videoः भारी अव्यवस्था के बीच मनाया गया दीक्षांत समारोह…जिन्होने दिया चंदा..उन्हें ही नहीं मिला खाना..भूखे प्यासे भटकते रहे तमगाधारी विद्यार् थी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— पिछले एक महीने से ताम झाम के साथ अलग अलग समय पर कार्यक्रम का आयोजन कर अटल बिहारी वाजपेयी  विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह को लेकर प्रचार प्रसार किया गया। बताया गया कि चौथे दीक्षांत समारोह में देश के साथ ही विदेश के लोग भी अतिथि होंगे। कार्यक्रम काफी गरिमामय होगा। 28 मार्च को अटल बिहारी वाजपेयी  यूनिवर्सिटी में चौथे दीक्षांत समारोह का आयोजन तो किया गया। विदेशी नागरिक ने भी कार्यक्रम में शिरकत किया। लेकिन इस दौरान राज्यपाल की उपस्थिति के बावजूद कार्यक्रम में समारोह की गरिमा का नजारा कहीं देखने को मिला। सम्मान से लेकर..सभी व्यवस्था पर अव्यवस्था भारी नजर आया। इतना ही नहीं सम्मान पाने वाले जिन छात्र छात्राओं ने चंदा दिया। उन्हे ही खाना के लिए दर दर भटकना पड़ा है। यद्यपि इस दौरान प्रबंधन परदा पर परदा डालता रहा। लेकिन बात नहीं बनीं। 
कोनी स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में चौथा दीक्षांत समारोह पूर्व नियोजित गरिमामय के अनुरूप आयोजित नहीं हुआ। इस दौरान मंच से लेकर मैदान तक सब कुछ अव्यवस्थित नजर आया। पूरे कार्यक्रम में बदइंतजामी ही देखने को मिला। खुद छात्र छात्राओं ने कैमरे के सामने आकर अपनी पीड़ा को जाहिर किया।
जानकारी देते चलें कि पूर्व में प्रबंधन की तरफ से दिए जानकारी के अनुसार कार्यक्रम में फिजी के राजदूत कमलेश शशि प्रकार, राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल. और अन्य अतिथियों   ने शिरकत किया। लेकिन इनकी मौजूदगी पर प्रबंधन की अव्यवस्था कुछ ज्यादा ही भारी नजर आया। मिला। कार्यक्रम के बाद सम्मानित होने वाले छात्रों ने जो बताया उससे यही जाहिर हुआ कि इससे अच्छा होता कि वह सम्मान कार्यक्रम में आते ही नहीं।
 बदइंतजामी इतनी कि किस अतिथि या छात्रों को कितने अंतराल के बाद और कब मंच पर आना है। ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। सम्मानित होने वाले छात्रों ने भोजन के लिए चंदा भी दिया था। लेकिन उन्हें पूरे दिन भूखे-प्यासे रहना पड़ा। समारोह के बाद उन्हें ना केवल स्तरहीन भोजन दिया गय। बल्कि ज्यादातर लोगों को खाना भी नसीब नहीं हुआ। अव्यवस्था को लेकर जब छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन के सामने नाराजगी जाहिर किया तो प्रबंधन समस्या दूर करने की वजाय अव्यवस्था पर परदा पर डालता रहा।
दूसरी तरफ छात्रों ने बताया कि चंदा सिर्फ उनके खाने के लिए लिया गया था। लेकिन उन्हें ही खाना नहीं दिया गया। इससे अच्छा होता कि हम जितना चंदा दिए हैं..उसे प्रबंधन को नहीं देकर किसी होटल में पेट भर लेतेय़
दीक्षांत समारोह में शामिल छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने उनसे बकायदा एक हजार तीन सौ रुपए फीस लिया। प्रबंधन ने बताया कि चंदा यूनिफार्म का किराया और खाने के लिए लिया गया है। रूपया दिए जाने के बाद छात्रों को भरोसा था कि कुछ मिले या नहीं मिले..भोजन जरूर मिलेगा। लेकिन सम्मानित होने के बाद  करीब आठ बजे से भूखे प्यासे स्टूडेंट्स  आठ घंटा बाद खाने के स्टाल पहुंचे तो सभी को रोना आ गया। यद्यपि कुछ स्टूडेन्ट ने अपनी पीड़ा को कमरे के सामने बताया तो जरूर लेकिन कैमरे के पीछ जो कुछ भी बताया..उससे विश्वविद्यालय की गरिमा को जरूर आघात पहुंचा है। 
सम्मान के बाद लाइन लगाने को मजबूर..फिर भी घटिया खाना 
छात्रों ने बताया कि समारोह के बाद हम लोग भोजन के स्टाल पर पहुंचे। मौके पर बदइंतजामी देखकर उन्हें बहुत निराशा हुई। घंटो लाइन में खड़े रहे। बन्द पैकेट में किसी को पूड़ी तो चावल..किसी को सिर्फ दाल तो किसी को सिर्फ रायता से संतोष करना पड़ा। जिन छात्र- छात्राओं को ठीक ठाक भोजन का पैकेट मिला भी..तो उन्हें जूठे पैकेट्स के बीच खड़े होकर पेट भरना पड़ा। कई लोग को पैकेट ही नहीं मिला। अन्ततः उन्हें पेट पकड़कर घर लौटना पड़ा।
नसीब नहीं पीने का पानी
छात्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने पैसे वसूलने के बाद भी घटिया स्तर का भोजन दिया है। खाने के बाद पानी नसीब नहीं हुआ। समारोह में शामिल होते समय हमें गर्व महसूस हो रहा था कि देश विदेश के महान लोगों के हाथों सम्मानित होंगे। कार्यक्रम के बाद अपने फैसले पर बहुत दुख हो रहा है।
व्यवस्था से अधिक अतिथियों को बुलावा
दीक्षांत समारोह में 68 छात्रों को गोल्ड मैडल दिया गया। स्नातक के 52 हजार 623 और स्नातकोत्तर के 14 हजार 452 छात्रों को डिग्री देने के लिए बुलाया गया। यूनवर्सिटी प्रबंधन ने दीक्षांत समारोह में पहली बार टॉप-10 के सभी छात्रों को बुलाने का फैसला लिया। ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या कुल 755 थी। सभी छात्र-छात्राओं को बुलाने के कारण यूनिवर्सिटी में भीड़ बढ़ गयी। जिसके कारण कार्यक्रम अव्यवस्था का भेंट चढ़ गया। जबकि, विश्वविद्यालय को पहले से पता था कि समारोह में कितने छात्र शामिल होंगे। बावजूद इसके  व्यवस्था को नजरअंदाज कर विश्वविद्यालय ने अव्यवस्था को बुलावा दे दिया।

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