बिलासपुर । छत्तीसगढ़ी भाषा मे पढ़ाई लिखाई और राजकाज- कामकाज की भाषा बनाने के लिए रतनपुर से निकाली गई पदयात्रा का बिलासपुर के खमतराई में समापन हुआ । इन दौरान मोर चिन्हारी समिति के पदयात्रियों ने ग्राम लखराम , चोरहा देवरी , अकलतरी , पौंसरा , बैमा नगोई , बिरकोना के सैकड़ो लोगों के साथ ही करीब आधा दर्जन स्कूल के बच्चों शिक्षकों, चौपालों मे जा जाकर लोगों को उनके मातृभाषा से प्यार करने के लिए प्रेरित किया ।
इस दौरान पदयात्रियों का ग्राम सेलर में समाजसेवी सुनील कुमार के द्वारा स्वागत किया गया । वही बैमा नगोई में सेन समाज के द्वारा स्वागत किया गया। वही बिरकोना पहुंचने पर छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के संगठन ने स्वागत किया एवं समापन समारोह तक यात्रा में साथ रहे । 82 वर्षीय वयोवृध्द पदयात्री और छत्तीसगढ़ी के लिए दशको से जुझ रहे नंदकिशोर शुक्ल ने बताया कि दो दिन के दौरान हमने अधिकतम लोगों के बीच पहुचने का प्रयास किया और पाया कि बच्चे और पालक अपने मातृभाषा के पढ़ाई के लिए उत्साहित है । अतः सरकार को चाहिये कि जल्द से जल्द यहां की मातृभाषाओं को कम से कम बुनियादी शिक्षा का माध्यम बनाये । उन्होने बताया कि हमारा जनसम्पर्क आगे भी चलता रहेगा जब तक हमारी मातृभाषाओं को उनका उचित सम्मान नही मिल जाता ।