राजनीति के भैया विद्या को कांग्रेसियों ने किया याद…बताया..पूरी जिन्दगी केन्द्र में रहे…भारतीय राजनीति के धूमकेतु का आज भी खाली

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—भारतीय राजनीति के चिर युवा विद्याचरण को विनम्र श्रद्धांजलि देने के साथ कांग्रेसियों ने दिल से याद किया। उपस्थित कांग्रेसियों ने बताया कि विद्याचरण को जनता ने भरपूर प्यार किया। उन्हें या तो लोगों ने वीसी से संबोधित किया। या फिर पूरे जीवन विद्या भैया बनकर कार्यकर्ताओं के दिल में रहे। आज भी लोगों का मानना है कि विद्या भैय बात पर नहीं बल्कि काम पर विश्वास रखते थे। 
ज़िला कांग्रेस कमेटी शहर और ग्रामीण ने 11 जून को कांग्रेस भवन में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल को नम आंखों से याद किया। शहादत दिवस पर विद्या चरण के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धा को जाहिर किया।
शहर अध्यक्ष विजय पांडेय ने बताया कि विद्या चरण शुक्ल भारतीय राजनीति में हमेशा धूरी बनकर रहे। वह चिर युवा थे…अंतिम समय तक उन्होने जनहित के लिए काम किया। और काम करते करते अपने आप को देश और प्रदेश के लिए अर्पित कर दिया। शहर अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय राजनीति हमेंशा विद्या भैया के इर्दगिर्द घूमती थी। मिलनसार, सहज, और सरल व्यक्तित्व के धनी विद्याचरण ने केन्द्र की राजनीति कर देश के लिए बहुत काम किया। ऐसे नेता बहुत ही बिरले होते हैं।
कार्यकर्ताओ से जीवंत सम्पर्क ने उन्हें 9 बार लोकसभा में पहुंचाया। लगभग सभी पोर्टफोलियो में मंत्री रहकर उन्होने देश की सेवा की। इंदिरा गांधी का विद्याचरण पर बहुत ही विश्वास था। नरसिम्हा राव की सरकार के संकट मोचक रहे। आज भी लोग दुहराते हैे कि विद्याचरण जैसे राजनेता बिरले होते है। 
कार्यक्रम के संयोजक ज़फर अली, एसएल रात्रे ने बताया कि विद्याचरण को राजनीति विरासत में मिली। पिता और बड़े भाई अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। युवा विद्याचरण शिक्षा के बाद व्यवसाय भी किया। 1957 में कांग्रेस ने युवा तुर्क के रूप चुनावी मैदान में उतारा। और फिर विद्या भैया संसद पहुंच गए। इसके बाद उन्होने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। शालीन व्यवहार और ताउम्र ऊर्जा से भरपूर  विद्या सबके चहेते रहे।
कांग्रेस से दूरी बढ़ने पर विभिन्न पार्टी में भी गए। लेकिन अंतिम आशियाना कांग्रेस को ही बनाया। 2013 के आसन्न विधानसभा चुनाव में परिवर्तन यात्रा के दौरान 25 मई को नक्सली हमले में बुरी तरह घायल हो गए। जीवट व्यक्तित्व के मालिक विद्याचरण शुक्ला ने बुरी तरह से घायल होने के बाद भी खुद से ज्यादा अपने साथियों की फिक्र करते हुए सभी को बचाने का अंतिम समय तक प्रयास किया। 
 11 जून को वह दिन आज भी लोगों को याद है कि जब मेदांता अस्पताल में ईलाज के दौरान विद्या भैया इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर चले गए। और भारतीय राजनीति में एक स्थान ऐसा खाली कर दिए जिसे आज तक नहीं भरा जा सकता है। सच तो यह है कि विद्याचरण भारतीय राजनीति के धूमकेतु थे। 
 कार्यक्रम को ब्लाक अध्यक्ष विनोद साहू,ब्रजेश साहू,पिंकी बतरा,हेमन्त दिघरस्कर,सत्येंद्र तिवारी ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। 
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