के अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल ने तिफरा के एक हाल में कांग्रेस के लोगों की मीटिंग रखी थी।
उन्होंने पिछले साढ़े चार – पांच साल से उनके साथ रहे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें बुलावा भेजा था।
लोग पहुंचे भी थे। पता चला है कि राजेंद्र शुक्ला ने मीटिंग में मौजूद लोगों के प्रति आभार जताया। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस की ओर से घोषित बिल्हा उम्मीदवार सियाराम कौशिक को लेकर भी बात हुई।
बताते हैं कि राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में जिनकी वजह से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था,उन्हें इस बार उम्मीदवार बनाए जाने से के बाद वह क्षेत्र के लोगों के बीच पहुंच कर किस तरह से वोट मांग सकते हैं।
दुविधा की स्थिति को देखते हुए वे पार्टी से अनुरोध करेंगे कि उन्हें किसी और क्षेत्र की जिम्मेदारी दी जाए। बताते हैं राजेंद्र शुक्ल ने साफ तौर पर कहा है कि वे शुरुआत से ही कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हैं और इस बार भी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस फिर से सरकार बनाए इसके लिए पूरी तरह से योगदान भी देंगे।
ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि इस मीटिंग में बगावती सुर सामने आए हैं। लेकिन जो खबरें आ रही है उससे लगता है कि बिल्हा विधानसभा सीट में कांग्रेस उम्मीदवार के चयन को लेकर जो प्रतिक्रियाएं दिखाई दे रही हैं,उससे इलाके में नए समीकरण बन सकते हैं।
खास तौर से पार्टी में इस बात पर को लेकर बहस है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस की हार के लिए जो हालात बने थे ,उनके मद्देनजर इस बार उम्मीदवार का चयन नहीं हो सका है। इसका असर चुनाव पर भी पड़े तो हैरत की बात नहीं होगी।