प्रदेश में सहायक शिक्षकों कि वेतन विसंगति का आंदोलन समग्र शिक्षक फेडरेशन की अगुवाई में छत्तीसगढ़ में जिले को आवंटित आरटीओ नंबर के आधार पर चल रहा है अब तक प्रदेश में 19 जिलों में वेतन विसंगति की न्याय पदयात्रा बहुत चुकी है जो प्रदेश के 33 जिलों तक जाएगी।और इस आंदोलन की अगुवाई फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा के नेतृत्व में चल रही छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसे बहुत कम उदाहरण शायद आए होंगे जिसमें संगठन का अध्यक्ष क्रमिक आंदोलन में हर जिले में पहुंचा होगा।
शिक्षकों यूनियनों के इतिहास मनीष मिश्रा ने अपने जुझारू पद से यूनियन की राजनीति में एक लंबी लकीर खींच चुनावी साल है। बजट का महीना है और शिक्षाकर्मियों का इतिहास रहा है कि जो मिला है इस चुनावी साल में मिला है फिर चाहे वह संविलियन हो या फिर पुनरीक्षित वेतनमान या फिर इनकी कई मांगे छत्तीसगढ़ की अब तक कि सरकारो ने रुला रुला के दिया है।संविलियन का उदाहरण सबके सामने है।
वेतन विसंगति की इस न्याय पदयात्रा के बारे में मनीष मिश्रा का कहना है इस सरकार ने हमको सरकार सत्ता में आने से पहले वादा किया आज तक पूरा नहीं हो पाया इसके लिए हम बीते पांच सालो से संघर्ष कर रहे हैं। हमने रमन सरकार के कार्यकाल में भी संघर्ष किया और भूपेश बघेल की सरकार के कार्यकाल में भी संघर्ष कर है। हम राज्य के कर्मचारी हैं और जिस की सरकार होगी हम उससे ही अपना हक मांगे इस बात में दो मत नहीं कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति है जिसे मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकारा था। जो अब तक पूरा नहीं हुआ है । कमेटी की रिपोर्ट के सार्वजनिक नहीं हुई है।
मनीष मिश्रा का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ शिक्षकों का आंदोलन नहीं है प्रदेश के 109000 शिक्षकों और उनके परिवार और रिश्तेदारों से जुड़ा हुआ है वेतन विसंगति दूर होगी तो शिक्षक और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा वेतन बढ़ेगा तो भविष्य का पेंशन भी उसी क्रम में बढ़ेगा।
धारणा फैलाई जा रही है कि सहायक शिक्षक का पद 12वीं पास का पद होता है। उसकी वेतन विसंगति अन्य विभाग के समकक्ष कर्मचारियों के बराबर बताई जा रही है।जो की पूरी तरह गलत है एक सहायक शिक्षक प्राथमिक स्कूल के बच्चों को क ,ख ,ग से लेकर पढ़ना लिखना ही नहीं सिखाता वह गांव के विकास की दूरी भी है गांव गांव शासन की योजनाओं को पहुंचाने वाल सहायक शिक्षक एक सबसे बड़ा माध्यम है। इसलिए कड़ी मेहनत करने वाले कि सहायक शिक्षक की मांग जायज है। यदि पुनरीक्षित वेतन निर्धारण करते वक्त उस दौर के शिक्षक नेताओं ने इस समस्या को ध्यान दिया होता तो आज शायद वेतन विसंगति नहीं होती।
शनिवार को बालोद जिले में वेतन विसंगति की इस न्याय पदयात्रा के कार्यक्रम में देवेंद्र हरमुख जिलाध्यक्ष बालोद, एलेंद्र यादव उपाध्यक्ष , अश्वनी सिन्हा सचिव, छबि लाल साहू ब्लॉक अध्यक्ष गुंडरदेही, अनिल दिल्लीवार ब्लॉक अध्यक्ष डौंडीलोहारा, खिलानंद साहू ब्लॉक अध्यक्ष बालोद, उमेश यादव ब्लॉक अध्यक्ष गुरुर, प्रह्लाद कोषमौर्य ब्लॉक अध्यक्ष डौंडी सहित सैकड़ो सहायक शिक्षक मौजूद थे।