मानवाधिकार तक पहुंचा गाैरांग का मामला

BHASKAR MISHRA
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IMG20160802142042बिलासपुर…नागरिक संघर्ष समिति के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता मणिशंकर पाण्डेय ने आज गौरांग बोबर्डे हत्याकाण्ड मामले में पुलिस पर लीपापोती का आरोप लगाया है। मणिशंकर पाण्डेय ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि पुलिस को जिन बिन्दुओं पर जांच करनी चाहिए थी उन बिन्दुओं की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। ना ही बार मालिक से ही पूछताछ की गयी।इससे जाहिर होता है कि पुलिस गौरान्ग के हत्यारे को बचाना चाहती है। मणि ने बताया कि गौरांग के शरीर पर मिले चोट के निशान से जाहिर होता कि उसकी हत्या किसी पेशेवर बाउंसर के हाथों हुई है। लेकिन पुलिस उसे बचाने और सबका ध्यान हटाने के लिए चार लोगों को गैरइरादतन हत्या का दोषी करार दिया है।

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                   प्रेस वार्ता के दौरान मणिशंकर ने गौरांग हत्याकाण्ड को लेकर सिलसिलेवार कई प्रश्नों को सामने रखा। पाण्डेय ने बताया कि दो मंजिला से गिरने के बाद भी गौरांग के सिर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं है। नाक के अलावा शरीर के किसी अन्य हिस्सों में खून के निशान नहीं मिले हैं। गाौरांग के आंख पर लगी चोट से जाहिर होता है कि उसके आंख पर किसी मुक्केबाज न पंच मारा है। ऐसा पंच या तो बाक्सर मारता है या फिर बाउंसर।

                          मणिशंकर ने पत्रकारों से बताया कि जब लड़कों के बीच झगड़ा हुआ तो बाक्सर को क्यों बुलाया गया। इससे जाहिर होता है कि गौरांग को बार के ही किसी बाक्सर ने मारा है। पुलिस ने इस मामले में बार कर्मचारियों से पूछताछ नहीं की है।मणिशंकर ने बार लायसेंस को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होने कहा कि गौरांग के हत्यारे तक पहुंचने के लिए पुलिस को काल डिटेल भी निकालना चाहिए था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया।

                                            पुलिस किसकों बचाने के लिए गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। इसकी जांच जरूरी है। इस दौरान मणिशंकर ने पुलिस जांच पर उंगली उठाते हुए कहा कि मैने मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार के पास भेजा है। जल्द ही दिल्ली से एक टीम बिलासपुर पहुंचने वाली है। मणि ने बताया कि मैने आयोग से कहा है कि पुलिस जांच रिपोर्ट को बंद लिफाफा में सुरक्षित रखने की जरूरत है। गौरांग को न्याय नहीं मिलने की सूरत में वे हाईकोर्ट से निष्पक्ष जांच आयोग बैठाने या एसआईटी की मांग करेंगे।

 

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