(मनीष जायसवाल)टिकटाक के क्रेज के खत्म होने के बाद वीडियो बनाने ओर उंसे शेयर करने की प्रवित्त को समझते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी अब शिक्षको को छात्रो से विज्ञान के प्रयोगों को सिद्धांतों से जुड़े वीडियो बनाने के लिए प्रेरित करने का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रहे है। जिससे छात्रो के भीतर का बाल वैज्ञानिक बाहर आये जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमिक की ओर से शिक्षको को प्रेरित करने के लिए बीते दिनों एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म में विचार साझा किया गया और बताया गया है कि विज्ञान को हमारे पाठ्यपुस्तक को किताबों और रटन पद्धति से हटाकर उनके दैनिक जीवन में ले जाने के लिए और कुछ कर दिखाने के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। अपने बच्चों में वैज्ञानिक अभी रुचि विकसित करने की दिशा में सब मिलकर प्रयास प्रारंभ करें। बचपन में उनके द्वारा इस प्रकार से किया गया कार्य हो सकता है ।उन्हें भविष्य में वैज्ञानिक बनने के लिए प्रेरित कर सके। कोरोना के इस लॉकडाउन का इस्तेमाल हमारी शिक्षण पद्धतियों में बदलाव लाने के लिए इस कार्य मुमकिन कर दिखाएं.CGWALL News के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए
छत्तीसगढ़ सामग्र शिक्षा अकादमी के नवाचार से जुड़ी यह पहल जिसके मुताबिक अकादमी विज्ञान के प्रयोगों को सिद्धांतों को रोचक तरीके से समझाने के लिए शिक्षको एक छोटा वीडियो दिखेगा जिसमें विज्ञान से जुड़ी कुछ बातें होंगी और पढ़ने के लिए कुछ आलेख होगा जिसमे वीडियो अपलोड करने और किसके द्वारा बनाया गया है आदि की जानकारी देने के लिए एक गूगल ड्राइव और एक्सल शीट होगा। इस वीडियो को शिक्षक अपने विद्यार्थियों के समूह में भेज कर उन्हें इस वीडियो को देखने के बाद जो भी अच्छे से समझ में आ रहा है उसके आधार पर कुछ बनाकर कुछ कार्य करते हुए उसका छोटा सा एक या 2 मिनट का वीडियो बनाकर शिक्षको को वापस भेजना है। शिक्षक अपने विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अलग-अलग वीडियो को गूगल ड्राइव में अपलोड करते हुए उनका विवरण एक्सेल शीट में लिखेंगे।
इस प्रकार से आगामी कुछ दिनों में आपको 4 वीडियो भेजे जाएंगे चारों वीडियो को अपने विद्यार्थियों को भेजते हुए उन्हें थोड़ा बहुत समझा कर अपने आसपास या घर में उपलब्ध सामग्री के आधार पर उस अवधारणा को समझते हुए उससे संबंधित कोई गतिविधि करवानी है और उसका वीडियो आपको वापस अपने ग्रुप में भेजना है। शिक्षक अपने विद्यार्थियों के भेज द्वारा भेजे गए वीडियो के आधार पर उन्हें गूगल ड्राइव और एक्सेल शीट में अपलोड करेंगे । इस कार्य में अधिक से अधिक शिक्षकों को जोड़ना है जिससे अधिक से अधिक बच्चों को इन वीडियो को देखकर कुछ करने हेतु प्रेरित होंगे।
हालाकि इस कार्य मे कोई विशेष प्रगति नही हुई जिसकी वजह इस कोरोना काल में शिक्षको और छात्रो के बीच संवाद और इस कार्यक्रम का व्यापक प्रचार प्रसार नही होना माना जा सकता है। परन्तु यह पायलट प्रोजेक्ट अगर सफल रहा तो छत्तीसगढ़ के छात्रो का बाल वैज्ञानिक जल्द हो सोशल मीडिया में वीडियो के रूप में नज़र आएगा।
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