आखिर कब तक करेंगे बेगारी..15 सौ में नहीं चलता परिवार…अधिकारियों ने भी किया जीना मुश्किल

Editor
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बिलासपुर—- जिले के कोटवारों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपनी पीड़ा को जाहिर किया है। कोटवारों ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर न्याय की मांग की है। कोटवारों ने बताया कि आजादी के पहले लेकर आज तक कोटवारों का सिर्फ शोषण किया जा रहा है। दैनिक वेतनभोगी से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, संविदा नियुक्तियों शिक्षाकर्मियों का सरकारीकरण हो रहा है लेकिन किसी सरकार ने भी कोटवारों की तरफ ना तो देखा है..और ना ही स्थितियों को लेकर चिंता ही जाहिर की है।

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                     कोटवारों ने बताया कि खेद का विषय है कि आज तक कोटवारों को नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया गया है। बल्कि बंधुआ मजदूरी की तरह उनसे काम लिया जाता है। सेवा भूमि के नाम पर कोटवारों को चार वर्गों में बांट दिया गया है।  सेवा भूमि पर कृषि के लिए ना तो कोई सुविधाएं दी जाती है और ना ही ऋण की सुविधा है। ऊपर से अधिकारियों का इतना दबाव होता है कि खेती करना भी नामुमकिन है। मासिक वेतन मात्र 1500 से तीन हजार रूपए ही दिए जाते है। इतनी कम राशि में खेती करना, परिवार चलाना और रात दिन काम करना किसी भी सूरत में संभव नहीं है। बच्चो की पढ़ाई लिखाई भी महंगी है। 

                              कोटवारों ने बताया कि अफसरशाही के चलते कोटवारों की नियुक्तियों मेें  भ्रष्टाचार आम बात हो चुकी है। अनावश्यक रूप स कोटवारों की ड्यूटी गांव क्षेत्र से बाहर लगायी जाती है। लेकिन भत्ता नहीं दिया जाता है। कोटवारों ने सीएम के नाम पत्र में लिखा है कि हर साल कोटवारों को वर्दी और तीन साल में गरम कपड़े देने का निर्देश है। लेकिन एक बार भी ऐसा नहीं होता है। कोटवारों की भर्ती में शैक्षणिक योग्यता का बंधन नहीं है। जबकि यह सरासर गलत है।

           नाराज कोटवारों ने पत्रकारों को बताया कि ग्राम पंचायत में बेगारी करवाई जाती है। मृतक परिवार के सदस्यों को कोटवारी में नहीं लिया जाता है। और ना ही आर्थिक सहायता दी जाती है। ऐसी सूरत में कोटवारों के सामने केवल मौत ही एक रास्त बचता है। कोटवारों ने कहा कि सरकार कोटवारों पर कुछ तो रहम करे।

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