झीरम काण्डः प्रतिपरीक्षण के बाद शैलेश ने कहा..पूर्व सीएम का निकाला जाए काल डिटेल…सच सामने आ जाएगा

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                                    जीरम घाटी नक्सल हमला मामले में जस्टिस मिश्रा न्याय आयोग के सामने  प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी, भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव प्रतिपरीक्षण के लिए पेश हुए। शपथ पत्र दाखिल कर 8 बिन्दुओं से शैलेष नितिन त्रिवेदी ने आयोग के सामने अपनी बातों को रखा।

                   शैलेष नितिन त्रिवेदी और देवेन्द्र यादव की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव शपथ पत्र पेश किया।  शासकीय अधिवक्ता ने शैलेष नितिन त्रिवेदी और देवेन्द्र यादव से प्रतिपरीक्षण किया। सवाल जवाब के दौरान शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि तात्कालीन सरकार ने विकास यात्रा को आवश्यकता से अधिक सुरक्षा मुहैय्या कराया। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को औपचारिक सुरक्षा के हवाले छोड़ दिया। सरकार ने सुरक्षा देने में गंभीर लापरवाही की है। विधायक देवेन्द्र यादव ने भी अपने बयान में सुरक्षा को लेकर बातों को दुहराया। प्रतिपरीक्षण के दौरान जस्टिस ने दो बार शैलेश। नितिन को फटकारा। जज को कहना पड़ा की सवाल का जवाब दिया जाए। यह स्थान भाषण देने का नहीं है।

                       प्रतिपरीक्षण के बाद शैलेश नितीन त्रिवेदी ने पत्रकारों को बताया कि 20 मई 2013 को पुलिस विभाग को सूचित किया गया था कि 25 मई 2013 को परिवर्तन यात्रा जगदलपुर से सुकमा के लिए निकलेगी। बावजूद इसके जेड प्लस सुरक्षा वाले नेताओं को पर्याप्त बल नही दिया गया। यह जानते हुए भी कि महेन्द्र कर्मा नक्सलियों के हीट लिस्ट में है। गुप्त सूचना 10 अप्रैल 2013 को इंटिलिजेंस के पास आ गयी थी। सूचना बस्तर और सुकमा एसपी को नहीं भेजी गयी थी। जबकि जीरम घाटी इन दोनो के बीच में है ।

                       महेन्द्र कर्मा पर नक्सली 8 नवंबर 2012 को हमला करने पर कामयाब रहे थे। उन्हे केवल जेड सुरक्षा प्रदान की गयी थी। जबकि उन्हें जेड प्लस या एनएसजी  कमांडो उपल्बध होना चाहिए था। 21 अप्रैल 2012 को 4.30 बजे सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन को नक्सिलयों ने किडनैप किया था। मेनन को छुड़वाने के लिए सरकार की नक्सलियों से क्या बात हुई और क्या डील हुई…आज तक छत्तीसगढ़ की जनता को नहीं बताया गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई गुप्त समझौता छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों से किया था।

                         शैलेश नितीन ने बताया कि 29 जुलाई 2011 गरियाबंद में किसान सभा से लौटते समय नंदकुमार पटेल और कांग्रेस नेता, कार्यकताओं पर नक्सली हमला हुआ था। गाड़ियों को ब्लास्ट किया गया था। जबकि पटेल पूर्व में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रह चुके थे। बावजूद इसके उन्हें जेड प्लस सुरक्षा नहीं दी गयी थी। नंदकुमार पटेल के घर पर परिवर्तन यात्रा के पहले पुलिस अधिकारी मुकेश गुप्ता और आर के विज आये थे। अधिकारियों ने कहा था कि पूरी सुरक्षा देंगे। 7 जून 2012 को सारकेगुड़ा नरसंहार घोर नक्सली क्षैत्र में हुआ था। सभी बड़े पुलिस अधिकारी नेताओं के साथ थे। लेकिन परिवर्तन यात्रा जब जीरम से गुजर रही थी तो कोई भी बड़ा पुलिस अधिकारी साथ नही था। जबकि सरको पता था कि कांग्रेस के बड़े नेता यात्रा में शामिल हैं।

                      गरियाबंद में भी आईडी ब्लास्ट कर नंदकुमार पटेल के काफिले मे चल रही गाड़ी को उड़ाया गया। काफिले के साथ रोड ओपनिंग की गाड़ी हमेशा साथ चलती है। जीरम वाले दिन  रोड ओपनिंग करने वाली गाड़ी नहीं थी। जबकि विकास यात्रा में एक हजार से ज्यादा जवान तैनात थे। परिवर्तन यात्रा को वैसी सुरक्षा नही दी गयी थी। यात्रा को नक्सलियों के साफ्ट टारगेट में रखा था।

           त्रिवेदी ने बताया कि 10 यूनिफाईट कमांड में चालीस हजार जवान थे जिसके प्रमुख भूतपूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह थे। विकास यात्रा के पहले एसपी और कलेक्टर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रेस कांफ्रेस किया करते थे। लेकिन परिवर्तन यात्रा के समय ऐसा नहीं किया गया। सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा भी नही की गई। 16 मई 2013 में 40 हजार सशस्त्र बल 20 से 25 हजार छत्तीसगढ के सुरक्षा बल बस्तर में तैनात थे। परिवर्तन यात्रा में केवल 125 का बल देना कही ना कही शक और साजिश को जन्म देता है।

                         25 मई 2013 को जीरम घाटी की दुखद घटना करीब 4.15 बजे हो गयी थी। घटना के बाद दंरभा थाना तोंगपाल पुलिस थाना से सशस्त्र बल के टुकड़ियों को तुरंत नही भेजा गया। समय पर मदद मिलती तो शायद कई घायल नेता बच सकते थे। चिकित्सा वयव्सथा समय पर नही करना साजिश को जन्म देता है ।

                               नक्सलियों ने लोगो से नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल के बारे में बार बार पूछा। दोनों की हत्या कर लैपटाप और मोबाईल ले जाना सिर्फ और सिर्फ नक्सली हमला प्रतीत नही होता। यदि नक्सली हमला होता तो सभी के लिए होता। सिर्फ नंदकुमार पटेल और उनके पुत्र दिनेश पटेल कांग्रेस को जमीनी स्तर पर बहुत ही मजबूत कर रहे थे। जिससे छत्तीसगढ़ सरकार मे बैठे कुछ लोगो को डर था। अगर कांग्रेसी सत्ता मे आ गये तो भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगी। जीरम घाटी जाने के पहले दिनेश पटेल ने कुछ बड़े नेताओं को कहा था कि मै लौटकर प्रेस कांफ्रेस करूंगा। सत्ता में बैठे लोगो को इस्तीफा देना पड़ जायेगा।

                          दिनेश पटेल के इस बयान से छत्तीसगढ़ सरकार में बैठे कुछ लोग चिंतित थे। सत्ता परिवर्तन का डर सताने लगा था। नितिन ने कहा कि हमारी मागं है कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके करीबियों का तीन महीने का फोन और मोबाईल काल डिटेल निकाल कर जांच करायी जाए। जीरम का सच सामने आ जायेगा। त्रिवेदी ने बताया कि भाजपा के पूर्व नेता वीरेन्द्र पांडे ने बयान दिया था कि एक आईपीएस ने जीरम घाटी की डील 60 करोड़ में की है। खबर को दिल्ली के अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।आज तक जांच नही हुई।

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