कुलपति ने कहा..जाओ माफ किया…लेकिन ने नहीं किया माफ…..धमकी भरा पत्र लिखने वाले आरोपी को कर लिया गिरफ्तार

Editor

बिलासपुर—जिसे कुलपति ने माफ किया…उसे कोनी पुलिस ने माफ नहीं किया है। मामला धमकी भरा पत्र का है। कोनी पुलिस ने पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति को साधारण डाक से धमकी भरा पत्र भेजने वाले आरोपी को विश्वविद्यालय से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी का नाम संतोष कुमार पाण्डेय है। आरोपी  विश्वविद्यालय में ही भृत्य के पद पर है कार्यरत। आरोपी के खिलाफ पुलिस ने पूछताछ के बाद आईपीसी की धारा 506, 507 के तहत गिरफ्तार किया है।

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कोनी पुलिस के अनुसार 19 दिसम्बर को पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बंश गोपाल सिंह को अज्ञात व्यक्ति ने साधारण डाक से फर्जी नाम पता के साथ एक धमकी भरा पत्र भेजा। मामले में कुलपति की तरफ से कोनी थाना में अपराध दर्ज कराया। पत्र भी पेश किया। पत्र में अज्ञात आरोपी ने कुलपति के पुत्र को जान से मारने की धमकी दिया। आरोपी ने पत्र में वेतन बढ़ाने, नई भर्ती पर रोक लगाने समेत कई आरोप लगाते हुए गाली गलौच किया है।

विवेचना के दौरान कोनी का पुलिस को जानकारी मिली कि एक बैठक में कुलपति ने आरोपी की पहचान कर माफ करने की बात कही है। इसके पहले पुलिस टीम ने विवेचना के दौरान विश्वविद्यालय पहुंच कर सभी अधिकारी कर्मचारियों का पिछले एक साल के छुट्टी के आवेदन पत्रों को खंगाला और हस्तलिपि का मिलान भी किया।

 पुलिस ने इस दौरान कई लोगों से कड़ी पूछताछ की कार्रवाई को भी अंजाम दिया। प्रक्रिया के दौरान जानकारी मिली कि 6 महीने पहले विश्वविद्यालय में काम करने वाला मानदेय भृत्य संतोष कुमार पाण्डेय ने विश्वविद्यालय में नई भर्ती को लेकर कुलपति को देख लेने की बात कही। इसके बाद उसने छुट्टी के लिए आवेदन पत्र भी दिया।

आवेदन पत्र और भेजे गए धमकी वाले पत्र का हैण्डराइटिंग मिलान किया गया। इसके बाद आरोपी को पुलिस ने धर दबोचा। कड़ी पूछताछ के दौरानर आरोपी संतोष ने बताया कि पिछले 18 सालों से मानदेय पर भृत्य का काम करता है। रेगुलर नहीं हो पाने से दुखी होकर धमकी भरा पत्र लिखा। आरोपी संतोष कुमार पाण्डेय ने बताया कि लमेर, थाना कोटा, बिलासपुर का रहने वाला है। पूछताछ के बाद आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 506, 507 के तहत् अपराध दर्ज किया गया। गिरफ्तार कर विधिवत कार्यवाही की जा रही है।

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सूत्र ने बताया कि गिरफ्तारी से पहले बैठक के दौरान कुलपति ने करीब 150 कर्मचारियों को बताया कि धमकी भरा पत्र लिखने वाले आरोपी की पहचान हो गयी है। इतना सुनते ही सभी के सामने डरकर संतोष कुमार ने कुलपति से पैर पकड़कर माफी मांगा। कुलपति ने भी बड़ा दिल दिखाते हुए संतोष कुमार को माफ कर दिया।

इसी बीच किसी ने मामले की जानकारी पुलिस थाना को दी। खबर मिलते ही कोनी पुलिस टीम विश्वविद्यालय पहुंच गयी। पूछताछ के बाद आरोपी को टीम ने धर दबोचा। फिर पुलिस पूछताछ के दौरान संतोष ने अपनी राम कहानी सुनाया। बहरहाल चर्चा जोरो पर है…जिसे कुलपति ने माफ किया। उसे पुलिस ने माफी देने से क्यों इंकार कर दिया। सवाल उठता है कि आखिर जांच किसने किया।

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