रायपुर।छत्तीसगढ़ शासन ने अपने कर्मचारियों के लिए अवकाश नियम में संशोधन किया है । जिसके मुताबिक अब बिना अवकाश के 3 साल से अधिक समय तक गैरहाजिर रहने वाले कर्मचारियों को शासकीय सेवा से त्यागपत्र दिया हुआ समझा जाएगा। इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।
वित्त विभाग मंत्रालय की ओर से 22 मार्च की तारीख पर शासन के सभी विभाग अध्यक्ष , राजस्व मंडल, सभी विभागाध्यक्ष, सभी संभागीय आयुक्त और सभी कलेक्टर को इस तरह का निर्देश जारी किया गया है।जिसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवाएं अवकाश नियम 2010 के नियम 11 में प्रावधान है कि कोई शासकीय सेवक अवकाश सहित या बिना अवकाश के 5 वर्ष से अधिक निरंतर अवधि के लिए कर्तव्य से अनुपस्थित रहता है।तो उसे शासकीय सेवा से त्यागपत्र दिया हुआ समझा जाएगा।जब तक कि राज्यपाल प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए अन्यथा निर्धारित ना करें । परंतु इन प्रावधानों को लागू करने के पूर्व उस शासकीय सेवक को ऐसी अनुपस्थिति के कारणों को स्पष्ट करने हेतु युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा।छत्तीसगढ़ मूलभूत नियम में प्रावधान है कि जब तक कि राज्यपाल मामले की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अन्यथा भी निश्चित न करें किसी भी शासकीय सेवक को लगातार 5 वर्ष से अधिक अवधि का किसी भी प्रकार का अवकाश मंजूर नहीं किया जाएगा।राज्य शासन की ओर से निर्णय लिया गया है कि शासकीय सेवकों के निरंतर अनुपस्थिति या अवकाश की अवधि को 5 वर्ष के स्थान पर 3 वर्ष किया जाए। निर्देश में सभी विभागों से यह अनुरोध भी किया गया है 1 महीने से अधिक अवधि के अनधिकृत अनुपस्थिति के समस्त मामलों में नए नियमों का पालन सुनिश्चित करने हेतु अपने अधीनस्थ कार्यालयों को समुचित निर्देश प्रसारित करें।