घास,तालाब की जमीन को बनाया दिया निजी…SDM ने किया रिकार्ड दुरूस्त…अंजाने में..पटवारी को मिला बड़ा हल्का का रिवार्ड

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–मंत्री के लाख कसावट के बाद भी ना तो अवैध प्लाटिंग का धंधा रूका है। और ना ही सरकारी जमीन को निजी जमीन बनाने का खेल ही रूक रहा है। इतना ही नहीं फर्जीवाड़ा करने वाले  दोषी पटवारी को जिला प्रशासन ने अंजाने में ही सही…रिवार्ड में शहर का बड़ा हल्का थमा  दिया है।  इस बात की जानकारी यद्पि जिला प्रशासन के कमोबेश सभी अधिकारियों को है। बावजूद इसके कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। चर्चा है जिस पटवारी और एसडीएम ने मिलकर शहर के लगे ब्लाक में तालाब और घास की जमीन को निजी बना दिया…उसी पटवारी को जिला प्रशासन ने शहर का एक बड़ा हल्का बतौर रिवार्ड थमा दिया है। यद्पि फर्जीवाड़ा की जानकारी कलेक्टर को नहीं है।

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मंत्री के लाख निर्देश के बाद भी जिले में खासकर तखतपुर, बिलासपुर, बिल्हा और मस्तूरी में अवैध प्लालिंग का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। मंत्री के फटकार के बाद कुछ दिनों तक जमीन चोरों के खिलाफ अतिक्रमण अभियान जमकर चला। बाद में सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जमीन बैठाने और रिकार्ड में फर्जीवाड़ा करने का एक ताजा मामला सामने आया है। जिले के एक महत्वपूर्ण ब्लाक के दो एसडीएम और एक पटवारी ने मिलकर पानी के नीचे और घासमद की जमीन को निजी नाम पर चढ़ा दिया है। यद्यपि तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में दोनों जमीन को शासकीय होना बताया है। बावजूद इसके एक एसडीएम ने तालाब और घासमद की जमीन का नामांतरण किया। दूसरा एसडीएम ने दोनों जमीन का रिकार्ड भी दूरूस्त कर दिया। जबकि तहसीलदार रिपोर्ट में स्पष्ट जिक्र है कि खसरा नम्बर 238 घास मद और खसरा नम्बर 239 तालाब के नीचे की जमीन है।

 इतना ही नहीं सरकारी जमीन निजी स्वामी के नाम चढ़ाने के बाद सौदा भी हो गया है। रिकार्ड दुरूस्त होने के बाद जमीन मालिक महिला ने करीब चार एकड़ 20 डिसमिल सरकारी जमीन बिलासपुर निवासी एक महिला को बेच दिया है।

रिपोर्ट दुरूस्त का प्रयास

बताया जा रहा है कि जब दोनो एसडीएम ने नामांतरण और रिकार्ड दुरूस्त कर लिया तो पटवारी को अपनी रिपोर्ट सुधारने को कहा गया। तहसीलदार को भी प्रतिवेदन दुरूस्त करने का निर्देश दिया गया। तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में जमीन का जिक्र तो किया। लेकिन कैफियत बदलने की बात कही है। इसके पहले पटवारी अपनी नयी रिपोर्ट पेश करता…इसके पहले ही एसडीएम और तहसीलदार का ट्रांसफर हो गया। नतीजन आज पटवारी की पुरानी रिपोर्ट फाइल में है। जिसमें खसरा नम्बर 238 को घासमद और 239 को तालाब की जमीन बताया गया है।

अंतिम दिन किया आर्डर

सीजीवाल के पास मौजूद दोनों जमीनों के दस्तावेज के अनुसार एसडीएम ने सारा खेल अंतिम दिन खेला। मतलब जिस दिन एसडीएम का ट्रांसफर हुआ। उसी दिन तीन दिन पीछे की तारीख पर रिकार्ड दुरूस्त करने का आदेश दिया। मजेदार बात है कि मजेदार बात है कि फाइल में पटवारी की पुरानी रिपोर्ट आज भी है।

अंजाने में पटवारी को रिवार्ड

बताया जा रहा है कि डरे सहमें पटवारी को खुश करने एसडीएम और उसके मातहत अधिकारी ने जिला प्रशासन को पटवारी के बारे में बढ़ा चढ़ाकर अच्छी रिपोर्ट दिया। अंजाने में कलेक्टर ने सरकारी जमीन बेचने वाले पटवारी को शहर का बहुत बड़ा हल्का थमा दिया। मतलब पटवारी को फर्जीवाड़ा का रिवार्ड मिल गया है। मामला बहुत चर्चा में है। कुछ लोगों ने बताया कि फर्जीवाड़ा की सारी जानकारी मंत्री जब बिलासपुर प्रवास पर रहेंगे..पेश किया जाएगा।

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