बिलासपुर—पिछले शनिवार की तो बात है…जब बिलासपुर समेत जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में गरिमामय वातावरण के बीच विकसित भारत विकसित छत्तीसगढ़ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेसिंग कर सभी हितग्राहियों से संवाद किया। लोगों को संबोधित भी किया। इस दौरान जिला प्रशासन ने भी रिकार्ड पर रिकार्ड पेश कर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को खुश कर दिया। जिला प्रशासन ने बताया कि जिले में कुल 4 लाख 24 हजार महिलाएं महतारी वंदन योजना का लाभ लेंगी। लेकिन तीन बाद सोमवार को एक महिला कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंची। जो दोनों आंख से दिव्यांग है। महिला ने बताया कि उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। उसे यह भी नहीं मालूम कि महतारी वंदन योजना क्या है। वह तो कलेक्टर से एक आवास और राशन कार्ड मांगने आयी है। …। बहरहाल वह पति के मजदूरी से पेट भर रही है।
हमेशा की तरह सोमवार को कलेक्टर ने जनदर्शन लगाया। लोग अपनी समस्याओं को लिखकर हाथ में कागज लिए जनदर्शन की लाइन में अपनी बारी का इंतजार करते हमेशा की तरह नजर आए। इस बार जनदर्शन में दोनों आंखों से दिव्यांग एक ऐसी महिला भी पहुंची..जिसे पता ही नहीं कि सरकार गरीबों के लिये सरकारी योजना चलाती है। महिला ने बताया कि उसे नहीं मालूम महतारी वंदन योजना किसे कहते हैं। उसे किसी ने बताया कि कलेक्टर गरीबों को घर दे रहे हैं…इसलिए वह अपने मजदूर पति के साथ कलेक्टर से घर मांगने आयी है।
बातचीत के दौरान महिला ने बताया कि वह दोनों आंख से दिव्यांग है। पंधी सीपत की रहने वाली है। कमजोर पति मजदूरी का काम करता है। तालाब के किनारे एक झोपड़ी में अपने बच्चे के साथ रहती है। महिला ने अपना नाम कविता सूर्यवंशी बताया। महिला के साथ उसका पति रामप्रसाद सूर्यवंशी भी साथ लाइन में खड़ा था।
कविता सूर्यवंशी ने बताया कि उसके पास ना तो जमीन है और ना ही घर है। तालाब के किनारे झोपड़ी में रहती है। वह कई बार सरपंच से मिली। सरपंच ने बताया कि आंख से दिव्यांगों के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। सरपंच कहता है कि उसे वोट नहीं दिया इसलिए किसी प्रकार का सहयोग नहीं करेगा। उसके पास राशन कार्ड भी नहीं है। पति मजदूरी कर जो भी लाता है…उसी से अपने बच्चे और खुद का पेट भरती है। किसी ने बताया कि कलेक्टर सभी को राशन और आवास दे रहे हैं..इसलिए अपनी परेशानी को एक कागज में लिखवा कर लायी हूं। कलेक्टर से मिलने के बाद राशन और आवास मांगेगी।
महिला के पति ने बताया कि सरपंच हमारी सुनता नहीं है। पत्नी दोनों आंख से लाचार है। रोजी मजदूरी के बाद जो भी मिलता है..उसी से पेट भर लेता हैं। उसके पास राशन कार्ड भी नहीं है। कलेक्टर से घर मांगने आये हैं।
बहरहाल देखने वाली बात होगी कि कलेक्टर से क्या दिव्यांग महिला को राशन कार्ड या आवास मिलता है कि नहीं । यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना तो निश्चित है कि शासन स्तर पर बड़ी चूक हुई है। जिस महिला को महतारी वंदन योजना का लाभ मिलना चाहिए था । उसे पता ही नहीं कि योजना क्या है। आश्चर्य की बात है कि जनप्रतिनिधि भी हाथ पर हाथ देकर बैठे हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो सोमवार को दिव्यांग महिला कलेक्टर के जनदर्शन लाइन मे नजर नहीं आती।