भूमाफिया के खाते में चढ़ गयी एकड़ों सरकारी जमीन…तहसीलदार का कारनामा…SDM ने जारी किया नोटिस

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–राजस्व प्रशासन जो ना करे थोड़ा…सीपत तहसील स्थित पंधी गांव की एकड़ों जमीन को तहसील प्रशासन ने जमीन माफिया के खाते में चढ़ा दिया है। मामले में जमीन माफिया का दावा है कि चूंकि सरकारी जमीन के चारो तरफ उसकी जमीन है। ऐसे में सरकारी जमीन पर पहले उसका दावा है। विधिवत प्रक्रिया के तहत ही तहसीलदार ने जमीन उसके खाते में चढ़ाया है। उसने कोई अपराध नहीं किया है। बहरहाल जानकारी मिल रही है कि मामले में एसडीएम ने नोटिस जारी कर जमीन खरीदार दोनो भाइयों को तलब किया है।

  सीपत तहसील स्थित पंधी गांव की सरकारी जमीन को जमीन कारोबारी के निजी खाता में चढ़ाने का मामला सामने आया है। तहसीलदार ने आदेश 28 मार्च साल 2023 में जारी किया है। इतना ही नहीं तत्कालीन तहसीलदार ने ऐसा आदेश दो लोगों के लिए निकाला है। मामला सामने आने के बाद राजस्व प्रशासन एक्शन में आ गया है। एसडीएम ने मामले को अपने ज्यूरिडिक्शन में लेकर जमीन मालिक दोनों भाई धर्मेन्द्र दास और नरेन्द्र दास को तलब किया है।

जानकारी देते चलें कि सीपत तहसील स्थित पंधी में कमोबेश सारी सरकारी जमीनों पर जमीन माफियों ने या तो फर्जीवाडा़ कर कब्जा कर लिया है। या फिर गलत आदेश जारी करवा कर सरकारी जमीन हथिया लिया है। यह जानते हुए भी ति इस जमीन को तहसीलदार ने अपने अधिकार से बाहर जाकर निजी जमीन बनाया है। मामला सामने आने के बाद मस्तूसी एसडीएम अमित सिन्हा ने दोनों भाइयों को नोटिस जारी कर दस्तावेज पेश करने को कहा है।

 बताते चलें कि पंधी गांव का खसरा नम्बर 56 सरकारी जमीन है। एकड़ों सरकारी जमीन पर कब्जा करने की नीयत से धर्मेन्द्र दास और नरेन्द्र दास ने पहले तो किसानों के खातों की जमीन खरीदा। जमीन खरीदते समय ध्यान रखा कि सरकारी जमीन खरीदी गयी जमीन से लगे हुए हो।

इसके बाद दोनो भाइयों ने तहसीलदार के सामने सड़क के लिए जमीन मांगा। और तहसीलदार ने नियम के खिलाफ जाते हुए खसरा 56 से एकड़ों सरकारी जमीन रोड रास्ता के बहाने दोनों भाइयों के खाते में चढ़ा दिया। जबकि ऐसा किया जाना तहसीलदार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। बावजूद इसके तहसीलदार ने किया।

नियम विरूद्ध आदेश

 राजस्व जानकारों की माने तो तहसीलदार को सरकारी जमीन को निजी खाते में चढ़ाने का अधिकार नहीं है। दूसरी अहम बात कि रोड रास्ता के लिए सरकारी जमीन स्थानीय निवासियों की निस्तारी के लिए होता है। लेकिन किसी भी सूरत में निजी खाते में दर्ज नहीं किया जा सकता है। चूंकि पंधी में ऐसा किया गया है..इससे जाहिर होता है कि दोनों भाइयों ने सोची समझी रणनीति के तहत भविष्य में कालोनी बनाने का फैसला किया है। जाहिर सी बात है कि सरकारी जमीन से रास्ता भी निकालेंगे..और अधिकार भी जताएंगे। जाहिर सी बात है कि दूसरे लोग इसका प्रयोग नहीं कर सकेंगे।

नियम के खिलाफ आदेश

राजस्व विभाग के कर्मचारी ने बताया कि ऐसे प्रकरणों का निराकण एसडीएम स्तर के अधिकारी करते हैं। तहसीलदार को सरकारी जमीन निजी खाते में चढ़ाने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा किया गया है तो उसके पीछे कुछ न कुछ कारण जरूर होगा। मतलब तहसीलदार ने जमीन माफिया के प्रभाव में काम किया है। जबकि यह सरासर गलत है।

नोटिस जारी किया गया

मामले में एसडीएम अमित सिन्हा ने बताया कि प्रकरण की जानकारी के बाद कार्यालय से नोटिस जारी किया गया है। धर्मेन्द्र दास और नरेन्द्र दास को दस्तावेज के साथ कोर्ट में पेश होने को कहा गया है। वस्तुस्थिति समझने के बाद उचित कदम उठाया जाएगा।

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