स्कूल की छुट्टियों में क्यों की गई कटौती..? ग्रीष्म कालीन अवकाश कम करने का विरोध भी शुरू

Shri Mi
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बिलासपुर। छत्तीसगढ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के उपप्रांताध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष पी आर कौशिक ने छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय, अनुदान प्राप्त,गैर अनुदान प्राप्त शालाओ में पूर्व निर्धारित ग्रीष्मा अवकाश 1 मई से15 जून तक को संशोधित कर 15 मई से 15 जून तक
संशोधित करने का कड़ा विरोध करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से तत्काल जारी आदेश को स्थागित करने की मांग की है।उपप्रांताध्यक्ष कौशिक ने कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के आला अफसर जो एसी कार एवं कमरे मे बैठकर शासन चला रहे हैं।

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उन्होंने छत्तीसगढ़ की जमीनी हकीक़त एवं गांव देहात की सरकारी स्कूलों की माली हालत देखी नही है । उन्हें मालूम होना चाहिए कि 15अप्रैल के बाद पूरा प्रदेश जब गर्मी से झुलसने लगता है, तब अधिकांश जिला में स्कूले जिला कलेक्टर के आदेश पर 30 अप्रैल के लिये सभी स्कूल सुबह की पाली में मात्र तीन से चार घंटे के लिये लगती है। तथा गिनती के दस फीसदी से ज्यादा बच्चे स्कूल नही आते।मई महीने में जब पूरे प्रदेश का तापमान 44 से45 डिग्री हो जाएगा तो कौन सा पालक अपने बच्चो को पैदल स्कूल भेजेगा।

उपप्रांताध्यक्ष कौशिक ने कहा है छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अवकाश नियम1977 के नियम 27 में शिक्षकों को पहले दशहरा दीवाली, शीतकालीन तथा ग्रीष्मा अवकाश कुल 90 दिन का मिलता था । इसलिये इन्हें विश्रामाअवकाश विभाग का कर्मचारी घोषित किया गया तथा शेष अन्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों को नान वोकेशनल कर्मचारी मानते हुए उन्हें वर्ष में 30 दिन का अर्जित अवकाश दिया गया है ।उन्हें हर माह में द्वितीय एवं तृतीय शनिवार को अवकाश मिलता है । आज वर्तमान स्थिति में पांच दिन का कार्यालय लगने के कारण कम छुट्टीयो वाले कर्मचारी के सार्वजनिक अवकाश को छोड़कर वर्ष में कुल 87 दिन की छुट्टी मिल रही है।

वहीं ज्यादा छुट्टी पाने वाले शिक्षक को सार्वजनिक अवकाश को छोड़कर दशहरा दीवाली, शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन की कुल छुट्टी 53 दिन की हो गयी है ।उपप्रांताध्यक्ष ने शासन से अब पूरे साल भर सप्ताह में पांच दिन का स्कूल लगाने की मांग करते हुए अन्य कर्मचारियों की भांति वर्ष में 30 दिन के अर्जित अवकाश की मांग की है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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