मेरा बिलासपुर

विचार मंच की गोष्ठीःछत्तीसगढ़ में पर्यटन की अपार संभावनाएं, प्रचार की जरूरतःहर्ष पाण्डेय

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बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं. जिस पर सरकार को ध्यान देकर इसे बढ़ावा देना चाहिए। छत्तीसगढ़ नदियों का प्रदेश है, नदियाँ पहाड़ी से गिरती हैं तो मनोरम जलप्रपात बनते हैं. बस्तर में चित्रकूट जलप्रपात है जहाँ इन्द्रावती नदी सात भागों में विभाजित होकर जब ९० फुट की उंचाई से गिरती हैं तो बड़ा मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है. बस्तर में ही तीरथगढ़, सरगुजा में रक्सगन्ड़ा और सरभंजा जलप्रपात, बलरामपुर में कोठली और पवई जलप्रपात, कोरिया में अमृतधारा, कोरबा में केंदई, रायगढ़ में राम झरना, जशपुर में रानीदाह, राजपुरी जलप्रपात, महासमुंद में सातदेव धारा, गरियाबंद में गोदना जलप्रपात और कांकेर में मलाजकुंडम जलप्रपात है. जलप्रपातों को देखने के लिए सैलानी कर्नाटक और मसूरी जाते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ नहीं आते, क्या कारण है? दरअसल में लोगों को हमारे राज्य के बारे में सही जानकारी नहीं है. इन पर्यटन स्थलों को दर्शनीय केंद्र के रूप में प्रचारित नहीं किया गया है.

ये उदगार विचार मंच की १४२ वीं गोष्ठी में अटलबिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क एवं सुरक्षा अधिकारी हर्ष पाण्डेय ने व्यक्त किये. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ का पुरातत्त्व, खानपान, वस्त्र (कोसा) निर्माण और यहाँ की लोककला अनुपम है, इनका संरक्षण किया जाना जरूरी है अन्यथा अगली पीढ़ी तक ये पहुँच नहीं पाएगा. राजस्थान में जहाँ भी जाओ, वहां का बेलिया नृत्य और राजस्थानी गायकी अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाती है जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसा कोई रिवाज़ नहीं है. सरकार को यहाँ के पर्यटन में विकास के लिए यहाँ की लोककला को पर्यटकों से जोड़ना होगा. हम अपने बच्चों को मैगी, पिज्जा, इडली डोसा खिला रहे हैं लेकिन हमारे राज्य का ठेठरी, गुलगुल भजिया, फरा, चीला पपची, अईरसा आदि के स्वाद से वे सर्वथा अपरिचित हैं. जब हम अपरिचित हैं तो देश-विदेश के लोगों को कैसे मालूम पड़ेगा कि छत्तीसगढ़ में क्या है?


डेढ़ घंटे तक चले इस कार्यक्रम में सत्यप्रकाश चतुर्वेदी, ज़फर अली, द्वारिका वैष्णव, दिलेश्वर राव जाधव, डा.सतीश जायसवाल, बी.जी. परमानंद, आनन्द प्रकाश गुप्ता, अरुण दाभड़कर, संजय पाण्डेय, वेदप्रकाश अग्रवाल, कैलास अग्रवाल, कमल मौर्य, श्रीकुमार पाण्डेय, सुमित शर्मा, रामप्रताप अग्रवाल, डा, बी.आर. होत्चंदानी, आर. के. शर्मा, राजेंद्र मौर्य, बजरंग केडिया, जगदीश दुआ ने सक्रियतापूर्वक भाग लिया. कार्यक्रम का सञ्चालन द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने किया.

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