कृषि बिल का व्यापक विरोध होना चाहिए… राकेश शर्मा बोले – खेती से दूर हो जाएगा छोटा किसान

Chief Editor
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बिलासपुर । पूर्व पार्षद और छात्र नेता पहे राकेश शर्मा ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश किए कृषि बिल को किसानों के लिए घातक बताया है। उन्होने कहा कि यह बिल प्रभाव में आने के बाद खेती किसानों के हाथ से निकल जाएगी और कार्पोरेट सेक्टर का दबदबा हो जाएगा और छोटा किसान खेती से दूर होता ज़ाएगा ।  इसलिए इस बिल का व्यापकक विरोध होना चाहिए।

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एक बातचीत में उन्होने कहा कि “ मैंने कुछ समय गुजरात में गुजारा है ।  मैं वहां के कृषि को और आम गांव के लोगों के बीच में अनेक बार उनके कृषि व्यवसाय को लेकर चर्चा की है । एक तो गुजरात में जो कृषक हैं  केश क्राफ्ट होते हैं । जो नगद बाजार में पैसा दे ,सबसे बड़ा व्यापार कपास का होता है ।  कपास बोने के पहले व्यापारी सौदा कर लेते हैं । वह व्यापारी अलग होते हैं ।  फिर उसके बाद पौधे को बड़ा करना ,उन को संरक्षित करना, फिर उसके बाद काटने वाले व्यापारी अलग होते हैं  । फिर उसको मंडी में बेचने वाले कारपोरेट जगत या बड़े उद्योगपति लोग इसको एक जगह इकट्ठा करते हैं ।  फिर इसको बड़े अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर यह भारत के बाजार पर बेचने के लिए अलग व्यापारी आते हैं  । किसान से  व्यापारी दूर रहते हैं ।  यह गुजरात का पैटर्न है । जिसको मोदी और शाह पूरे दएश में लागू करना च चाहते हैं । वहां व्यापारी बड़ा होता है।  छोटे व्यापारी लोगों के पास बहुत ज्यादा खेती नहीं होती है।  बहुत सारे लोग उद्योग पर और बहुत कम लोग व्यापार पर आधारित है।  क्योंकि गुजरात के एक भाग में पानी नहीं है ।  वह लोग छोटे व्यापारी के जीवन को नहीं जानते हैं .

 राकेश शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ का व्यापारी बहुत छोटा होता है । जो चार, चिरौंजी, लाख, इमली का बीज ,बबूल का बीज, अलसी, लाखडी,   तिवरा और बहुत से छोटे-छोटे जो चीज है वह अपने दैनिक जीवन के उपयोग के लिए उगाते हैं । कुछ भाग बेच देते हैं ।जिसे दैनिक जीवन की चीजें खरीद लेते हैं । नमक ,तेल ,कपड़ा, कृषि संबंधी छोटे यंत्र ,गाय, बैल, खपरा ,ईट, लकड़ी छोटी दैनिक जीवन की जय चीजें खरीदते हैं ।

उन्होने कहा कि नए कृषि बिल का जो पैटर्न है वह पूर्णता गुजरात पैटर्न है  । जो कारपोरेट जगत को मदद करता है । सीधे किसान को मदद नहीं करता । इस से छोटा आम किसान अत्यधिक मजबूर और अत्यधिक गरीब होता जाएगा और कृषि से हट जाएगा । एक समय ऐसा आएगा कि कृषि से उसको नफरत सी होने लगेगी । जो उसकी जीवन शैली है । वह भूलता जाएगा और हम एक कारपोरेट जगत के कठपुतली हो जाएंगे ।  इससे बचने के लिए आवश्यक है कि हम सब मिलकर इस बिल का सही तार्किक और समय समय पर इसका विरोध करें ।

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