रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)-काले चालव की खेती भी देश में तेजी के साथ पॉपुलर हो रही है। शुरुआत में प्रयोग के तौर पर असम और मणिपुर जैसे राज्यों में इसकी खेती शुरु हुई थीं। यहां इसके रिस्पॉन्स काफी बेहरत रहे। इसके चलते काले चावल की पॉपुलैरिटी पंजाब जैसे राज्य में भी पहुंच चुकी है। सेहत के अलावा इसकी खेती किसानों को अच्छी कमाई भी करा सकती है। आप काले चावल की खेती के जरिए पाररंरिक चावल के मुकाबले मिनिमम 500 फीसदी ज्यादा कमाई कर सकते हैं। देश के कई राज्यों की सरकारें इसकी खेती को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। वहीं कुछ राज्य इसके प्रोडक्टशन को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक कीजिये
जिले के किसानो को बेहतर आय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कलेक्टर श्याम धावड़े ने पहन करनी शुरू कर दी है इसी क्रम में कृषि विभाग को निर्देशित करते हुए कहा है कि जिले के किसानो की आय बढ़ाने के लिए उत्तम साधन हो सकता है। यूज के साथ काले चावल की खेती भी देश में तेजी के साथ पॉपुलर हो रही है। शुरुआत में प्रयोग के तौर पर असम और मणिपुर जैसे राज्यों में इसकी खेती शुरु हुई और यहां इसके रिस्पॉन्स काफी बेहरत रहे। इसके चलते काले चावल की पॉपुलैरिटी पंजाब जैसे राज्य में भी पहुंच चुकी है।
सेहद के साथ केंसर से करता है बचाव
दरअसल पारंपरिक सफेद चावल के मुकाबले काले चावल को सेहत के लिए ज्यादा बेहतर माना जाता है। यह चावल कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी काफी कारगर है। बहुत से डॉक्टर भी इसके प्रयोग की सलाह देने लगे हैं। सेहत के अलावा इसकी खेती किसानों को अच्छी कमाई भी करा सकती है। आप काले चावल की खेती के जरिए पाररंरिक चावल के मुकाबले मिनिमम 500 फीसदी ज्यादा कमाई कर सकते हैं। देश के कई राज्यों की सरकारें इसकी खेती को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। वहीं कुछ राज्य इसके प्रोडक्टशन को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
काला चावल एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से हैं भरपूर
ब्लैक राइस या काला चावल सामान्य तौर पर आम व्हाइट या ब्राउन राइस जैसा ही होता है। इसकी शुरूआती खेती चीन में होती थी। वहीं से इसकी खेती असम और मणिपुर में शुरू हुई। काला चावल एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर माना जाता है। यूं तो कॉफी और चाय में भी एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं लेकिन काले चावल में इसकी मात्रा सर्वाधिक होती है। इसके चलते बॉडी को डिटॉक्स होती है और कई तरह की सेहत संबंधी परेशानियां दूर रहती हैं। एंटी ऑक्सीडेंट हमारे शरीर की विश्षाक्त संबंधी बीमारियों से लड़ता है। इसे कैंसर के इलाज के लिए सब से ज्यादा उपयोगी माना जाता है। आम सफेद चावल के मुकाबले इसमें ज्यादा विटामिन B और E के साथ कैलशिमय, मैगनीशियम,आयरन और जिंक की भी मात्रा ज्यादा होती है।
सबसे पहले असम राज्य से हुई शुरूआत
भारत में सबसे पहले काले चावल की खेती असम के किसान उपेंद्र राबा ने 2011 में शुरू की। उपेंद्र असम के ग्वालपारा जिले के आमगुरीपारा के रहने वाले हैं। उपेंद्र को राज्य के कृषि विज्ञान केंद ने काले चावल की खेती के बारे में जानकारी मिली थी। बाद में उपेंद्र का यह प्रयोग काफी सफल रहा। इसके बाद आस पास के करीब 200 किसानों से इसकी खेती शुरू कर दी। इसके बाद इसकी खेती की शुरुआत मणिपुर में हुई और धीरे धीरे इसकी खेती नार्थ ईस्ट में पॉपुलर हो गई।