जमीन मालिक को बेदखल करने पहुंचे जमीन माफिया…रजिस्ट्री, नामांतरण भी नहीं…फर्जी दस्तावेज के दम पर जताया हक

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—अटपटा फैसला आने के बाद कतियापारा जूना बिलासपुर निवासी व्यापारी बन्धु अपनी ही जमीन पाने के लिए  दर दर भटकने को मजबूर है। रजिस्ट्री,नामांतरण समेत सम्पत्ति कर रशीद दस्तावेज होेने के बाद भी मजिस्ट्रेटट ने ऐसा फैसला सुनाया कि…लोगों के गले से नही उतर रहा है। सराफा व्यापारी बन्धुओं ने बताया सारे दस्तावेज होने के बाद भी कोर्ट ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर पैत्रिक जमीन को माफियों के हवाले कर दिया है। यह जानते हुए भी कि पटवारी प्रतिवेदन और एसडीएम ने जमीन पर उनका पैतृक कब्जा होना बताया है। बावजूद इसके सारे दस्तावेजों को नकारते हुए सिटी मजिस्ट्रेट ने फर्जी दस्तावेज को सही मानकर मााफियों के पक्ष में फैसला दिया है। मामले को सत्र न्यायालय से फरियाद करेंगे।

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जूना बिलासपुर कतियापारा निवासी अमित, नितिन और रौनक साव ने बताया कि 1969 में परदादा सुधाराव साव ने अपने बड़े बेटे के नाम कतियापारा स्थित एक बड़ी जमीन को बाकलम रजिस्ट्री वसीयत किया। बाद में दादा रघुनन्दन साव ने जमीन को अपने तीन नातियों अमित, नितिन और रौनक  के नाम जमीन की लिखित वसीयत कर दान किया। रजिस्ट्री के बाद जमीन का नामान्तरण भी कराया। आज भी सारे दस्तावेज उनके पास है।

 नितीन रौनक और अमित ने जानकारी दिया कि निगम निर्देशानुसार साल 2010 मेंं पटवारी और आरआई ने सीमांकन किया। इसके आज तक हम प्रत्येक साल 28000 वर्गफिट का संपत्ति कर भुगतान कर रहे हैं। इसी दौरान परिवार की सदस्य उमा शशि साव ने घेरे गयी पैतृक जमीन पर अपना अधिकार जताते हुए संपत्ति कर पटाना शुरू किया। कुछ साल बाद कर पटाना बंद भी कर दिया। फिर कुछ साल के अन्तराल में जमीन पर दुबारा दावा करते हुए निगम को संपत्ति कर पटाया। शिकायत के बाद  निगम आयुक्त को फर्जीवाड़ा करने वाले दो कर्मचारियों को नोटिस थमाया। दोनो कर्मचारियों ने गलती मानकर उमा शशि के नाम पर काटी गयी संपत्ति कर रशीद रस्त किया। साथ ही कब्जा रौनक, नितीन अंकित का होना बताया।

 

निगम कार्यालय से निराश होने के बाद उमा शशि ने फर्जी और अपर्याप्त दस्तावेज तैयार कर एसडीएम कार्यालय में जमीन पर दावा किया। उमा ने एसडीएम कार्यालय को बताया कि जमीन पर उनका कब्जा है। कार्यालय के निर्देश पर सीमांकन और अन्य कार्रवाई को अंजाम दिया गया। पटवारी और आरआई ने रिपोर्ट में बताया कि जमीन पर नीतिन, अंकित और रौनक का कब्जा है। रिपोर्ट के बाद एसडीएम कार्यालय ने उमा के स्थगनो को निरस्त कर दिया।

 

 एसडीएम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मात्र सम्पत्ति कर रशीद के सहारे उमाशशि ने सिटी मजिस्ट्रेट के सामने मामले को पेश किया। यह जानते हुए भी कि उमा शशि के पास ना तो रजिस्ट्री है और ना ही नामांतरम के दस्तावेज हैं। सुधाराव की वसीयत भी फर्जी है। जबकि फोरेंसिक रिपोर्ट में सुधाराव की वसीयत को संदिग्ध बताया गया है। बावजूद इसके सिटी मजिस्ट्रेट ने मात्र सम्पत्ति कर रशीद को आधार मानकर फैसला उमाशशि साव के पक्ष में दिया। यह जानते हुए भी संपत्ति कर रशीद प्रमाणिक दस्तवेज भी नहीं है।

 

रौनक साव ने यह भी बताया कि उमा शशि की तरफ से पेश किए गए सभी दस्तवेज फर्जी है। सिटी मजिस्ट्रेट फैसले के अनुसार हम तीनों का दावा सिर्फ 28800 के 200 वर्गफिट पर बने झोपड़ी पर है। यह जानते हुए भी कि जिस रशीद को निगम कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर बनाया..उसके अनुसार उमा ने 28000 वर्ग फिट का सम्पत्ति कर पटाया है। इतना ही भुगतान हमने लगातार किया है। सवाल उठता है कि जब हमें 200 वर्गफिट पर कब्जाधारी बताया जा रहा है तो ससम्पत्ति कर 28000 वर्ग फिट पर क्यों लिया गया। जाहिर सी बात है कि फैसला भूमाफियों के दबाव मैं लिया गया है।

 

रौनक ने जानकारी दिया कि उनक पास उमा शशि की तरफ से पेश किए गए फर्जीवाड़ा दस्तावेजो की जानकारी है। सभी को सत्र न्यायालय के सामने पेश किया जाएगा। जमीन माफियों को कामयाब नहीं होने देंगे। जमीन पर ना केवल उनका कब्जा है…बल्कि असली दस्तावेज भी उनके पास है।

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