बिलासपुर— शायद ही ऐसा किसी प्रभारी राजा का राज्य बनने के बाद पिछले 20 सालों में स्वागत हुआ हो। कई व्हीआईपी, जिला प्रभारी और मुख्यमंत्री समेत कद्दावर नेता आए और गए। लेकिन तीन दिन पहले कांग्रेस भवन में लोकतंत्र के प्रभारी राजा का जिस जोश खरोश के साथ कांग्रेसियों के बीच जमीन माफियों ने स्वागत किया..वैसा इसके पहले कभी देखने को नहीं मिला। स्वागत भी ऐसा कि कोरोना के भी होश फाख्ता हो गए।
इस दौरान सभी ने प्रभारी के स्वागत परम्परा के बीच नई परम्परा को स्थापित होते देखा। छत्तीसगढ़ भवन में शहर के ऐसे नामचीन चेहरे नजर आए..जिन्हें अपने कारोबार से कभी फुरसत नहीं देखा गया। लेकिन राजनीतिक स्वागत के जलसे में उनका योगदान नजर आया। नाखुश लोगों ने बताया कि दरअसल पहली बार दिखने वाले शहर के पॉवरफुल चेहरे फ्री होल्डर्स जमीन के उम्मीदवारी को पुख्ता करने आए थे।
सर्वमान्य है कि किसी भी देश या राज्य में एक घोषित तो दूसरा अघोषित राजधानी की परम्परा रही है..लेकिन न्यायधानी एक ही रही है। जैसे देश की राजधानी दिल्ली तो आर्थिक राजधानी मुम्बई है। मध्यप्रदेश की प्रशासनिक राजधानी भोपाल तो आर्थिक राजधानी इंदौर है। ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक राजधानी रायपुर तो…देर और काफी इन्तजार के बाद बिलासपुर को भू-माफियों की राजधानी का तमगा मिला है। यह नाम विपक्षी नेताओं ने एक बार नहीं बल्कि कई बार पत्रकार वार्ता के दौरान बिलासपुर को दिया।
नाम की सार्थकता को लोगों ने उस समय होते देखा जब प्रभार लेने के बाद राजा पहली बार बिलासपुर पहुंचे। पूरे रास्ते आतिशी स्वागत कांग्रेसियों के बीच, संख्या में अधिक भू-माफियों ने किया। स्वागत से अभीभूत राजा ने भी सबका साथ और सबका विकास का वादा किया।
स्वागत में शामिल और गुटीय राजनीति में विश्वास रखने वालों ने बताया कि इसके पहले जिले के प्रभारी ताम्रध्वज का भी इस तरह का स्वागत नहीं हुआ। मुख्यमंत्री को भी इस तरह के स्वागत का सामना नहीं करना पड़ा। गाहे बगाहे कई बार खुद मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कुछ चेहरों को पार्टी गतिविधियों से दूर रखने का निर्देश दिया था। जिनका सम्बन्ध जमीन के गोरखधंधे से जुड़ा था। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से ठुकराए चेहरों को नए प्रभारी के स्वागत कार्यक्रम में करने का ना केवल भरपूर मौका मिला। बल्कि खुद को तरोताजा भी महसूस किया।
प्रभारी के स्वागत के दौरान कुछ ऐसे भी चेहरे दिखाई दिए..जिनकी भूमिका हमेशा पर्दे के पीछे..व्यापार जगत से रही है। समय का रोना रोने वाले सभी व्हीआईपी कमरे में व्हीआईपी ट्रीटमेन्ट के बीच राजा का ना केवल घन्टों इंतजार किया, बल्कि साथ में बैठकर घंटों विचार विमर्श भी किया।
अन्दर से छन कर आयी खबर पर विश्वास करें तो व्हीआईपी ट्रीटमेन्ट के बीच स्वागत करने वालों में ज्यादातर चेहरे फ्री होल्डर्स जमीन के उम्मीदवार है। कई चेहरे तो ऐसे हैं जिन्होने 7500 वर्ग फिट के हिसाब से घर के नाबालिगों के नाम जमीन की मांग की है। इसके अलावा ऐसे भी नाम है..जिन्होने घर के एक दर्जन से अधिक सदस्यों के नाम फ्रीहोल्डर्स जमीन की दावेदारी की है।