नई दिल्ली-भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले 23 सितंबर को हरिद्वार से किसानों द्वारा निकाले गए ‘किसान क्रांति पदयात्रा’ के दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने के बाद मोदी सरकार ने किसानों से बात करने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रस्तावित किया था लेकिन बात नहीं बन पाई। किसान अपनी सभी मांगे सरकार से मनवाना चाहते हैं जिसके लिए मोदी सरकार राजी नहीं हुई। इसके बाद किसानों के नेता नरेश टिकैत ने ऐलान कर दिया कि जब तक सभी मांगे नहीं मानी जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। वहीं दूसरी तरफ जिस मंत्री शेखावत को किसानों से बात करने का जिम्मा दिया गया है उन्होंने इस आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताया है।
किसानों की इस महारैली को देखते हुए कई इलाकों में धारा-144 लगा दी गई है. दिल्ली पुलिस ने उन्हें किसी तरह के आंदोलन की इजाज़त नहीं देते हुए दिल्ली को चारो तरफ से सील कर दिया है. बता दें कि किसान संगठन 2 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचकर राजघाट से संसद तक मार्च करने वाले हैं.
रैली में प्रदर्शन कर रहे किसानों की मुख्य मांगें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना है. इसके तहत पूर्ण कर्जमाफी, बिजली के दरों को कम करना, 60 साल के ऊपर के सभी किसानों के लिए 5000 रुपये पेंशन का प्रावधान जैसी कई मांगे हैं. साथ ही गन्ने का बकाया भुगतान, जिन किसानों ने खुदकुशी की है उनके परिजनों को नौकरी और परिवार को पुनर्वास दिलाने की मांग उठाई गई है.