रायपुर—पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भाजपा सरकार के लोक सुराज अभियान को ढकोसला और बेवजह का खर्चीला अंतहीन आयोजन बताया है। जोगी के अनुसार साल 2004 में भाजपा सरकार के लोक सुराज अभियान का जन्म हुआ है। अभियान को बारह साल पूरे हो चुके हैं। आश्चर्य और खेद का विषय है कि ग्रामवासियों की समस्यायें आज भी जस की तस हैं। अभियान में गरीब जनता की भावनाओं का दोहन कर भाजपा अपनी गिरती साख को बचाने सहानुभूति अर्जित करने का असफल प्रयास कर रही है।
जोगी ने विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि मुख्यमंत्री 12 सालो से खर्चीले अभियान का अंग बन गए हैं। लोक सुराज अभियान में जानबूझकर मुख्यमंत्री का उड़न खटोला वहीं उतारा जाता है जिन गांव में पेयजल की समस्या नहीं है। प्रदेश के अधिकांश गांव की जनता पेयजल के गंभीर संकट से जूझ रही है। इसान तो जैसे तैसे दूरदराज से पानी ढोकर प्यास बुझा लेता है लेकिन बेजुबान जंगली जानवर और पालतू पशु पानी की तलाश में भटकने मजबूर हैं। अभ्यारण्य के जानवर मानव बस्तियों और सड़कों पर भटक कर अपने प्राण गंवा रहे हैं। पेयजल की इस गंभीर स्थिति पर सरकार मूक दर्शक बनी हुई है।
जोगी ने कहा है कि साढ़े बारह वर्षों में लोक सुराज अभियान के तहत समस्याओं के आवेदनों का अंबार लग चुका है। समस्यायें जस.की.तस हैं। जनता अभियान का बहिष्कार कर रही है। प्रदेश की जनता को पानी की तरह पैसा बहाकर भी पानी उपलब्ध कराने में भाजपा सरकार असफल सिद्ध हो चुकी है।