TS ने कहा..नोटिस की कोई जानकारी नहीं..मामले में फिलहाल कुछ नहीं कहना..लेकिन सब समझ रहा हूं..NGT का भी है फैसला

BHASKAR MISHRA
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अम्बिकापुर—प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव शिवसागर बांध यानि मौलवी बांध से चर्चित तालाब के लैंड यूज़ बदलने को लेकर कोर्ट से किसी प्रकार नोटिस जारी होने से इंकार किया है। टीएस सिंहदेव ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि मीडिया के माध्यम से जरूर पता चला कि मामले में उन्हें पक्षकार बनाया गया है। फिलहाल इसमें किसी प्रकार की सच्चाई नही है। चूंकि मामला कोर्ट में है..इसलिए कुछ कहना भी उचित नहीं हैै। बताते चलें कि जल संरक्षण और पर्यवरण समिति तरूनीर ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया है कि शिवसागर तालाब को लेकर पीआईएल  दायर किया है। प्रेस नोट के अनुसा्र सिंहदेव को 11 अप्रैल को मामले में पक्ष रखने को बुलाया गया है।
जल संरक्षण एवं पर्यावरण बचाना तरुनीर समिति के अनुसार हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अम्बिकापुर स्थित मौलवी यानि शिवसागर तालाब के लैंण्ड यूज बदलने को लेकर कोर्ट ने सिंहदेव को अपना पक्ष रखने को कहा है। तरूनीर की तरफ से मौलवी तालाब को लेकर पीआईएल की सुनवाई में अधिवक्ता प्रियंका राय, मल्लिका परमार ने तर्क दिया है। जबकि टीएस सिंहदेव की तरफ से सीनियर एडव्होकेट अभिषेक सिन्हा और सी. के. भादुड़ी ने अपना पक्ष रखा है।
मामले में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने बताया कि “शिव सागर बांध उनकी पुस्तैनी जमीन है। 1947 में भारत सरकार और सरगुजा राजपरिवार के बीच सन्धि के तहत जमीन उनके परिवार को हासिल है। । 2017 में तरुनीर समिति ने राज्य सरकार से मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराया था।
मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने शिकायत खारिज कर रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजा। साल 2018 में आलोक दुबे ने एनजीटी में याचिका पेश किया। एनजीटी ने कोर्ट के फेैसले को यथावत रखते हुे साल  2019 में आलोक दुबे की याचिका को खारिज कर दिया। अपील में भी मेरिट के आधार याचिका को खारिज कर  दिया गया। याचिका खारिज होने के साथ ही विवाद भी खत्म हो गया। एनजीटी ने तालाब की जमीन को हमारे पक्ष में होना बताया।
टीएस सिंहदेव ने बताया कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है तरुनीर की तरफ से दायर जनहित याचिका उन्हें पार्टी बनाने के लिए कहा गया है। मामलें कोर्ट की तरफ से ऐसी किसी प्रकार सूचना नहीं है। और ना ही नोटिस ही नहीं मिली है। चूंकि मामला इस समय न्यायालय में है। इसलिए इस बारे में अभी कुछ भी कहना उचित नही है।  लेकिन इतना तो  साफ है मामले को किस उद्देश्य से बार बार उठाया जा रहा है। उचित समय में हमारे अधिवक्ता जानकारी देंगे। फिलहाल इतना निश्चित है कि उन्हें ना तो नोटिस ही जारी हुआ है। और ना ही इस मामले में उन्हें जानकारी ही है।
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