बिलासपुर—- भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने बिलासपुर के लगातार पिछड़ते जाने पर दुख जाहिर किया है। उन्होने कहा..कोई ऐसा क्षेत्र नहीं..जहां हम प्रदेश के अन्य जिलों से आगे हो। खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य और नवाचार संस्कृति में प्रदेश लगातार पिछड़ता जा रहा है। बिलासपुर में खेलो का आयोजन तो दूर…बहतराई स्टेडियम को अभी तक हैंडओव्हर नही किया जा सका है।
ढाई साल में नया कुछ नहीं
पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने विकास परियोजनाओं और जनहित मुद्दों की बदहाली पर दुख जाहिर किया है। अमर ने कहा कि चिठ्ठियों में चलने वाली छत्तीसगढ़ की सरकार को जनता की मूलभूत आवश्यकताओं से कोई लेना देना नही है। खेल, शिक्षा स्वास्थ्य, नवाचारो की संस्कृति के प्रति सरकार पूरी तरह उदासीन है। सरकार के नुमाइंदे केवल चिट्ठी लिखने का काम करते हैं। अब तो चिठ्ठिया मंत्रिमंडल के सदस्य एक दूसरे को लिखना शुरू कर दिया। सरकार की इसी संवाद हीनता का दुष्परिणाम है कि ढाई सालों में कोई भी नया प्रोजेक्ट चालू नहीं हो पाया है। राजनीतिक पैतरेबाजी के कारण पूर्व में जारी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का लाभ जनता को नही मिला पा रहा है।
खेल और खिलाड़ियों के भविष्य से खिलवाड़
अग्रवाल ने कहा बिलासपुर अंचल समेत प्रदेश के लोगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन एवं प्रशिक्षण के लिए बहतराई में 49 एकड़ इलाके में 2007- 08 से करोड़ो की लागत से राज्य स्तरीय खेल परिसर का निर्माण शुरू हुआ। ताकि खेल, खिलाड़ियों के उन्नयन और प्रोत्साहन,सवर्धन के लिए स्थानीय स्तर में ही अच्छी सुविधाएं मुहैया हो सके। बिलासपुर शहर ने क्लॉडियस जैसे ओलंपिक खिलाड़ी देश को दिए।,काशीराम रजक,प्रमोद राय और गफ्फार साहब के खेल के लोग दीवाने होते थे। आने समय मे युवा पीढ़ी में खेलो के विकास ,संरक्षण और संवर्धन के लिए लिए बेहतर ट्रेनिंग और सुविधाओं से युक्त राज्य स्तरीय खेल परिसर का निर्माण बहतराई बिलासपुर में आरम्भ हुआ। खेल परिसर को खेल गांव के रूप विकसित करते हुए बच्चों को हास्टल में रखकर खेलों का प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया था। आज 14 साल बाद भी करोड़ो रुपए की लागत से तैयार स्टेडियम में ना तो खेल शुरू हुए,न ही खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण शुरु हो पाया है।
नहीं हो रहा रखरखाव..एस्ट्रोटर्फ हो रहा बरबाद
खेल परिसर में ही हॉकी के आधुनिक स्वरूप की सुविधा के लिए चार करोड़ 39 लाख की लागत से एस्ट्रोटर्फ मैदान बनकर तैयार हुआ। प्रदेश का चौथा एस्ट्रोटर्फ मैदान है। सरकार की बेरुखी से इक्का-दुक्का स्थानीय आयोजनों के अतिरिक्त राज्य और राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों की कोई कवायद नही की गई है। अमर ने कहा एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान के रखरखाव में भी अनदेखी की जा रही है। मैदान के गोलपोस्ट को भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं बनाया गया है। निर्माण एजेंसी ने केवल मैदान बनाने की बात कहकर जारी राशि खर्च करने के बाद पल्ला झाड़ दिया।ग्राउंड में वाटरिंग और मेंटेनेंस प्रॉपर नहीं हो रहा है।
मेन्टनेन्स में खर्च हो रहे दो करोड़
अमर अग्रवाल ने कहा दरसअल खेल और खिलाड़ियों के विकास में राज्य सरकार की और खेल विभाग की कोई रुचि नहीं है। खेल संस्कृति के उन्नयन की बजाय छ ग भुमाफियाओं की शरणस्थली बन गया है। जिस शहर में जमीनें उड़ान लेती हो.. वहां खेलो की गति पर भला कौन ध्यान देगा? इसलिए ही खेल परिसर निर्माण की प्रकिया में ही राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी और खेल विभाग में समन्वय के अभाव से स दिनोदिन जर्जर होते जा रहा है। निर्माण कार्य भी अधूरा पड़ा है। हद तो यह है कि अधूरे निर्माण और क्वालिटी के कारण अनेकों बार प्रस्ताव के बावजूद भी खेल विभाग ने आज भी पीडब्ल्यूडी से स्टेडियम हैंड ओवर नहीं लिया है, हैंडओवर नहीं लिए जाने से बिना खेलो के पीडब्ल्यूडी के अधिकारियो द्वारा मेंटेनेंस में ही लगभग दो करोड रुपए महीने में खर्च हो रहे है। प्रशिक्षण के लिए साईं का ट्रेनिंग सेंटर को अनुमति नहीं मिलने से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए भी मैदान उपलब्ध नहीं है। सरकार बदलने पर स्टेडियम के विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए। मुख्यमंत्री के हाथों लोकार्पण के बाद भी अफसर अव्यवस्था दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सत्ता ने किया राजनैतिक दुरूपयोग
स्टेडियम में सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम नहीं है ,आए दिन विभिन्न सामग्रियों की चोरी हो जाने की बातें सामने आती है। चारो तरफ बड़ी-बड़ी घासे उग आई है। दरअसल स्टेडियम के निर्माण में मिलीभगत से ,इंडोर हो या आउटडोर परिसर, खिलाड़ियों के किसी काम का साबित नहीं हो सका है। घटिया निर्माण कार्य से भवनो में दरारे साफ नजर आती है। 60 करोड़ के अनुमानित लागत से आरम्भ हुआ प्रोजेक्ट में 135 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो जाने के बाद भी ना तो किसी प्रकार की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हो रहा है और ना ही किसी प्रकार की ट्रेनिग खिलाड़ियों को मिल रही है। इसके उलट पिछले वर्षों में राहुल गांधी की सभा करा कर सत्ता पार्टी ने स्टेडियम के राजनीतिक दुरुपयोग का भी शुभारंभ किया है। स्टेडियम में सब स्टेशन होते हुए भी किसी आयोजन के संदर्भ में बिजली विभाग से किराए पर बिजली ली जाती है। जिसमें लाखों रुपए खर्चा होते हैं।
सुरक्षा के नाम पर मजाक
अमर ने बताया कि स्टेडियम के आउटडोर और इंडोर घटिया क्वालिटी के निर्माण के कारण किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। फायर फाइटिंग सिस्टम का कोई में कोई इंतजाम नहीं है। इनडोर स्टेडियम के टायलेट, पंखा, लाइट आदि की व्यवस्था नहीं है। स्टेडियम की दीवारों पर जगह-जगह छेद नजर आ रहे हैं। आउटडोर स्टेडियम में लगे रेलिंग, दरवाजे, टाइल्स उखडऩे और गायब भी हो रहे हैं। स्टेडियम की सुरक्षा में होमगार्ड के जवानों की नियुक्ति की जानी थी। महज दो चार प्राइवेट कर्मियों से ही सुरक्षा कार्य कराया जा रहा है। प्रशासन के स्पोर्ट्स स्टेडियम की अव्यवस्था जल्द दूर करने दावे केवल जुबानी साबित हुए है।
बदहाली के कगार पर स्टेडियम
कलेक्टर के निर्देश खेल और लोक निर्माण विभाग के अफसरों के लिए कोई मायने नही रखते। 2018 में कुछ महीने काम हुआ 2019 दिन में महज कुछ दिन काम हुआ। लॉकडाउन के दौरान सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है।स्टेडियम बदहाली की कगार तक पहुंच चुका है।
भौरा, गेड़ी से नहीं मिलेंगे ओलंपिक पदक
खेल विभाग में स्टाफ की कमी , सरकार और खेल विभाग के अफसरों की ढिलाई से स्थिति यथावत है। खेल और खिलाड़ियों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा हैं। ऐसे ही मूल कारणों से छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभाओं का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। खेल, खिलाड़ी और खेल सुविधाओ की दृष्टि से हमारा छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों की तुलना में बहुत पीछे चल रहा है।गिल्ली डंडा और भौरा,गेंड़ी, चढ़कर स्थानीय अस्मिता के नाम पर फोटो बाजी की जगह राज्य की सरकार के मुखियां को प्रचलित खेल ,खिलाड़ी और खेल सुविधाओं के रोजगारपरक आधारित वास्तविक विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। ओलंपिक और विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
टोकियो ओलम्पिक के लिए भारतीय खिलाड़ियों के दल को बधाई
13 जुलाईं को माह के अंत मे टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत से 100 सदस्यीय दल शामिल होगा। अमर अग्रवाल ने भारत के सभी खिलाड़ियों को ओलंपिक अभियान के लिए शुभकामनाएं दी है। अमर ने कहा कि खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के लिए अधिकाधिक मेडल जीते। भारतीय हॉकी टीम स्वर्णिम दौर पुनः लौट रहा हैं । भारत की टीम विश्व में चौथे नंबर पर है। इस बार भारत में ओलंपिक में पुरुष हॉकी टीम से बड़ी आशाएं हैं। बैडमिंटन में पीवी सिंधु, बॉक्सिंग में एमसी मैरीकॉम , अमित पंघाल, एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा और लंबी कूद में मुरली शंकर, निशानेबाजी कुश्ती और टेबल टेनिस खेल में भारतीय खिलाड़ियों से काफी उम्मीद है कि वे देश के लिए ओलंपिक पदक लेकर लौटेगे।